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इधर PM मोदी मॉस्को रवाना हुए, उधर रूस ने खुशी में पूरे पश्चिम को 'जलाने' वाली बात कह दी

PM Modi दो दिन के रूस दौरे पर मॉस्को पहुंचे हैं. Russia-Ukraine युद्ध शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री का ये पहला रूस दौरा है.

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भारत-रूस के बीच ये 22वीं वार्षिक समिट है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

प्रधानमंत्री मोदी रूस के दौर पर निकल गए हैं. 8 जुलाई की शाम पीएम मॉस्को पहुंचे. अपने तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री का पहला रूस दौरा है. ये दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पीएम मोदी पहली बार रूस पहुंचे हैं. इस बीच क्रेमलिन की तरफ से आए बयान में कहा गया है कि पीएम मोदी के इस दौरे से पश्चिमी देशों को जलन हो रही है.

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने रूस के सरकारी टीवी चैनल VGTRK से बात करते हुए पश्चिम पर ये आरोप लगाया. उन्होंने कहा-

उन्हें ईर्ष्या हो रही है. इसका मतलब है कि वे इस दौरे पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं. यानी वे इस दौरे को बहुत महत्व देते हैं. और वे ग़लत नहीं हैं, महत्व तो देना ही चाहिए.

पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति के न्योते पर 22वें भारत-रूस सालाना शिखर वार्ता के लिए रूस गए हैं. प्रधानमंत्री दो दिन रूस में बैठकें करेंगे. क्रेमलिन पीएम मोदी के इस दौरे के लिए काफी उत्साहित नजर आ रहा है. पेस्कोव ने ये भी कहा-

जाहिर तौर दोनों देशों की वार्ता का एजेंडा काफी विस्तृत है. पीएम मोदी का ये आधिकारिक दौरा है लेकिन हमें उम्मीद है कि दोनों देशों के नेता अनौपराचिक स्तर पर भी वार्ता करेंगे.

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि रूस और भारत के संबंध बेहद प्रगाढ़ रहे हैं. आज़ादी के बाद से ही रूस भारत के लिए एक जिम्मेदार दोस्त की भूमिका निभाता रहा है. बीते  दशक में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत का झुकाव अमेरिका की तरफ बढ़ा है. लेकिन रूस की अहमियत कम नहीं हुई. 2022 में रूस ने जब यूक्रेन पर हमला किया तो विश्व के सभी बड़े देशों ने इसकी निंदा की. सिवाय भारत के. नई दिल्ली की तरफ से हमेशा यही बयान जारी किया गया कि रूस और यूक्रेन को बातचीत से ही मसला सुलझाना चाहिए.

प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बात की. दोनों देशों से शांति बरतने की अपील की. लेकिन किसी एक देश का पक्ष लेने से बचे. हालांकि इस बीच पश्चिम के प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने रूस से ज्यादा तेल खरीदना शुरू कर दिया. पश्चिमी देशों ने इस पर एतराज जताया लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कड़े शब्दों में जवाब दिया. 

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