पंजाब की ड्रग्स ऐडमिनिस्ट्रेशन अफ़सर नेहा शौरी (Neha Shoree) ने 100 करोड़ रुपये के एक ड्रग्स घोटाले (Punjab drugs scam) का खुलासा किया था. 29 मार्च, 2019 को नेहा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्या को साढ़े चार साल बीत चुके हैं, परिवार अब तक न्याय का इंतज़ार कर रहा है. नेहा के पिता, 1971 की जंग के वॉर वेटरन, रिटायर्ड कप्तान कैलाश कुमार शौरी अपनी बेटी की हत्या के दोषियों को पकड़वाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. CBI जांच की मांग कर रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि कोई सुनवाई नहीं हो रही.
पंजाब: 100 करोड़ का ड्रग स्कैम खोला तो अफसर की हत्या? परिवार के आरोप डराने वाले
100 करोड़ का ड्रग स्कैम, सरकार-माफ़िया की साझेदारी, पुलिस जांच में हेर-फेर और 32 साल की अफ़सर की हत्या की कहानी.
नेहा, मोहाली में जोनल ड्रग लाइसेंसिंग अथॉरिटी के रूप में तैनात थीं. पुलिस की क्लोज़र रिपोर्ट के मुताबिक़, बलविंदर सिंह नाम के हमलावर ने नेहा की हत्या की और उसी दिन ख़ुद को भी गोली मार ली थी. बलविंदर के अलावा किसी और व्यक्ति के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला.
बलविंदर कौन? रूपनगर के मोरिंडा में रहता था. वहीं एक केमिस्ट की दुकान चलाता था. 2009 में FDA की एक टीम ने दुकान पर छापा मारा था. अनधिकृत दवाएं बेचते हुए पाया गया, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया. नेहा उस टीम में थीं, जिसने छापा मारा था. पुलिस की थियरी कहती है कि एक दशक बाद बलविंदर ने फिर से अपनी पत्नी के नाम पर लाइसेंस मांगा, मगर उसका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया. आरोप है कि इसीलिए उसने गुस्से में नेहा की हत्या कर दी.
इंडिया टुडे के मनजीत सहगल की रिपोर्ट के मुताबिक़, नेहा के परिवार का आरोप है कि पंजाब पुलिस ने जांच को टरका दिया और जानबूझकर कुछ सबूतों को नजरअंदाज़ किया. इससे हत्या के पीछे के असली दोषी बच गए: माने ड्रग माफ़िया.
100 करोड़ के ब्यूप्रेनोर्फिन स्कैम की कहानीनेहा शौरी ने 14 जुलाई, 2018 को तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर को एक आंतरिक रिपोर्ट सौंपी थी. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने खोजा था कि प्राइवेट नशा मुक्ति केंद्र ब्यूप्रेनोर्फिन और अन्य दवाओं का दुरुपयोग करते हैं. परिवार का मानना है कि भ्रष्ट राजनेताओं, पुलिस अधिकारियों और निजी ड्रग के बीच चल रहा नेक्सस सामने न आ जाए, इस वजह से नेहा की हत्या की गई और जांच भी क़ायदे से नहीं की गई.
नेहा की हत्या इस नेक्सस को बचाने के लिए हुई या नहीं, ये जांच का विषय है. मगर नेक्सस है, इस बात की तस्दीक़ बाद में हुई जांचों में मिलती है. अलग-अलग जांचों के मुताबिक़, 2019 में पंजाब के 23 निजी नशा मुक्ति केंद्रों ने बिना किसी रिकॉर्ड के 100 करोड़ रुपये की ब्यूप्रेनोर्फिन गोलियां बेचीं. दरअसल, ब्यूप्रेनोर्फिन एक ओपिओइड एगोनिस्ट है और इसका असर अफ़ीम की तरह होता है. इसीलिए इसका इस्तेमाल नशे की तरह किया जाता है. पंजाब स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि इलाज करा रहे 17% नशेड़ी इस दवा के आदी थे.
रिपोर्ट के मुताबिक़, तब की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगे थे कि उन्होंने ब्यूप्रेनोर्फिन के ग़लत इस्तेमाल को छुपाने की कोशिश की और कथित तौर पर मामले की जांच कर रही ईडी का सहयोग भी नहीं किया. सरकार ने ब्यूप्रेनोर्फिन ख़रीद और बांटने वाले दस्तावेज़ सौंपने से इनकार कर दिया और कथित तौर पर एजेंसी को गुमराह करने के लिए आंकड़ों में भी हेराफेरी की.
सबूत देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहींनेहा के परिवार ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है. CBI जांच की मांग की है. पंजाब पुलिस पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने मामले की क़ायदे से जांच नहीं की. कैप्टन कैलाश कुमार शौरी ने इंडिया टुडे को बताया कि मामले की 20 से 22 बार सुनवाई हुई, लेकिन ज़्यादातर बार सुनवाई टाल दी गई.
कोर्ट में परिवार ने बताया है कि ये डबल मर्डर का केस है. आरोपी बलविंदर ने नेहा की हत्या की थी और उसकी हत्या किसी और ने की. कैप्टन शौरी ने बताया कि पीड़ित और आरोपी के शरीर पर मिले घावों का आकार अलग-अलग था. मतलब दो अलग-अलग हथियारों का इस्तेमाल किया गया था.
"रिवॉल्वर से गोलियां घूमने के कारण नेहा के शरीर पर जो घाव मिला, वह गोल था. लेकिन बलविंदर के शरीर पर जो घाव मिले, वे अंडाकार थे. इसका मतलब है कि उसे मारने के लिए एक अलग हथियार का इस्तेमाल किया गया था. पुलिस की थ्योरी पर शक होता है क्योंकि उनके हिसाब से आरोपी ने खुद को मारने के लिए दो गोलियां चलाईं. जो व्यक्ति पहले ही खुद को गोली मार चुका है, वो दूसरी गोली कैसे चला सकता है?"
नेहा की मां ने भी इंडिया टुडे से बातचीत में बताया कि जिन गोलियों से नेहा और बलविंदर की हत्या हुई, उसका कोई अता-पता नहीं. नेहा के फ़ोन और लैपटॉप से भी डेटा उड़ा दिया गया. नेहा की मां अरुण शौरी के कुछ सवाल हैं:
“कोई गिरफ़्तारी क्यों नहीं की गई? नेहा के सहकर्मियों से पूछताछ क्यों नहीं की गई? उसकी सुरक्षा की अनदेखी क्यों की गई? और मामले की फोरेंसिक जांच क्यों नहीं की गई?”
जांच करने वाले पंजाब पुलिस अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन वो उपलब्ध नहीं थे.