हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ. जिसमें पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रिजवान सईद शेख जैसे बड़े अधिकारियों ने भाग लिया (Pakistani Event in Harvard). इस इवेंट पर भारतीय छात्रों ने विरोध जताया है. उनका कहना है कि हार्वर्ड जैसे संस्थान को ऐसे देश के अधिकारियों की मेजबानी नहीं करनी चाहिए, जो आतंकवाद का समर्थन करता है.
हार्वर्ड की वेबसाइट से 'पाकिस्तान कॉन्फ्रेंस' गायब, भारतीय छात्रों ने विरोध जताया था
Harvard University में ये कार्यक्रम Pahalgam Terror Attack के बाद आयोजित किया गया. जिसे लेकर भारतीय छात्रों ने कड़ी आपत्ति जताई. उनका कहना है कि हार्वर्ड जैसे संस्थान को ऐसे देश के अधिकारियों की मेजबानी नहीं करनी चाहिए, जो आतंकवाद का समर्थन करता है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कार्यक्रम की फंडिंग बिजनेसमैन लक्ष्मी मित्तल और उनके परिवार द्वारा की जाती है. इस बार ये कार्यक्रम पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आयोजित किया गया. जिसे लेकर भारतीय छात्रों ने कड़ी आपत्ति जताई. इसके बाद हार्वर्ड ने इस विवाद से खुद को अलग कर लिया और इस कार्यक्रम की डिटेल्स को अपनी वेबसाइट से हटा दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस कार्यक्रम का आयोजन हार्वर्ड के पाकिस्तानी छात्रों ने किया था. संस्थान का कहना है कि उसकी भागीदारी सिर्फ प्रबंधन-सहायता देने तक ही सीमित थी.

इस ‘पाकिस्तान कॉन्फ्रेंस 2025’ में इंस्टीट्यूट के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर हितेश हाथी ने पाकिस्तानी-अमेरिकी इतिहासकार आयशा जलाल के साथ एक पैनल चर्चा में भाग लिया था.
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अमेरिकी विदेश मंत्री को लिखा पत्रमीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो भारतीय छात्रों सुरभि तोमर और अभिषेक चौधरी ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को पत्र लिखा है. अपने पत्र में उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी ने पाकिस्तानी सरकार के प्रतिनिधियों को जो मंच दिया वो गलत था. आगे लिखा,
आतंकवाद को बढ़ावा देने या उसे उचित ठहराने वाली सरकार के प्रतिनिधियों का स्वागत करने से ये मैसेज जाता है कि हार्वर्ड इसमें शामिल है. संयुक्त राज्य अमेरिका को ऐसे देश के प्रतिनिधियों की मेजबानी नहीं करनी चाहिए जो आस्था के आधार पर नागरिकों को निशाना बनाने वाले संगठनों को संरक्षण और बढ़ावा देता है.
साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, पहलगाम हमले की सार्वजनिक रूप से निंदा करे. खबर लिखे जाने तक हार्वर्ड की तरफ से आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, वेबसाइट से डिटेल्स हटाने से पता चलता है कि विश्वविद्यालय इस मुद्दे से खुद को दूर रखना चाहता है.
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