The Lallantop

ये कानून पास हो गया तो फिलीपीन्स में भी लोग ले सकेंगे तलाक

फ़िलिपीन्स में तलाक़ 'ग़ैर-क़ानूनी' है. दुनिया में मात्र दो ही ऐसे देश हैं: फ़िलिपीन्स और वैटिकन सिटी. हाल ही में फ़िलिपीन्स के निचले सदन ने तलाक़ को क़ानूनी दर्जा देने के लिए एक बिल पास किया है. इसके बाद से तलाक़ के अधिकार पर चर्चा-विमर्श शुरू हो गया है.

post-main-image
फिलीपीन्स में तलाक है गैरकानूनी

साउथ चाइना समुद्र में एक देश पड़ता है, फ़िलिपीन्स. यहां तलाक़ 'ग़ैर-क़ानूनी' है. दुनिया में मात्र दो ही ऐसे देश हैं: फ़िलिपीन्स और वैटिकन सिटी. हाल ही में फ़िलिपीन्स के निचले सदन ने तलाक़ को क़ानूनी दर्जा देने के लिए एक बिल पास किया है. इसके बाद से तलाक़ के अधिकार पर चर्चा-विमर्श शुरू हो गया. इसीलिए समझने की बात है कि आख़िर क्यों इन दोनों देशों में तलाक़ बैन है? और, क्या है फ़िलिपीन्स का तलाक़ क़ानून?

चर्च क्यों नहीं होने देता तलाक़?

पहले पेच समझ लेते हैं. दरअसल, कैथलिक चर्च ऐसा मानता है कि विवाह एक पवित्र रिश्ता है. ईश्वर (God), दंपत्ति और समाज से किया गया एक पवित्र वादा है. इसलिए तलाक़ सामान्य प्रक्रिया नहीं हो सकती. कुछ विशेष परिस्थितियों में गुंजाइश रहती है. अलग होने के कुछ विशेष प्रावधान हैं. मगर इसे तलाक़ नहीं कहते. वॉइड (Void) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. मोटे तौर पर इसता मतलब होता है कि विवाह मान्य ही नहीं है.

ये भी पढ़ें -बारिश का इंतजार करते हुए कभी सोचा है मानसून केरल से ही क्यों शुरू होता है?

कैथोलिक मान्यता वाले अलग-अलग देशों ने अपनी ज़रूरत के हिसाब से क़ानून अपनाया है. पहले बड़ी कैथोलिक आबादी वाले कई देशों ने अपने यहां क़ानूनी तलाक़ को मान्यता दे दी है. जैसे 80 और 90 के दशक में स्पेन, अर्जेंटीना और आयरलैंड ने.

फ़िलिपीन्स में तलाक़ कैसे होता है फिर?

देश में कैथोलिक आबादी मेजॉरिटी में हैं. 2020 के सेंसस के मुताबिक़, 78.8%  जनसंख्या कैथलिक ईसाइयत को मानती है. जबकि 6.4% के क़रीब मुसलमान रहते हैं.

16वीं सदी में स्पेन ने फिलीपीन्स को अपना उपनिवेश बनाया. इसके पहले इन द्वीपों में तलाक एक आम प्रथा थी. लेकिन स्पेन के काल में इसमें बदलाव किए गए. एक बड़ी आबादी कैथलिक ईसाइयत को मानने लगी. अमेरिकी औपनिवेशिक काल (1898-1946) और जापानी क़ब्जे़ (1942-45) के दौरान भी तलाक़ की अनुमति दी गई. लेकिन 1950 में फिलिपीन्स सिविल कोड पास हुआ औप इसके बाद तलाक़ बैन कर दिया गया.

फिर तलाक़ नहीं तो क्या? तलाक़ का नियम तो है नहीं. लेकिन दूसरा प्रावधान है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, लीगल सेपरेशन और अनलमेंट (annulment) नाम के दो तरीक़े हैं.

- लीगल सेपेरशन में पति और पत्नी अलग रह सकते हैं, लेकिन ये तलाक़ नहीं है. मतलब किसी और से शादी नहीं की जा सकती.

- जबकि अनलमेंट के मामले में शादी को वॉइड (void) कर दिया जाता है. मतलब कि जैसे शादी कभी हुई ही नहीं थी.

ऐसा नहीं है कि पहले क़ानूनी रूप देने के प्रयास नहीं हुए. लेकिन सफलता न मिली. अब एक बिल पास हो गया है. बिल अगस्त में सीनेट में जाएगा और क़ानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंज़ूरी चाहिए होगी. विधेयक पेश करने वाले प्रतिनिधि एडसेल लैगमैन ने कहा कि इस बिल का पारित होना शादी और रिश्तों के प्रति समाज के नज़रिए में एक ज़रूरी बदलाव आएगा.

वैटिकन में क्या सिस्टम है?

ये कैथलिक ईसाइयत का गढ़ है. यहां भी अनलमेंट (रद्दीकरण) की ही प्रक्रिया है. इसमें कैथोलिक चर्च की न्यायाधिकरण प्रणाली से गुज़रना होता है. इसमें मानसिक अक्षमता या समारोह के समय सच्ची सहमति जैसे कारणों के हवालों से ये तय किया जाता है कि विवाह पहले कभी वैध था या नहीं. रद्दीकरण प्राप्त करना बहुत मुश्किल है.

 

यह स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे नवनीत ने लिखी है

वीडियो: इस गर्मी का क्या करें...