
आर्मी कैंटीन ने बेचने से मना किया था
2013 से कारगुजार लोग लग गए थे सैंपल इकट्ठा करने में, 2016 तक 82 सैंपल जोड़े थे. उनमें से 32 फेल हो गए हैं. बार बार फेल सुनकर CBSE बोर्ड रिजल्ट की तरफ भाग जाना, यहां स्वदेशी आयुर्वेदिक चीजों की बात चल रही है. पिछले महीने क्या हुआ था वो तो याद ही होगा. नहीं याद है तो गिल्ट मत फील करो, बताते हैं. हुआ ये था कि हमारी फौज के लिए जो कैंटीन डिपार्टमेंट स्टोर चलता है, उसने साफ मना कर दिया था. कि भई हम ये दिव्य आंवला जूस नहीं बेचेंगे. काहे कि वो बंगाल की लैब का टेस्ट फेल में हो गया है.
जूस में कमी क्या है
उत्तराखंड सरकार की लैब रिपोर्ट में पता चला है कि इसमें Ph वैल्यू कम है. ये किस चिड़िया का नाम है? ये पानी में क्षारीय तत्वों यानी नमक की मात्रा का पैमाना है. डॉक्टर लोग जित्ता बताए हैं वो इस जूस में नहीं था. और इसके कम होने से एसिडिटी की दिक्कत हो जाती है, और भी कुछ समस्याएं आती हैं. मतलब जूस पीकर पहले एसिडिटी पाओ फिर पतंजलि स्टोर पर उसकी दवाई प्राप्त करो. यानी जिसने दिया है दर्द वो ही दवा देगा वाला कॉन्सेप्ट है. इसी तरह शिवलिंगी बीज में भी खामी पता चली है. पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण हत्थे से उखड़े हुए हैं. उनका कहना है कि बीज तो नेचुरल चीज है भई, उसमें कैसे मिलावट कर सकते हैं? ये उनकी चाल है, पतंजलि को बदनाम करने की. देखो भैया साफ बात है. लैब का काम है बताना. उस पर भरोसा करना न करना या शीशी खतम करके देखना आपका काम है. आंवला जूस चाहिए कि एसिडिटी पहले ये पक्का कर लो. फैसला आपका, क्योंकि पेट है आपका. इस पेट में तमाम आम घास डालने का हक है आपका और फिर मरोड़ उठने पर डॉक्टर के पास भागने का फर्ज है आपका.ये भी पढ़ें:
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