अडानी समूह की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. पहले अमेरिका ने ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगाए. रात होते-होते केन्या ने ग्रुप के साथ अपनी सभी प्रस्तावित डील खत्म करने का एलान कर दिया. और अब ऑस्ट्रेलिया में कंपनी पर नस्लभेद के आरोप लग गए हैं. वहां के आदिवासी समूह ने अडानी ग्रुप की ऑस्ट्रेलियाई यूनिट के खिलाफ नस्लभेदी भेदभाव करने की शिकायत दर्ज कराई है. यहां साफ कर दें कि इस शिकायत का अमेरिका के जस्टिस विभाग के आरोपों से कोई लेना-देना नहीं है.
घूसखोरी के बाद अब अडानी ग्रुप पर नस्लभेद का गंभीर आरोप किसने लगा दिया?
मामला ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड राज्य स्थित कारमाइकल कोयला खदान से जुड़ा है. यहां इस सप्ताह की शुरुआत में अडानी समूह की कोयला यूनिट ब्रावस माइनिंग एंड रिसोर्सेज के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई.
मामला ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड राज्य स्थित कारमाइकल कोयला खदान से जुड़ा है. यहां इस सप्ताह की शुरुआत में अडानी समूह की कोयला यूनिट ब्रावस माइनिंग एंड रिसोर्सेज के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई. समाचार एजेंसी ‘Reuters’ की रिपोर्ट के अनुसार, सांस्कृतिक संरक्षकों के समूह ‘नागाना यारबायन वांगन’ ने नस्लीय भेदभाव का आरोप लगाते हुए यह शिकायत मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराई है.
समूह के वरिष्ठ सांस्कृतिक संरक्षक एड्रियन बुरागुब्बा ने अपने बयान में बताया कि अडानी ग्रुप के कर्मचारियों ने आदिवासी समूहों के साथ ‘भेदभाव’ किया. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने आदिवासी समूह के सदस्यों को कारमाइकल कोयला खदान के पास झरनों तक पहुंचने पर ‘मौखिक और शारीरिक रूप से बाधा डालने और रोकने की कोशिश की’.
उन्होंने कहा,
“हम कई सालों से अडानी की कंपनी से तिरस्कार सह रहे हैं. लेकिन इसे हम अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे. पिछले साल हमारे वकीलों ने चिंता जताते हुए समूह को नोटिस भेजा था, लेकिन कंपनी ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था. कानूनी रास्ता ही हमारा एकमात्र हथियार है.”
इन आरोपों पर ब्रावस माइनिंग एंड रिसोर्सेज के प्रवक्ता का बयान भी आया है. उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया है. बयान में कहा गया है कि यह कंपनी को अपना पक्ष बताने और जनता को तथ्यों को जानने से रोकने का एक प्रयास था. कंपनी ने कहा कि वे क्वींसलैंड और ऑस्ट्रेलियाई कानून के अंतर्गत जिम्मेदारी से काम कर रहे हैं. ग्रुप ने ये भी कहा कि उसे ऑस्ट्रेलियाई मानवाधिकार आयोग से शिकायत से जुड़ा कोई नोटिफिकेशन नहीं मिला है.
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वर्षों से चल रहा है विरोधऑस्ट्रेलिया में आदिवासी समुदाय और पर्यावरण संरक्षकों का अडानी समूह से कई वर्षों से टकराव रहा है. साल 2017 के जून में अडानी की कोयला खदान परियोजना को हरी झंडी मिली थी. लेकिन इस परियोजना का विरोध करने वालों ने इसे पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया था. जबकि इसका समर्थन करने वालों ने तर्क दिया कि इससे लोगों को नौकरियां मिलेंगी.
मामले का एक और पहलू है. बीबीसी ने साल 2018 में अडानी को ऑस्ट्रेलिया में मिली इस परियोजना को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी थी. इसमें उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन मंत्री मैथ्यू कैनवन का बयान भी था. उन्होंने तब कहा था,
गौतम अडानी की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं“किसी दूसरे देश की तरह ऑस्ट्रेलिया में भी एक छोटा तबका ऐसा है जो नहीं चाहता कि विदेशी यहां आएं. मुझे लगता है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि पर्यावरण आंदोलनकारी ऑस्ट्रेलियाई सोसायटी में विदेशियों, विदेशी निवेश के खिलाफ नस्लभेद की भावना को हवा दे रहे हैं. ये शर्मनाक है. लेकिन वो ऐसा कर रहे हैं.”
अडानी ग्रुप और उसके चेयरमैन गौतम अडानी के लिए नई मुश्किलें 21 नवंबर को शुरू हुईं. अमेरिका के न्याय विभाग ने भारतीय उद्योगपति पर घूसखोरी और धोखाधड़ी के आरोप तय किए हैं. इन आरोपों के मुताबिक, गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी ने सोलर प्लांट से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को 21 अरब रुपये से अधिक की रिश्वत देने का वादा किया था.
इन आरोपों को लेकर अडानी समूह के प्रवक्ता ने बयान जारी किया. उन्होंने इनका खंडन किया है और इन्हें आधारहीन बताया है. अमेरिका के इन आरोपों के बाद केन्या ने अडानी समूह के दो बड़े प्रस्तावित प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया था. ये प्रोजेक्ट करीब 21 हज़ार करोड़ रुपये के थे.
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