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ममता बनर्जी का कार्टून फॉरवर्ड करना भारी पड़ा, 9 साल बाद प्रोफेसर को राहत मिली, वो भी मामूली

क्या था उस कार्टून में?

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ममता बनर्जी (बाएँ) और अम्बिकेश महापात्रा. (फोटो - इंडियन एक्सप्रेस)
अंबिकेश महापात्रा. पश्चिम बंगाल की नामी जादवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर. केमिस्ट्री पढ़ाते हैं. इन्हें 9 साल पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कार्टून फॉरवर्ड करना इतना भारी पड़ गया कि आज तक कोर्ट के चक्करों से छुटकारा नहीं मिल सका है. हालांकि अब जाकर एक मामूली राहत जरूर मिली है. वो ये कि पश्चिम बंगाल के नार्थ 24 परगना कोर्ट ने प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा पर लगी IT एक्ट की धारा 66A को हटाने के निर्देश दिए हैं. मामला क्या है? अंबिकेश महापात्रा ने 2012 में ममता बनर्जी का एक कार्टून इंटरनेट पर फॉरवर्ड किया था. इस पर काफी विवाद हो गया था. खुद ममता बनर्जी बेहद खफ़ा हो गई थीं. ममता का कहना था कि उस कार्टून में उनकी हत्या की साजिश छुपी हुई थी.
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दरअसल प्रोफेसर महापात्रा को एक इमेल के जरिये एक कार्टून सीक्वेंस भेजा गया था. ये कार्टून प्रसिद्ध फिल्ममेकर सत्यजीत राय की फिल्म 'सोनार केल्ला' पर आधारित थे. इन कार्टून सीक्वेंस में उस समय के रेल मंत्री रहे दिनेश त्रिवेदी को हटाकर मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाए जाने का मजाक उड़ाया गया था. रिपोर्टों के मुताबिक, इसी को लेकर ममता बनर्जी नाराज हो गई थीं.
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. (तस्वीर- पीटीआई)

पहले तो प्रोफेसर महापात्रा को केवल पूछताछ के बाद रिहा कर दिया गया था. लेकिन बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया और IPC समेत IT एक्ट की धाराएं उन पर लगा दी गईं. प्रोफेसर का कहना था कि गिरफ्तारी से पहले TMC कार्यकर्ताओं ने घर में घुसकर उनके साथ जमकर मारपीट भी की थी.
जादवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने महापात्रा की गिरफ़्तारी का विरोध किया था. वहीं, 3 साल बाद 2015 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार को आदेश के तहत प्रोफेसर को 50 हजार रुपये बतौर मुआवज़ा देने को कहा था. बाद में इसे बढ़ाकर 75 हजार रुपये कर दिया गया. हालांकि प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा का दावा है कि उन्हें ये मुआवजा आज तक नहीं मिला है.
केस में नया क्या हुआ? 2012 के इस केस में IT Act का सेक्शन 66A लगाया गया था. इस सेक्शन को 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य करार दिया था. लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी सेक्शन 66A का इस्तेमाल होता रहा तो इसी साल जुलाई में शीर्ष अदालत ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई. बाद में केंद्र सरकार ने आदेश जारी करते हुए 66A के तहत दर्ज सभी केसों को हटाने के निर्देश दिए.
इसके बाद कोलकाता की अदालत ने भी महापात्रा पर IT एक्ट का सेक्शन 66A हटा दिया. हालांकि इसके बाद भी उनकी मुश्किलें पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं. उन पर IPC की धाराएं अभी भी लग सकती हैं. इस बाबत नॉर्थ 24 परगना कोर्ट ने कहा है कि वो 17 नवंबर को सुनवाई कर तय करेगा कि महापात्रा पर धारा 500 और धारा 509 लगाई जा सकती हैं या नहीं, या क्या उन्हें सभी धाराओं से मुक्त किया जा सकता है.

(आपके लिए ये ख़बर हमारे साथी दीपेंद्र ने लिखी है.)