खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने कथित तौर पर पंजाब में हिंसा की है. अमृतसर के अजनाला थाने की घटना है. आरोप है कि अमृतपाल सिंह के कई समर्थकों ने तलवारों और बंदूकों के साथ पुलिस बैरिकेड़स पर हमला किया. उसे तोड़ दिया. साथ ही कुछ पुलिसकर्मियों पर भी हमला करने की खबरें और जानकारियां सामने आ रही हैं.
2 हजार लोगों के साथ थाने में घुसा अमृतपाल सिंह कौन है?
तलवारों और बंदूकों के दम पर 'खालिस्तानी' अमृतपाल ने थाने को कब्जे में ले लिया!
ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि किडनैप और हमले के केस में पुलिस ने अमृतपाल सिंह के सहयोगियों लवप्रीत तूफान और बलदेव सिंह को अरेस्ट कर लिया था. और पुलिस थाने पर हिंसा करने वाले लोग इस अरेस्ट का विरोध कर रहे थे. इस भीड़ में अमृतपाल सिंह भी शामिल था. सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक, अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों ने अमृतपाल सिंह को अरेस्ट करने की मांग की. पंजाब पुलिस ने अरेस्ट नहीं किया.
अरेस्ट करने की मांग क्यों? क्योंकि जिस केस में बलदेव और तूफान नामजद हैं, उसी केस में अमृतपाल सिंह भी नामजद है. ये केस है पंजाब के शिवसेना नेता सुधीर सूरी की हत्या का. कुल 25 लोगों के खिलाफ.
365 - किडनैपिंग
379-B - छिनैती
323 - चोट पहुंचाना
506 - धमकी देना
148 - बलवा करना
149 - गैरकानूनी जमावड़ा करना
अमृतपाल सिंह का इस मौके पर दिया एक बयान भी वायरल हो रहा है.उसने कहा
"FIR राजनीतिक उद्देश्य से की गई है. अगर एक घंटे में FIR वापिस नहीं ली गई, तो आगे जो होगा, उसका दोष हमें न दिया जाए. उन्हें लगता है कि हम कुछ नहीं कर सकते हैं, तो ये हमारी ताकत का प्रदर्शन है, जो जरूरी था."
अजनाला थाना क्षेत्र एक युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो चुका है. सड़कों को ब्लॉक कर दिया गया है. इस हमले में घायल 6 पुलिसकर्मियों का इलाज चल रहा है.
कौन है अमृतपाल सिंह?अमृतपाल सिंह. उम्र 29 साल. और अभी-अभी इसने एक संगठन की बागडोर संभाली है. इस संगठन का नाम है – ‘वारिस पंजाब दे’. और ‘वारिस पंजाब दे’ की कहानी जाकर जुड़ती है दीप सिद्धू से. अभिनेता और एक्टिविस्ट संदीप सिंह उर्फ़ दीप सिद्धू जो 26 जनवरी 2021 को लालक़िले पर खालसा पंथ का झंडा फहराने को लेकर ख़बरों में आए थे और 15 फ़रवरी 2022 को एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई. अपनी मौत से छह महीने पहले यानी सितंबर 2021 में सिद्धू ने ‘वारिस पंजाब दे’ की नींव रखी थी.
दीप सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल सिंह दुबई से भारत आया, और उसने इस संगठन की बागडोर सम्हाल ली. खुद को इस संगठन का मुखिया घोषित कर दिया. जबकि पहले न तो वो दीप सिद्धू से कभी मिला था, न ही उसकी मौत के बाद भी भारत ही आया था.
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