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राजा भैया को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने DSP जिया-उल-हक हत्याकांड की CBI जांच का आदेश दिया

राजा भैया को पिछले साल हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया.

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डीएसपी जिया-उल-हत्याकांड में राजा भैया को झटका. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

उत्तर प्रदेश के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने डीएसपी जिया-उल-हक की हत्या के मामले की जांच CBI से कराने का आदेश दिया है. इंडिया टुडे से जुड़े संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि CBI इस हत्याकांड में राजा भैया की कथित भूमिका की जांच करे. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ ने ये भी कहा कि केंद्रीय एजेंसी तीन महीने में मामले की जांच पूरी कर रिपोर्ट दाखिल करे.

राजा भैया के लिए झटका क्यों?

CBI इस मामले की पहले से जांच कर रही है. उसने ट्रायल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी. एजेंसी ने डीएसपी की हत्या में 14 लोगों को आरोपी बनाया था, लेकिन उनमें राजा भैया का नाम नहीं था. उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी. हालांकि ट्रायल कोर्ट ने CBI की रिपोर्ट को खारिज करते हुए जांच जारी रखने का आदेश दिया था.

लेकिन पिछले साल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को रद्द कर दिया था. उसने CBI की क्लोजर रिपोर्ट को मान्यता दी थी. इसके बाद जिया-उल-हक की पत्नी परवीन आजाद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. उन्होंने अदालत में आरोप लगाया कि सीबीआई की रिपोर्ट में हत्या में राजा भैया की भूमिका की ओर इशारा करने वाले तथ्यों की अनदेखी की गई है.

सुनवाई पूरी होने के बाद राजा भैया को झटका मिला. शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है.

2013 का हत्याकांड

यूपी के प्रतापगढ़ में 2 मार्च, 2013 के दिन डीएसपी जिया-उल-हक की हत्या कर दी गई थी. उस दिन जिले के कुंडा विधानसभा क्षेत्र के बलीपुर गांव में ग्राम प्रधान नन्हे यादव की हत्या हुई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिया-उल-हक प्रधान को अस्पताल ले गए. लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. शव को गांव लाया गया. इस बीच वहां भीड़ इकट्ठा हो गई थी. उन्हीं में से कुछ लोगों ने डीएसपी पर हमला कर दिया था. एक व्यक्ति ने उन्हें गोली मार दी जिससे अधिकारी की मौत हो गई थी.

गोली मारने वाले शख्स को राजा भैया का करीबी बताया गया था. इसके बाद हत्या में उनका हाथ होने का आरोप लगा. कहा गया कि जिया-उल-हक रेत खनन और कुछ दंगा मामलों की जांच देख रहे थे, इसी के चलते उस समय राज्य मंत्री रहे राजा भैया और उनके सहयोगी डीएसपी को मरवाना चाहते थे. हालांकि सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि हत्या में ग्राम प्रधान नन्हे यादव के करीबियों का हाथ है. 

परवीन आजाद ने इस चार्जशीट पर सवाल उठाए थे. उन्होंने सीआरपीसी का हवाला देते हुए कहा था कि मजिस्ट्रेट को जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार है और उन्होंने आगे की जांच का आदेश दिया था. ट्रायल कोर्ट ने भी क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर जांच जारी रखने का आदेश दिया था.

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