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200 लोग एकसाथ बीमार पड़े, खुले मैदान में मरीजों का इलाज हुआ, रस्सी बांधकर सलाइन चढ़ाई

तबीयत बिगड़ते ही मरीजों को हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन बेड की कमी के कारण ज्यादातर लोगों का इलाज खुले मैदान में किया गया. रस्सी बांधकर सलाइन की बोतलें चढ़ाई गईं.

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मरीजों का इलाज हॉस्पिटल के बाहर करना पड़ा (फोटो: आजतक)

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के एक गांव में एकसाथ लगभग 200 लोगों की तबीयत बिगड़ गई. मरीजों को पास के हॉस्पिटल ले जाया गया, तो वहां बेड की कमी पड़ गई. इसके बाद ज्यादातर मरीजों को हॉस्पिटल के बाहर खुले मैदान में लेटाया गया. रस्सी बांधकर मरीजों को सलाइन की बोतलें चढ़ाने की व्यवस्था की गई. बताया जा रहा है कि सभी मरीजों को फूड प्वॉइजनिंग हो गई थी. 

एकसाथ तबीयत कैसे बिगड़ी?

आजतक के ज़का खान की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना बुलढाणा के लोनार तहसील के सोमठाना गांव की है. गांव के मंदिर में एक हफ्ते का धार्मिक कार्यक्रम चल रहा था. कार्यक्रम के छठवें दिन 20 फरवरी की रात 10 बजे प्रसाद बांटा गया. सोमठाना और पड़ोस के खापरखेड़ गांव के लोग बड़ी संख्या में प्रसाद लेने पहुंचे. 

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प्रसाद खाने के कुछ ही देर बाद लोगों का पेट दर्द करने लगा. इसके बाद उन्हें उल्टी और दस्त शुरू हो गया. लोगों की तबीयत बिगड़ते ही पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई. मामले की जानकारी पुलिस-प्रशासन को दी गई. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़ितों को हॉस्पिटल पहुंचाया गया.

बेड नहीं, बाहर जमीन पर थे मरीज

मरीजों को हॉस्पिटल तो ले जाया गया. लेकिन वहां बेड की कमी पड़ गई. एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज शुरू किया गया. कई मरीजों को हॉस्पिटल में ही फर्श पर लेटाया गया. वहीं ज्यादातर मरीजों का इलाज हॉस्पिटल के बाहर ग्राउंड पर किया गया. पेड़ों के सहारे रस्सी बांधकर मरीजों को ड्रिप चढ़ाने की व्यवस्था की गई. इसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं.

वहीं, बुलढाणा के जिला कलेक्टर किरण पाटिल ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया,

"समारोह के दौरान प्रसाद खाने के बाद लगभग 200 ग्रामीणों ने मिचली और उल्टी की शिकायत की थी. उनमें से 142 लोगों को बिबी के ग्रामीण अस्पताल में, 20 अन्य को लोनार में और 35 मरीजों को मेहकर की एक फैसिलिटी भर्ती कराया गया था."

कलेक्टर के मुताबिक, सभी मरीजों की हालत स्थिर है और ज्यादातर मरीजों को बुधवार, 21 फरवरी को छुट्टी दे दी गई है. प्रसाद के सैंपल जांच के लिए लैब भेजे गए हैं. वहीं गांव में एम्बुलेंस और जरूरी उपकरणों के साथ डॉक्टरों की एक टीम तैनात की गई है.

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