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महंगाई, बेरोजगारी और नई नौकरियों पर क्या बोले पीएम मोदी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि बुनियादी ढांचे का निर्माण जिस तेजी से हो रहा है वो पहले नहीं देखा गया और सभी क्षेत्र 10 साल पहले की तुलना में बहुत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.

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पीएम ने बताया कि 2014 की स्थिति की तुलना में अगर सड़कों का निर्माण दोगुना हो गया, क्या इससे और अधिक नौकरियां पैदा नहीं हुई होंगी? (फोटो- इंडिया टुडे)

“मैं जब कुछ शुरू करता हूं तो मुझे आखिरी बिंदु पता होता है, लेकिन मैं कभी ब्लूप्रिंट का ऐलान नहीं करता. मैं बड़े कैनवस पर काम करता हूं.”

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बात इंडिया टुडे को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कही. पीएम मोदी ने इंटरव्यू में रिकॉर्ड कृषि पैदावार से लेकर एशियाई खेलों में एथलीट्स के प्रदर्शन पर बात की. साथ ही उन्होंने स्टार्ट-अप और रोजगार से जुड़े सवालों पर भी अपनी बात रखी.

इंटरव्यू में रोजगार और नौकरियों के सृजन से जुड़े सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि ये सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है. उन्होंने बताया,

“जहां तक नौकरियों के सृजन की बात है, ये सरकार की सबसे शीर्ष प्राथमिकता रही है. हमारे सभी प्रयास इसी दिशा में हैं. सब जानते हैं कि बुनियादी ढांचे में निवेश का वृद्धि और रोजगार पर कई प्रकार से असर पड़ता है. इसलिए हमने पूंजी निवेश पर खर्च लगातार बढ़ाया है.”

पीएम मोदी ने आगे बताया,

“2023-24 के बजट में पूंजी निवेश बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया, जबकि 2013-14 में ये 1.9 लाख करोड़ रुपए था. मेरा मानना है कि आपको अपने पाठकों को बताना चाहिए कि ये खर्च कैसे उत्पादक है और कैसे आम आदमी के लिए इतने सारे अवसर पैदा करता है.”

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि बुनियादी ढांचे का निर्माण जिस तेजी से हो रहा है, वो पहले नहीं देखा गया और सभी क्षेत्र 10 साल पहले की तुलना में बहुत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा,

“जब भारत 10 सालों से भी कम समय में मेट्रो लाइन की लंबाई को 248 किलोमीटर से 905 किलोमीटर पर ले गया, क्या इससे अधिक नौकरियां पैदा नहीं हुई होंगी? जब भारत 10 सालों से भी कम समय में हवाई अड्डों की संख्या 74 से 149 पर ले गया, क्या इससे अधिक नौकरियां नहीं पैदा हुई होंगी?”

पीएम ने बताया कि 2014 की स्थिति की तुलना में अगर सड़कों का निर्माण दोगुना हो गया, क्या इससे और अधिक नौकरियां पैदा नहीं हुई होंगी? उन्होंने बताया कि श्रम बल भागीदारी दर भी बढ़ी है. साल 2018-19 में ये 50.2 फीसदी से 2022-23 में 57.2 फीसदी पर पहुंच गई. 

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