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महीनों पहले की रेकी, इन कमियों का उठाया फायदा, संसद में घुसपैठ की पूरी कहानी आई सामने

संसद के शीतकालीन सत्र के बीच 13 दिसंबर को 2 लोग अचानक लोकसभा के सार्वजनिक गैलरी से सांसदों के बीच कूद गए. उन्होंने सदन के अंदर पीले धुएं वाली गैस छोड़ी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर ये संसद के अंदर घुसे कैसे?

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संसद में घुसपैठ करने वाले आरोपियों ने अपने जूतों में कलर स्मोक के कनस्तर छिपा रखे थे. (फोटो क्रेडिट - X)
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अरविंद ओझा

संसद में घुसपैठ करने वाले आरोपी (Parliament Security Breach) आपस में एक सोशल मीडिया पेज के जरिए जुड़े हुए थे. वे सभी करीब डेढ़ साल पहले मैसूर में मिले थे. उसके बाद उन्होंने संसद में घुसपैठ करने का प्लान बनाया. यही नहीं, आरोपी पहले संसद भवन में रेकी करने भी आए थे. इस दौरान उन्होंने सुरक्षा में चूक होने की गुंजाइश पता की और इसी का फायदा उठाकर 13 दिसंबर को संसद में घुसे.

लेकिन इससे पहले ये जान लीजिए कि संसद में 13 दिसंबर को आखिर हुआ क्या? दरअसल, 13 दिसंबर को शून्यकाल के दौरान दो घुसपैठिए सार्वजनिक गैलरी से लोकसभा कक्ष में कूद गए. लोकसभा में हुई ये घटना दोपहर डेढ़ बजे के करीब हुई. सदन में शीतकालीन सत्र की कार्यवाही चल रही थी. तभी अचानक दो लोग सांसदों के बीच कूद गए. इनकी पहचान सागर और मनोरंजन नाम के व्यक्तियों के रूप में हुई है.

इन दोनों आरोपियों ने अपने जूतों में कलर स्मोक के कैन छिपा रखे थे. उन्होंने अपने जूतों से ये कैन निकाले और लोकसभा में रंगीन धुआं उड़ाने लगे. ये सब देख सदन में अफरा-तफरी मच गई. कई सांसदों ने मिलकर इन दोनों को पकड़ा. तब तक सुरक्षाबल के जवान भी अंदर आ गए. इसके बाद सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया. 

आपस में कैसे मिले आरोपी?

इंडिया टुडे से जुड़े अरविंद ओझा की एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी आरोपी एक सोशल मीडिया पेज 'भगत सिंह फैन क्लब' के जरिए जुड़े थे. ये सभी करीब डेढ़ साल पहले मैसूर में मिले थे. यहां उन्होंने संसद में घुसपैठ करने का प्लान बनाया. इसके अलावा, इन्होंने आपस में बातचीत करने के लिए सिग्नल ऐप का इस्तेमाल किया. इसके जरिए इनक्रिप्टेड कम्युनिकेश की जा सकती है, यानी ये बातचीत कोई और नहीं देख सकता.

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मैसूर में मिलने के बाद मनोरंजन नाम के आरोपी ने मार्च में संसद भवन की रेकी करने लिए दिल्ली आया. बजट सत्र के दौरान विजिटर पास के जरिए वो संसद भवन में घुसा. इसके बाद जुलाई में सागर शर्मा ने रेकी करने की कोशिश की. लेकिन वो संसद भवन के अंदर नहीं जा सका. वो बाहर से ही रेकी कर के लौट आया.

इस दौरान आरोपियों को समझ आया कि सुरक्षा में एक भारी चूक है. इसी बात का उन्होंने फायदा उठाया. उन्होंने देखा कि संसद में अंदर जाने के समय जूतों की पूरी तरह जांच नहीं की जाती. बस, यहीं से उन्हें अपने कलर स्मोक के कैन जूतों में छिपाने का आइडिया मिला.

संसद में घुसपैठ की सुबह क्या हुआ?

इसके बाद सभी आरोपी 6 से 10 दिसंबर के बीच भारत के अलग-अलग राज्यों से दिल्ली पहुंचे. वे गुरुग्राम में अपने साथी विक्की के घर पर इकट्ठा हुए. यहां देर रात ललित झा भी उनके साथ शामिल हुआ. वहीं, अनमोल नाम का आरोपी महाराष्ट्र से कलर स्मोक वाले कैन लेकर आया. अनमोल को 13 दिसंबर को संसद के बाहर से गिरफ्तार किया गया.

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इसी दिन सुबह ये आरोपी महादेव रोड पर एक सांसद के पर्सनल एसिस्टेंट से मिले और संसद में जाने के पास लिए. फिर इंडिया गेट पर कलर स्मोक को आपस में बांट लिया. इसके बाद दोपहर करीब 11 बजे सागर और मनोरंजन संसद भवन में गए. संसद के अंदर अफरा-तफरी के ही समय, ललित झा संसद के बाहर से पूरी घटना का वीडियो बनाता रहा. वो सभी आरोपियों के मोबाइल फोन लेकर वहां से फरार हो गया.

फिलहाल इस घटना में शामिल 6 में से 5 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं. ललित झा अभी भी फरार है. दिल्ली पुलिस ने बताया है कि गिरफ्तार हुए 4 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता(IPC) की ट्रेसपासिंग की धारा 452, आपराधिक साजिश की धारा 120-B, 153, 186, 353 और UAPA की धाराओं 16 और 18 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है.

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