इज़रायल और हमास संघर्ष (Israel-Hamas Conflict) पर दुनिया बंट गई है. 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले के बाद से लगातार युद्ध से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं. इनमें से कुछ सच है तो बहुत कुछ झूठ भी है. इन वीडियो और तस्वीरों को देखकर लोग अपने-अपने हिसाब से नैरेटिव बनाने में लगे हैं. इसी बीच एक ऐसा दावा वायरल हुआ जिसने इजरायल से लेकर पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया. दावा था, "हमास के चरमपंथी लड़ाकों ने 40 इजरायली बच्चों के सिर काट दिए."
हमास ने '40 बच्चों के सिर काटे' वाले दावे पर सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं?
इजरायल-हमास संघर्ष के बीच एक ऐसा दावा वायरल हुआ जिसने इजरायल से लेकर पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया.
एक अंतरराष्ट्रीय न्यूज चैनल की पत्रकार ने लाइव रिपोर्टिंग के दौरान ये जानकारी दी और तहलका मच गया. आम लोगों से लेकर बड़े-बड़े जानकारों ने इसे सच माना. मीडिया ने इसे हेडिंग बना कर खबरें चलाईं और सोशल मीडिया पर लोगों ने गुस्से से भरी प्रतिक्रियाएं दीं.
हमास के हमले में सैकड़ों लोग मारे गए. इनमें बच्चे भी शामिल हैं. लेकिन उनके सिर काटने वाली बात ने सभी को सन्न कर दिया. हिंसा में जान-ओ-माल का नुकसान बिल्कुल स्पष्ट है इसलिए दावे को तुरंत सच मानने में ज्यादातर लोगों ने देर नहीं की. लेकिन कुछ ही समय बाद पत्रकार की जानकारी पर सवाल उठाने लगे.
गाज़ा के करीब इज़रायल का एक इलाका है कफर अजा किब्तुज. हमास के आतंकियों ने जब इज़रायल पर हमला बोला तो सबसे पहले यही इलाका उसकी चपेट में आया था. बाद में दुनियाभर के पत्रकार वहां के हालात की कवरेज के लिए पहुंचे. एक इज़रायली मीडिया संस्थान ‘I24’ की पत्रकार निकोल जेडन भी वहां गई थीं.
वो घटनास्थल से लाइव रिपोर्टिंग कर रही थीं. उसी दौरान निकोल ने इजरायली सैनिकों का हवाला देते हए कहा कि इस इलाके में उन्हें बच्चों के शव दिखे, जिनके सिर काट दिए गए थे. उनके परिवारों को गोलियों से भून दिया गया था. इस दौरान एक जगह निकोल को यह कहते सुना जा सकता है, “किसी को अंदाजा नहीं था कि इतना भयावह मंजर देखने को मिलेगा. जो दास्तां मैं इन सैनिकों के मुंह से सुन रही हूं उससे यही समझ आ रहा कि 40 बच्चों के शवों को बाहर निकाला गया है.”
निकोल के इस कथन के बाद पूरी दुनिया में ये खबर फैल गई कि हमास ने 40 बच्चों के सिर काट दिए.
भारत समेत पश्चिम देशों के कई मीडिया हाउस ने इस खबर को प्रमुखता से छापा. कई अखबारों ने अपने फ्रंट पेज पर इस खबर को जगह दी. लंदन के अखबार ‘डेली मेल’ ने इसे ‘हॉलोकास्ट’ तक लिख दिया. रिपोर्ट पर पश्चिमी देशों का यकीन इतना ज्यादा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन तक ने वाइट हाउस में यहूदी लोगों को संबोधित करने के दौरान बच्चों का सिर काटे जाने की घटना का जिक्र कर दिया.
दावे को खंगालाने की हुई कोशिशलेकिन भावनाओं के ज्वार से इतर कुछ लोगों और मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने सच जानने की कोशिश की. क्योंकि निकोल जेडन ने जो जानकारी दी, उसका कोई एविडेंस नहीं था. एविडेंस ये कि अगर इजरायली सैनिकों ने 40 बच्चों के सिर कटे देखे तो उसकी कोई तस्वीर या वीडियो होगा. निकोल ने उसके बिना इतना बड़ा दावा कर दिया. लेकिन कुछ संस्थानों ने उनके दावे की पड़ताल की.
इनमें से एक है तुर्की का स्टेट मीडिया हाउस Anadolu Agency. उसने इस विषय पर इज़रायली सेना के प्रवक्ता से संपर्क किया. उसने बताया, “हमने यह खबर देखी है, लेकिन हमारे पास इसके बारे में कोई जानकारी या इसकी पुष्टि नहीं है.”
केवल तुर्की की मीडिया ही नहीं, ब्रिटिश मीडिया ‘स्काई न्यूज़ (Sky News)’ ने भी इस मामले पर इज़रायल रक्षा विभाग से संपर्क किया. स्काई न्यूज़ के रिपोर्टर स्टुअर्ट रामसे ने खुद कफर अजा किब्तुज जाकर वहां के मंजर को देखा. स्काई न्यूज़ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि स्टुअर्ट उन रिपोर्टर में से थे जिन्होंने वहां जाकर एक स्ट्रेचर पर छोटे बच्चे को बाहर निकलते हुए और काले रंग के बॉडी बैग में लाइन से शवों को निकलते देखा. रामसे के अनुसार, वहां की कहानियां हैरान करने वाली हैं. डर के मारे मां-बाप अपने बच्चों को अलमारियों में छिपा रहे हैं.
