पंजाब के पठानकोट में 150 सीटों वाला एक प्राइवेट कॉलेज है. व्हाइट मेडिकल कॉलेज (White Medical College). इस कॉलेज में MBBS की पढ़ाई होती है. लेकिन पिछले 13 सालों में इस कॉलेज से अब तक कोई भी बैच ग्रैजुएट नहीं हुआ है. 2011 में इस मेडिकल कॉलेज की शुरुआत हुई थी. शुरुआत से ही यहां इंफ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी मेंबर्स की कमी रही है. इस कॉले़ज को पहले चितपूर्णी मेडिकल कॉलेज के नाम से जाना जाता था.
पठानकोट के इस मेडिकल कॉलेज से 13 साल में एक भी ग्रेजुएट नहीं, अब हाई कोर्ट ने ये आदेश दिया है
Punjab के पठानकोट स्थित White Medical College से पिछले 13 सालों में कोई भी बैच ग्रेजुएट नहीं हुआ है. इस साल के शुरुआत में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश के बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने इस कॉलेज के सभी छात्रों को दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर लेने को कहा था.
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इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ी अनोनना दत्त की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल के शुरुआत में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश के बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने इस कॉलेज के सभी छात्रों को दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर लेने को कहा था. (NMC देश की शीर्ष मेडिकल एजुकेशन रेगुलेटरी संस्था है.)
यह देश के उन दो कॉलेजों में से एक है. जिनकी घटिया इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरे मापदंडों पर परफॉर्मेंस देखते हुए कोर्ट ने पूरे MBBS बैच को ट्रांसफर करने का निर्देश दिया है. दूसरा कर्नाटक का जीआर मेडिकल कॉलेज है. चितपूर्णी कॉलेज ने अदालत के आदेश को चुनौती दी है, जबकि जीआर मेडिकल कॉलेज ने सभी छात्रों को राज्य के दूसरे मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल के मुताबिक, चितपूर्णी कॉलेज पहले भी ऐसी गलतियां करता रहा है. साल 2017 में भी तीन बैच (जिन्हें 2011, 2014 और 2016 में प्रवेश मिला था) ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. और अपना ट्रांसफर दूसरे कॉलेजों में करा लिया था.
पिछले साल अगस्त में NMC ने नौ मेडिकल कॉलेजों को 2023-24 बैच के लिए एडमिशन लेने से रोक दिया था. क्योंकि इनके फैकल्टी एनएमसी पोर्टल पर अटेंडेंस के तय मानकों को पूरा नहीं कर पाए थे. इनमें चितपूर्णी कॉलेज और जीआर मेडिकल कॉलेज शामिल थे. लिस्ट में शामिल बाकी दूसरे कॉलेजों ने अपनी कमियों को दूर किया. और अपील के बाद उन्हें छात्रों का एडमिशन लेने की अनुमति मिल गई. लेकिन चितपूर्णी और जीआर मेडिकल कॉलेज ऐसा करने में विफल रहे.
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दरअसल NMC ने चितपूर्णी कॉलेज को पहले भी नए एडमिशन लेने से रोका है. 2011 में स्थापना के बाद से कॉलेज को अब तक केवल पांच नए बैच शुरू करने की अनुमति मिल पाई है. 2011, 2014, 2016, 2021 और 2022 में. 2017 में तीन बैच के बाहर निकलने और नए दाखिले पर लगे रोक को देखते हुए केवल दो बैच (2021 और 2022 में दाखिला लेने वाले) ही अभी कैंपस में हैं. इन छात्रों ने भी कॉलेज से ट्रांसफर की मांग को लेकर कोर्ट का रुख किया है.
पिछले साल पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर NMC ने एक समिति गठित की थी. जिसमें NMC, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज और पंजाब के मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रतिनिधि शामिल थे.चितपूर्णी कॉलेज, फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज से ही अफिलिएटेड है. इस समिति ने संस्थान को बंद करने का प्रस्ताव दिया था.
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