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Porsche कांड के आरोपी नाबालिग का ब्लड सैंपल बदला, आरोपी डॉक्टरों के नाम सामने आए

पुणे पोर्श कांड के नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल जिस हॉस्पिटल भेजा गया था, वहां सैंपल के साथ छेड़छाड़ किए जाने का पता चला है. आरोप है कि फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के डॉक्टर ने अपने HOD के कहने पर नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल बदल दिया था.

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ब्लड सैंपल के साथ छेड़छाड़ के आरोपी डॉ. अजय तावरे (बाएं) और डॉ. श्रीहरि हैलनोर (दाएं) (फोटो: आजतक)
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दिव्येश सिंह

पुणे पोर्श कांड (Pune Porsche Incident) में नाबालिग आरोपी के पिता और दादा के बाद तीन और गिरफ्तारियां हुई हैं. पुलिस ने दो डॉक्टरों और एक चपरासी को पकड़ा है. गिरफ्तार किए गए दोनों डॉक्टरों पर नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल के साथ छेड़छाड़ करने और सबूतों को नष्ट करने का आरोप है. वहीं चपरासी पर डॉक्टर तक रिश्वत पहुंचाने का आरोप है. तीनों आरोपियों को सोमवार, 27 मई को जिला कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 30 मई तक की पुलिस हिरासत में भेजा गया है.

डॉक्टर ने आरोपी का ब्लड सैंपल कूड़े में फेंका?

आजतक के दिव्येश सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल जांच के लिए पुणे के ससून हॉस्पिटल भेजा गया था. आरोप है कि यहां आरोपी का ब्लड सैंपल बदल दिया गया. पुलिस का कहना है कि आरोपी के ब्लड सैंपल को डस्टबिन में फेंक दिया गया था, उसकी जगह दूसरे व्यक्ति का ब्लड सैंपल इस्तेमाल किया गया. बदला गया ब्लड सैंपल किसका था, ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है. 

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पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि आरोपी के ब्लड का सैंपल लेने वाले डॉ. श्रीहरि हैलनोर को 26 मई की रात गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ कि उन्होंने फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉ. अजय तवारे के निर्देश पर आरोपी का ब्लड सैंपल बदल दिया था. ब्लड सैंपल बदलने के लिए डॉ. हैलनोर को 3 लाख रुपये मिले थे. 

बताया जा रहा है कि ससून हॉस्पिटल के ही एक चपरासी ने डॉ. अजय से पैसे लेकर डॉ. हैलनोर तक पहुंचाए थे. डॉ. हैलनोर के अलावा पुलिस ने डॉ. अजय तवारे और अमित नाम के चपरासी को गिरफ्तार कर जिला कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 30 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है.

ब्लड सैंपल के साथ छेड़छाड़ का पता कैसे चला?

पुलिस ने बताया कि बदले गए ब्लड सैंपल की जांच रिपोर्ट में एल्कोहल नहीं पाया गया था. इससे पुलिस को शक हुआ, फिर खुफिया जानकारी मिली कि ब्लड सैंपल कलेक्शन में कुछ हेर-फेर हुआ है. इसके बाद नाबालिग आरोपी का दूसरा ब्लड सैंपल लेकर जांच कराई गई. दूसरे ब्लड सैंपल में भी एल्कोहल की पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन, जब पहले और दूसरे ब्लड सैंपल का DNA टेस्ट कराया गया, तो सामने आया कि पहले और दूसरे ब्लड सैंपल का DNA मेल नहीं खा रहा है. 

इससे पता चला कि नाबालिग आरोपी के पहले ब्लड सैंपल को बदला गया. पुणे के पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना), 120 B (आपराधिक साजिश) और अन्य संबंधित धाराएं जोड़ी गई हैं. उन्होंने ये भी कहा कि आरोपी के ब्लड सैंपल में एल्कोहल की पुष्टि नहीं होने से मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ये गैर इरादतन हत्या का केस है.

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