रिपोर्ट करते हुए स्टुअर्ट ने 40 बच्चों के सिर काटे जाने के दावे पर इज़रायल रक्षा विभाग के दो अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन उन्हें इस संबंध में कोई पुष्टि नहीं मिली. रामसे ने बताया कि रिपोर्टिंग के दौरान किसी भी वक्त उन अधिकारियों ने 40 बच्चों के सिर काटे जाने या उन्हें मार डालने का जिक्र नहीं किया. पत्रकार स्टुअर्ट रामसे का मानना है कि अगर ऐसा सच में हुआ होता तो अधिकारियों ने मुझे और वहां मौजूद अन्य लोगों को बताया होता.
इसके अलावा इज़रायल फिलिस्तीन मुद्दों पर रिपोर्ट करने वाले स्वतंत्र मीडिया संस्थान ‘972mag’ के पत्रकार ओरेन ज़िव (Oren Ziv) ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया है. उन्होंने घटना स्थल जाकर वहां के भयावह दृश्य को देखा. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “मुझसे हमास के हमले में बच्चों के सिर काटे जाने के दावे को लेकर काफी सवाल पूछे जा रहे हैं. मुझे वहां इस बात का कोई सबूत नहीं मिला. इस मंजर को सेना के प्रवक्ता या कमांडरों ने भी नहीं देखा. कृपया ऐसी किसी भी घटना का जिक्र न करें.”
ज़िव ने आगे लिखा, “घटनास्थल से रिपोर्टिंग करने के लिए पत्रकारों को सेना की प्रवक्ता टीम की निगरानी के बिना, साइट पर मौजूद सैकड़ों सैनिकों से बात करने की अनुमति दी गई है. I24 की रिपोर्टर ने कहा कि उसने ‘सैनिकों से’ ऐसा सुना है. लेकिन कल कफर अजा में जिन सैनिकों से मैंने बात की उन्होंने बच्चों के सिर काटे जाने का जिक्र नहीं किया. सेना के प्रवक्ता ने कहा कि वे इस दावे की पुष्टि नहीं कर सकते. हालांकि, हम उन दुर्दांत अपराधों से भली-भांति परिचित हैं जिसे हमास करने में सक्षम है.”
हमास ने दावे का खंडन किया, अमेरिका को सफाई देनी पड़ीनिकोल जेडन के दावे पर मचे बवाल के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी उनकी रिपोर्ट पर मुहर लगा दी. वो व्हाइट हाउस में यहूदियों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे. इसमें उन्होंने कहा दिया, “कभी नहीं सोचा था कि हमें छोटे बच्चों का सिर काटते आतंकियों की फोटो देखनी की नौबत आएगी. हमास ने बहुत बर्बता पूर्वक हमला किया है. उसने बच्चों तक को नहीं छोड़ा और उनके सिर काट दिए.”
लेकिन बाइडेन के बयान के बाद हमास का बयान आया. उसके प्रवक्ता गाजी हामद ने कहा कि हमें एक भी तस्वीर दिखा दीजिए जिसमें हमने औरतों और बच्चों को मारा है. गाजी ने कहा कि उनका संगठन आम नागरिकों को नहीं मारता, ये पश्चिमी देशों और उनकी मीडिया का फैलाया प्रोपेगैंडा है.
हमास के बयान के बाद व्हाइट हाउस को सफाई देनी पड़ गई. उसके प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने इज़रायली बच्चों के सिर काटे जाने की फोटो नहीं देखी थी. वे इस तरह की बात करने वाली मीडिया रिपोर्ट की पुष्टि भी नहीं करते हैं. उन्होंने इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के एक प्रवक्ता के बयान के आधार पर बच्चों के सिर काटे जाने वाली बात कही थी.
इस बीच इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ऑफिशियल ‘X’ अकाउंट से 12 अक्टूबर को कुछ तस्वीरें शेयर की गईं. ये तस्वीरें काफी विचलित करने वाली हैं. ट्वीट में लिखा गया, “ पीएम नेतन्याहू ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को ये तस्वीरें दिखाईं. चेतावनी: बच्चों की हत्या और जलाए जाने की भयावह तस्वीरें हैं जिसे हमास के क्रूरतम लोगों ने अंजाम दिया है. हमास इंसान नहीं है. हमास ISIS है.”
दूसरी तरफ, निकोल जेडन और उनका मीडिया संस्थान I24 अपनी रिपोर्ट पर कायम हैं. वे अब भी कह रहे हैं कि इजरायली सैनिकों ने ही उन्हें बताया था कि हमास के लोगों ने 40 बच्चों को सिर काटकर मार डाला है. लेकिन स्टैंड लेने से सवाल खत्म नहीं होता कि दुनियाभर में उथल-पुथल मचाने वाले दावे का कोई सबूत अभी तक सामने नहीं आया है. इजरायल डिफेंस फोर्स दुनिया की सबसे एडवांस सेनाओं में से एक है. मिशन पर निकले सैनिकों के हेलमेट तक पर कैमरे लगे होते हैं. वहीं हमला प्रभावित जगह पर दुनियाभर के पत्रकार कैमरे लेकर पहुंच रहे हैं. ऐसे में 40 बच्चों के सिर कटे शवों की एक भी तस्वीर का ना होना फील्ड रिपोर्टिंग और पत्रकारिता से जुड़े बुनियादी सिद्धांतों की याद दिलाता है.
वीडियो: दुनियादारी: मोसाद के चीफ़ ने नेतन्याहू को चेतावनी दी, क्या इज़रायल में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा?