पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने 28 सितंबर को जानकारी दी कि उन्होंने संगठन को बंद कर दिया है. इससे पहले केंद्र सरकार ने PFI को आतंकवादी संगठन घोषित करते हुए उस पर बैन लगा दिया था. PFI के केरल स्टेट जनरल सेक्रेटरी अब्दुल सत्तार की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि देश के नागरिक होने के नाते वो कानून का सम्मान करते हैं और गृह मंत्रालय के फैसले को स्वीकार करते हैं.
सरकार ने बैन लगाया, PFI ने बताया अब क्या करेंगे?
PFI के केरल महासचिव अब्दुल सत्तार ने कहा कि वो गृह मंत्रालय के फैसले को स्वीकार करते हैं.
PFI की तरफ से जारी बयान में अब्दुल सत्तार ने लिखा,
“PFI तीन दशकों से समाज के दबे हुए वर्गों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के स्पष्ट मकसद के साथ काम करता रहा है. पर हम इस महान देश के कानून मानने वाले नागरिक हैं, इसलिए संगठन गृह मंत्रालय के फैसले को स्वीकार करता है. संगठन से जुड़े रहे सभी पूर्व सदस्य और आम जनता का अब पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से कोई संबंध नहीं है. PFI के सभी सदस्यों से निवेदन है कि इस नोटिफिकेशन के छपने के साथ ही अपनी सारी गतिविधियां रोक दें.’’
27 सितंबर को गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी करके PFI और उससे जुड़ी संस्थाओं पर बैन लगाने की जानकारी दी. ये कार्रवाई अनलॉफुल एक्टिविटीज़ (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA) के तहत की गई है और बैन बैन पांच साल के लिए लगाया गया है. रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF) और कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया दो चर्चित संगठन हैं जो PFI से जुड़े हुए थे.
बैन से पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने PFI के खिलाफ ताबड़तोड़ छापेमारी कर उसके कई पदाधिकारियों की गिरफ्तारी की थी. 22 और 27 सितंबर को NIA, ED और राज्यों की पुलिस ने PFI के ठिकानों पर छापेमारी की थी. पहले राउंड की छापेमारी में PFI से जुड़े 106 लोग गिरफ्तार हुए थे. वहीं दूसरे राउंड की छापेमारी में 247 लोग गिरफ्तार हुए या हिरासत में लिए गए. जांच एजेंसियों का दावा है कि उन्हें PFI के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं. इसके बाद गृह मंत्रालय ने PFI को UAPA के तहत 'गैरकानूनी' संगठन घोषित किया है.
वीडियो- PFI पर पांच साल का बैन लगा, गृह मंत्रालय ने कहा- वर्ग विशेष को कट्टर बना रहा