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पोप फ्रांसिस का निधन, 88 साल की उम्र में वेटिकन में ली अंतिम सांसें

Pope Francis Death News: कार्डिनल केविन फैरेल ने इसकी आधिकारिक सूचना दी. फैरेल ने कहा रोम के पोप फ्रांसिस, फादर (ईश्वर) के घर लौट गए. उन्होंने कहा कि पोप फ्रांसिस का पूरा जीवन प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था.

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वेटिकन के कैमरलेन्गो ने आधिकारिक तौर पर पोप फ्रांसिस के निधन की घोषणा की है. (फ़ोटो - AP)

पोप फ्रांसिस का सोमवार, 21 अप्रैल की सुबह निधन हो गया (Pope Francis Death News). वे 88 वर्ष के थे. वेटिकन के कार्डिनल केविन फेरेल ने इसकी आधिकारिक सूचना दी. बता दें कि कार्डिनल केविन फैरेल पवित्र रोमन चर्च के कैमरलेन्गो हैं. फैरेल ने कहा रोम के पोप फ्रांसिस, फादर (ईश्वर) के घर लौट आए. उन्होंने कहा कि उनका पूरा जीवन प्रभु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था. फैरल ने आगे,

“उन्होंने हमें सुसमाचार (गॉस्पेल) के मूल्यों को निष्ठा, साहस और प्रेम के साथ जीना सिखाया. विशेष रूप से सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए. प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य के रूप में हम पोप फ्रांसिस की आत्मा को ईश्वर को सौंपते हैं."

बता दें कि पोप फ़्रांसिस पिछले काफी दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. 14 फरवरी को उन्हें रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था. शुरुआती जांच में पता चला कि उनके ‘ब्रॉन्काइटिस’ के लक्षण बढ़ गए थे. डीटेल्ड जांच में पता चला कि उनके दोनों फेफड़ों में निमोनिया था. इस कंडीशन को डबल निमोनिया कहा जाता है. सर्दी के मौसम में पोप को ब्रॉन्काइटिस होने का ख़तरा बना रहता था. इससे पहले भी मार्च 2023 में भी उन्हें ब्रॉन्काइटिस की समस्या के चलते तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था. 23 फ़रवरी को वैटिकन से एक बयान आया-उसमें कहा गया कि पोप की हालत गंभीर बनी हुई है. और, ब्लड टेस्ट में किडनी फेलियर के लक्षण मिले हैं.  

पोप कौन होता है?

ईसा मसीह के बाद कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े पद को पोप कहा जाता है. पोप लफ़्ज़ का मतलब होता है पापा यानी पिता. वेटिकन सिटी से ही पोप का राजकाज चलता है. ईसा मसीह के 12 शिष्य थे. उनमें से एक, सेंट पीटर को, रोम का बिशप बनाया गया. छठी शताब्दी तक पापा शब्द पर सिर्फ़ रोम के बिशप का हक़ नहीं था. कुछ और भी सम्मानित पादरी इसे इस्तेमाल करते थे. छठी शताब्दी में रोम के बिशप से ही ये शब्द जोड़ दिया गया. इसके बाद इस शहर के बिशप को बाक़ी सबसे ऊपर माना गया. सेंट पीटर के बाद से ही पद हैंडओवर होता रहा. साल 2013 में पोप फ्रांसिस को ये पद मिला था. 

पोप का चुनाव कैसे होता है?

पोप के निधन के बाद सवाल उठने लगे हैं कि अगला पोप कौन होगा और उसका चुनाव कैसे होगा. 11वीं सदी से पहले तक इसके लिए पादरी और उपासक-दोनों के पॉपुलर ओपिनियन को तरज़ीह दी जाती थी. जाहिर है, इससे मतभेद भी पैदा होते थे. पोप के बरक्स एक एंटीपोप भी हुआ करता था—यानी एक ऐसा शख़्स जो पोप की सीट पर दावा करता हो. फिर 11वीं सदी में पोप निकोलस द्वितीय ने एक डिक्री जारी की. इसके तहत चुनाव का प्रॉसेस तैयार हुआ. कालांतर में बहुत से नियम जोड़े-घटाए गए. 

(यह भी पढ़ें: पोप फ्रांसिस के निधन के बाद कैसे चुना जाएगा अगला पोप? इन 5 नामों पर हो रही है चर्चा

पोप के चुनाव की प्रक्रिया

चुनाव के लिए कार्डिनल्स का एक कॉलेज है. पोप के इलेक्शन में ये कार्डिनल वोट देते हैं. लेकिन इनमें से 80 साल से ज्यादा उम्र के सदस्य वोट नहीं दे सकते. कैथोलिक ईसाइयों में कार्डिनल्स का बहुत अहम स्थान होता है. दुनिया भर में ऐसे 252 कार्डिनल हैं. इनमें से छह भारत के हैं. ये कार्डिनल उस देश में कैथलिक धर्म के बड़े गुरु के समान होते हैं. कार्डिनल के सभी सदस्य टेक्निकली ख़ुद भी चुनाव के उम्मीदवार होते हैं. चुने जाने के बाद पोप के पद के लिए कोई टर्म नहीं होती. वो ताउम्र पोप रहते हैं. लेकिन पिछले पोप बेनेडिक्ट ने 2013 में पद से इस्तीफा दे दिया था. तब 600 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी पोप ने खुद पद छोड़ा. उसके बाद ही मौजूदा पोप फ्रांसिस का चुनाव हुआ था. 

वीडियो: वेटिकन में नए पोप का चुनाव कैसे होता है? काले और सफेद धुएं का क्या है कनेक्शन?