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"हमें हिंदुओं में मत गिनो"- पाकिस्तान में जनगणना के बीच दलित ऐसा क्यों बोले?

पाकिस्तान में आरक्षण को लेकर ऐसा क्या पेच फंस गया है, जो इतना विवाद हो रहा है.

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पाकिस्तान में 7वीं जनगणना के आंकड़े 30 अप्रैल तक जारी किए जाएंगे. (फोटो- इंडिया टुडे/ट्विटर)

पाकिस्तान में जनगणना (Pakistan Census) शुरू हो चुकी है. ये पाकिस्तान की सातवीं जनगणना है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में जनगणना के लिए पहली बार डिजिटल टेक्नॉलजी (Digital Census) का इस्तेमाल किया जा रहा है. पाकिस्तान में जनगणना का काम पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो करता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक,  पाकिस्तान में हो रही जनगणना को लेकर कई विवाद भी चल रहे हैं.

एकसाथ जनगणना कराने पर विवाद

जनगणना के लिए जारी किए गए फॉर्म में हिंदू धर्म का कॉलम अलग है और अनुसूचित जाति का अलग. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में इससे पहले हुई जनगणनाएं भी इसी तरह से हुई हैं. लेकिन इस बार हिंदू समुदाय के लोगों की तरफ से मांग की जा रही है कि सभी जातियों को एक साथ रखा जाए. विवाद होने का मुख्य कारण ये भी है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को आबादी के आधार पर सरकारी सुविधाएं और आरक्षण मिलता है. इसमें संसद की सीटों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण शामिल है.

पाकिस्तान में अनुसूचित जाति के हिंदुओं की आबादी दूसरे समुदायों की तुलना में ज्यादा है. इसी को देखते हुए बाकी हिंदुओं को लगता है कि सामूहिक आवाज ज्यादा दमदार होगी. पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के चेयरमैन रमेश वांकवानी ने BBC को बताया,

“हम लोग न केवल हिंदुओं बल्कि पूरे अल्पसंख्यक समुदाय की एकजुटता की बात कर रहे हैं.”

पाकिस्तान में आखिरी जनगणना साल 2017 में हुई थी. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 की जनगणना के अनुसार पाकिस्तान में कुल 45 लाख हिंदू आबादी थी. लेकिन रमेश वांकवानी का दावा है कि ये संख्या वास्तविक रूप में 80 लाख के करीब होगी. वांकवानी का कहना है कि बड़ी संख्या में लोगों की गिनती नहीं हो पाई है, क्योंकि बहुत से लोगों का पंजीकरण नहीं हुआ था. वांकवानी ने बताया,

“हम लोग मिलकर जागरुकता अभियान चला रहे हैं ताकि हिंदू सामूहिक तौर पर एकजुट होकर अपना पंजीकरण कराएं. इससे उनकी ताकत और आवाज बुलंद होगी.”

अनुसूचित जाति के लोग विरोध में

पाकिस्तान में एक साथ जनगणना किए जाने का अनुसूचित जाति के कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं. अनुसूचित जाति में मेघवार, कोली, भील, उड, बागरी और वाल्मीकि समाज के लोग आते हैं. खास बात ये है कि ये लोग अपने समूह की अलग पहचान चाहते हैं. इसका मुख्य कारण आरक्षण और बाकी मिलने वाली सुविधाएं हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, सामूहिक जनगणना का विरोध कर रहे अनुसूचित जाति के लोगों का मानना है कि बहुसंख्यक होने के बाद भी उनपर अतीत में ब्राह्मणों और ठाकुरों का शासन रहा है. यही नहीं, उनको अछूत भी माना गया था. पाकिस्तान में अनुसूचित जाति के लोगों के बीच जागरूकता अभियान चला रहे लाजपत भेल ने बताया,

“'उच्च' जाति के हिंदू सरकार में शामिल हैं. वो आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं. वहीं, अनुसूचित जाति के लोगों को ना तो नौकरी, ना शिक्षा और ना ही दूसरे लाभ मिल पा रहे हैं.”

भेल ने आगे कहा कि एक साथ जनगणना के जरिए अनुसूचित जाति के लोगों का हक मारने की कोशिश की जा रही है. अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या अधिक है. लेकिन ‘उच्च’ जाति के लोगों में ज़मींदार, सांसद, मंत्री और सलाहकारों का दबदबा ज्यादा है.

वहीं, पाकिस्तान सरकार ने दोनों समुदायों के लोगों को विकल्प दिया है कि वो अपने हिसाब से अपना वर्ग चुन सकते हैं.

पाकिस्तान जनगणना 2017

पाकिस्तान में पिछली जनगणना साल 2017 में हुई थी. ये देश की छठी जनगणना थी. तब देश भर में मुस्लिमों की संख्या कुल जनसंख्या का 96.2 फीसदी थी. हिंदू समुदाय के लोग पाकिस्तान में सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी हैं. देश में हिंदुओं की आबादी कुल आबादी का 1.6 फीसदी है. इसमें अनुसूचित जाति की आबादी को जोड़ लिया जाए तो ये आबादी कुल आबादी का 2.24 प्रतिशत है.

2017 की जनगणना के अनुसार, पाकिस्तान की कुल आबादी 20.76 करोड़ है. पाकिस्तान विश्व में जनसंख्या के मामले में 5वें नंबर पर आता है. पाकिस्तान में सातवीं जनगणना की प्रक्रिया चल रही है. ये 1 मार्च, 2023 से शुरू हुई थी. जनगणना के आंकड़े 30 अप्रैल तक जारी किए जाएंगे.

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