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पहलगाम हमले पर कांग्रेस नेता क्या-क्या बोल गए जिससे खरगे और राहुल नाराज हो गए?

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 'X' पर लिखा कि कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा दिए गए बयान उनकी निजी राय है और पार्टी की आधिकारिक राय नहीं है.

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कांग्रेस के कुछ नेताओं के बयान से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है. (India Today)

कांग्रेस नेतृत्व ने 28 अप्रैल को अपने नेताओं को सख्त निर्देश दिया कि वे पहलगाम आतंकी हमले पर पार्टी की आधिकारिक राय से अलग कोई भी सार्वजनिक बयान न दें. कांग्रेस के इस फैसले का कारण यह था कि उसके कुछ नेताओं ने इस हमले को लेकर ऐसे बयान दिए थे, जिनसे विवाद हुआ और पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा.

इंडिया टुडे से जुड़ीं मौसमी सिंह ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सांसद राहुल गांधी पार्टी नेताओं के बेतुके बयानों से ‘नाराज़’ थे क्योंकि इससे पार्टी के रुख को लेकर गलत संदेश गया.

बाद में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘X’ पर लिखा कि कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा दिए गए बयान उनकी निजी राय है, न कि पार्टी का आधिकारिक स्टैंड. उन्होंने कहा कि केवल मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और अधिकृत AICC पदाधिकारियों द्वारा कही गई बातें ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का आधिकारिक रुख दर्शाती हैं.

जयराम रमेश ने लिखा,

"कुछ कांग्रेस नेता मीडिया से बात कर रहे हैं. वे अपनी व्यक्तिगत राय बता रहे हैं, जो कांग्रेस का पक्ष नहीं है. इस बेहद संवेदनशील समय में इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के प्रस्ताव, मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के विचार, और अधिकृत AICC के पदाधिकारियों के बयान ही कांग्रेस का आधिकारिक पक्ष हैं."

इंडिया टुडे ने कांग्रेस सूत्रों के हवाले से लिखा है कि जिन नेताओं ने अनर्गल बयान दिए हैं, उन्हें आंतरिक रूप से फटकार लगाई गई है. पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में पहलगाम मुद्दे पर कोई भी बयान केवल कांग्रेस की घोषित नीति के अनुसार ही दिया जाए. पहलगाम हमले के बाद कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर सरकार को हर फैसले में समर्थन देने की बात कही है.

कांग्रेस नेताओं के विवादित बयान

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के एक बयान ने कांग्रेस को सबसे ज्यादा मुश्किल में डाल दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से युद्ध की जरूरत नहीं है और केंद्र सरकार को सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी चाहिए. सिद्दारमैया ने कहा था,

"युद्ध की कोई जरूरत नहीं है, सख्त कदम उठाए जाएं. सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए. हम युद्ध के पक्ष में नहीं हैं. शांति होनी चाहिए, लोगों को सुरक्षा मिलनी चाहिए और केंद्र सरकार को उचित सुरक्षा उपाय करने चाहिए."

हालांकि बाद में उनकी सफाई आई, लेकिन डैमेज हो चुका था. सीएम सिद्दारमैया ने कहा कि उनका बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और अगर जरूरत पड़ती है तो भारत को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध करना चाहिए.

पार्टी अभी सिद्दा के बयान से उबर नहीं पाई थी कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता विजय वड्डेटीवार ने विवाद खड़ा कर दिया. उन्होंने पहलगाम हमले के पीड़ित परिवारों के इस दावे पर सवाल उठाया कि आतंकियों ने हमले से पहले लोगों से धर्म पूछा था. वड्डेटीवार ने कहा,

 "पहलगाम हमले की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए. सरकार कह रही है कि आतंकियों ने धर्म पूछकर लोगों को मारा. क्या आतंकियों के पास इतना समय होता है? कुछ लोग कहते हैं कि ऐसा नहीं हुआ. आतंकियों का कोई धर्म या जाति नहीं होती. दोषियों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई की जाए. यही देश की भावना है."

इस पर अब तक कांग्रेस या वड्डेटीवार की तरफ से कोई सफाई तो नहीं आई है, लेकिन इस बात में कोई शक नहीं पार्टी के लिए इस बयान से पीछा छुड़ाना आसान नहीं होगा.

हालांकि, इस सब के बीच एक और बयान पर गौर करने की जरूरत है. इसमें खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 28 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. पहलगाम आतंकी हमले के बाद चर्चा के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने हिस्सा नहीं लिया. इसी को लेकर खरगे ने कहा,

"सर्वदलीय बैठक में मोदी जी नहीं आए. ये शर्म की बात है कि जब देश के सम्मान पर हमला हुआ, तब आप (प्रधानमंत्री मोदी) बिहार में चुनावी भाषण दे रहे थे, दिल्ली नहीं आ सके."

खरगे इससे पहले भी सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री के ना शामिल होने पर सवाल उठा चुके हैं.

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