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भारत में अब तक बस चुके हैं इतने पाकिस्तानी-बांग्लादेशी, और जगहों से भी बहुत लोग आए हैं

भारत में जन्मे 1.86 करोड़ लोग विदेश में रह रहे हैं. मगर सप्लाई साइड में पाला कमज़ोर है, और रिसर्च सेंटर में इसके कारण भी बताए गए हैं.

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कोरोना के वक़्त प्रवासी मसले पर गहरी चिंता व्यक्त की गई थी. (फ़ोटो - रॉयटर्स)

अमेरिकी थिंक टैंक PEW रिसर्च सेंटर ने प्रवासियों और मज़हब के मुद्दे पर एक स्टडी छापी है. इसके मुताबिक़, भारत दुनिया भर के प्रवासियों का एक प्रमुख स्रोत है. 2020 की स्थिति ऐसी थी कि भारत में जन्मे 1.86 करोड़ लोग विदेश में रह रहे थे. हालांकि, ये तो सप्लाई साइड है. डिमांड साइड में माइग्रैंट्स के लिए भारत 14वें स्थान पर आता है.

- साल 2023 में भारत ने आबादी के मामले में चीन को पछाड़ दिया. सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया. दुनिया भर में जितने प्रवासी हैं, उनमें एक बड़ा हिस्सा भारतीयों का है. मगर प्रवासियों के आने के मामले में भारत 14वीं चॉइस है. भारत से जाने वालों की संख्या भारत आने वालों की तुलना में लगभग चार गुना ज़्यादा है.

- विदेश में जो भारतीय पैदा हो रहे हैं - यानी वहीं पैदा हुए भारतीय मूल के व्यक्ति - उनमें सबसे आम देश बांग्लादेश और पाकिस्तान हैं. 

  • बांग्लादेश में 26 लाख भारतीय जन्मे हैं और पाकिस्तान में 8.7 लाख. 
  • इसके बाद नेपाल (7.7 लाख), श्रीलंका (1.9 लाख) और चीन (1.1 लाख) आते हैं.

1990 के बाद से बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले प्रवासियों की संख्या घटी है, जबकि नेपाल और चीन से आने वाले प्रवासियों की संख्या बढ़ी है. बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए प्रवासियों की संख्या में जो कमी आई है, उसके पीछे आबादी की बढ़ती उम्र एक बड़ी वजह है.

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- मज़हब के लिहाज़ से आने वालों की संरचना दिलचस्प है. भारत की आबादी में सबसे ज़्यादा हिंदू हैं, मगर भारत में रहने वाले प्रवासियों के हिंदू होने की संभावना कम है और मुस्लिम होने की ज़्यादा. संख्या के हिसाब से नहीं, बल्कि अनुपात के हिसाब से. वहीं, ईसाइयों का अनुपात मूल आबादी के बराबर ही है.

- दूसरी तरफ़, जाने वालों में मुसलमानों का अनुपात हिंदुओं से ज़्यादा है. 

  • मसलन, भारत छोड़ने वाले हिंदुओं की संख्या, भारत में रहने वाले हिंदुओं की संख्या के आधार पर अपेक्षा से कम है. 41% बनाम 79%. 
  • जबकि, भारत छोड़ने वाले मुसलमानों की संख्या, भारत में रहने वाले मुसलमानों की संख्या की तुलना में 33% बनाम 15%. 
  • ऐसे ही देश में ईसाइयों की कम संख्या की तुलना में बहुत ज़्यादा ईसाई भारत छोड़ रहे हैं. 9% बनाम 2%.

हाल के दशकों में मुसलमानों और ईसाइयों जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों का प्रवास प्रवाह (इमिग्रेशन फ़्लो) बढ़ा है. शोध बताता है कि समुदाय पर हो रहे हिंसक हमले इस बढ़त की वजह है. रिसर्च में इसे देश में हिंदू राष्ट्रवाद की लहर से जोड़ा गया है.

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