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PM मोदी ने संसद में 'मिच्छामि दुक्कड़म' बोल किससे मांगी माफी, मतलब क्या है इसका?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में माफी मांगी है. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि वे पूरी विनम्रता से सभी से माफी मांगते हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में 'मिच्छामि दुक्कड़म' कहा, इसका मतलब माफी मांगना होता है. (फोटो क्रेडिट - संसद टीवी)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने नए संसद भवन (New Parliament House of India) के अपने पहले संबोधन में सभी सांसदों और देशवासियों को ‘मिच्छामि दुक्कड़म’ कहा है.

19 सितंबर को नए संसद भवन में सदन की कार्यवाही का पहला दिन है. इस दिन गणेश चतुर्थी के साथ साथ जैन धर्म का संवत्सरी पर्व भी है जिस दिन एक-दूसरे को ‘मिच्छामि दुक्कड़म’ कहने की परंपरा है. इसका अर्थ होता है- अपनी भूल के लिए माफी मांगना.

प्रधानमंत्री ने सदन में कहा,

“ये पर्व मन, कर्म, वचन से अगर जाने-अनजाने किसी को भी दुख पहुंचाया है तो उससे माफी मांगने का दिन है. मेरी तरफ से भी पूरी विनम्रता के साथ पूरे हृदय से आप सभी को, सभी सांसद सदस्यों को और सभी देशवासियों को मिच्छामि दुक्कड़म. आज जब हम एक नई शुरुआत कर रहे हैं तो हमें अतीत की हर कड़वाहट को भुलाकर आगे बढ़ना होगा.”

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क्या है मिच्छामि दुक्कड़म?

मिच्छामि दुक्कड़म प्राचीन भारत की प्राकृत भाषा का शब्द है.. इसमें ‘मिच्छामि’ का मतलब है ‘माफी मांगना’ और ‘दुक्कड़म’ का अर्थ है ‘बुरे काम और भूल-चूक’. इसका मतलब है, जाने-अनजाने में कोई भूल हुई हो तो माफ करें. इस जैन परंपरा का दर्शन यह है कि,

"मैं सभी लोगों से माफी मांगता हूं. वे सभी मुझे माफ करें. मैं सभी लोगों से दोस्ती रखूं और मेरी किसी से दुश्मनी न हो."

जैन समुदाय के लोग अपने त्यौहार पर्यूषण के आखिरी दिन अपने दोस्तों और परिवार को मिच्छामि दुक्कड़म कहते हैं. यह पुरानी कड़वाहट को भुलाकर नई शुरुआत करने का दिन है.

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण शुरू करते हुए चंद्रयान 3 के सफल लॉन्च का जिक्र किया. साथ ही उन्होंने G20 समिट के सफल आयोजन के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा,

"इन दोनों घटनाओं के आलोक में आधुनिक भारत और प्राचीन लोकतंत्र के प्रतीक के रूप में नए संसद भवन में आज से कार्यवाही शुरू हो रही है."

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे विपक्ष पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा,

"अभी चुनाव तो दूर हैं. जितना समय हमारे पास बचा है, मैं पक्का मानता हूं कि यहां जो व्यवहार होगा ये निर्धारित करेगा कि कौन यहां बैठने के लिए व्यवहार करता है और कौन वहां बैठने के लिए व्यवहार करता है."

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पेश हुआ 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम'

प्रधानमंत्री ने यहां महिला आरक्षण विधेयक के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा,

"बहुत समय से महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा हो रही है. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी इसे कई बार सदन में पेश किया गया. लेकिन तब विधेयक को पास कराने के लिए बहुमत नहीं था. इसके चलते ये सपना पूरा नहीं हो सका. आज, भगवान ने मुझे ये मौका दिया है कि मैं इसे आगे बढ़ा सकूं. हमारी सरकार आज ही दोनों सदनों में महिला आरक्षण के लिए विधेयक लेकर आएगी."

इसके बाद केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया. इसका नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम है. 

इसके विधेयक के ज़रिए लोकसभा में महिलाओं की संख्या कम से कम 181 हो जाएगी. बिल पर 20 सितंबर को चर्चा की जाएगी. 

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