"ऐसा संसदीय इतिहास में पहली बार हुआ है, जब पिछले सत्र के व्यवहार का हवाला देकर वर्तमान सत्र में सांसदों के खिलाफ कार्रवाई हुई हो. साथ ही साथ ये जो कार्रवाई हुई है, उसमें सबसे अधिक संख्या महिला सांसदों की है. ये भी पहली बार हुआ है, जब इतनी बड़ी संख्या में महिला सांसदों के खिलाफ कार्रवाई हुई हो. मेरा कहना ये है कि मैं संसद टीवी के शो में महिलाओं की बात करती थी और अब उसी संस्था ने मुझे कथित अमर्यादित व्यवहार के नाम पर निलंबित कर दिया है. संसद में मैंने महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई बहसों में हिस्सा लिया है. महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए हैं. ऐसे में बहिष्कार के बाद मुझे लगा कि मुझे इस देश के लोगों के साथ खड़ा होना है, महिलाओं के साथ खड़ा होना है. ऐसे में मैंने एंकर पद से इस्तीफा दे दिया."'विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है' प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि उन्होंने सभी सांसदों के निलंबन के खिलाफ संसद में भी आवाज उठाई थी. उनके मुताबिक, ये निलंबन पूरी तरह से मनमाना है और विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए किया गया है. उन्होंने आगे कहा,
"पिछले एक साल से जब से मैं संसद में हूं, तो मैंने देखा और महसूस किया है कि विपक्ष की आवाज को दबाया जाता है. विपक्ष के सांसदों को अपनी बात रखने का समय और स्पेस नहीं दिया जाता. असहमति को दबाया जाता है. ऐसा माहौल बनाया जाता है कि किसी विषय पर सार्थक चर्चा ना हो पाए. आए दिन असहमति रखने वाले सांसदों को निलंबित कर दिया जाता है. लगभग हर दिन संसदीय लोकतंत्र की परिपाटियों का उल्लंघन किया जाता है."प्रियंका चतुर्वेदी ने यह भी आरोप लगाया कि एक तरफ सत्ता पक्ष महिला उत्थान और सशक्तिकरण की बात करता है और दूसरी तरफ संसद में महिला सांसदों की आवाज को दबाया जा रहा है. उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके शो को कोई दूसरी महिला ही एंकर करेगी और जिस तरह से उन्होंने शो के जरिए महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाया, उसी तरह से ये सिलसिला जारी रहेगा. प्रियंका चतुर्वेदी के मुताबिक, महिला सशक्तिकरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से भी ऊपर है और वे इसी मानसिकता के साथ उस शो को एंकर कर रही थीं.
राज्यसभा सांसद Priyanka Chaturvedi महिलाओं के मुद्दों पर हमेशा से मुखर रही हैं. (फोटो: विशेष इंतजाम)
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मानसून सत्र के दौरान संसद की कार्रवाई में बाधा डालने के आरोप में इस बार 12 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया है. ये सांसद संसद के पूरे शीतकालीन सत्र से निलंबित रहेंगे. इन सांसदों में कांग्रेस के 6, टीएमसी और शिवसेना के दो-दो, और सीपीआई एवं सीपीएम के एक-एक सांसद शामिल हैं. विपक्ष की तरफ से निलंबन की इस प्रक्रिया को अलोकतांत्रिक बताया गया है. वहीं निलंबित किए गए सांसद परिसर के अंदर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इन सांसदों का कहना है कि निलंबन वापस लिए जाने तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.