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तारिक फतेह का निधन, लंबे वक्त से थे बीमार

तारिक फतेह की बेटी ने ट्विटर पर पिता के लिए क्या लिखा?

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तारिक फतेह. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

पाकिस्तानी मूल के लेखक तारिक फतेह का निधन (Tarek Fatah death) हो गया है. 73 वर्षीय तारिक लंबे वक्त से बीमार थे. उनकी बेटी नताशा फतेह ने उनके निधन की पुष्टि की है. सोमवार, 24 अप्रैल की शाम को उन्होंने ट्वीट किया,

“पंजाब का शेर, हिंदुस्तान का बेटा, कनाडा का प्रेमी, सच बोलने वाला, न्याय का योद्धा, कमजोर, वंचितों और दबाए गए लोगों की आवाज... तारिक फतेह नहीं रहे. उन्हें जानने वाले और प्यार करने वाले उनकी क्रांति को जारी रखेंगे.”

एक दूसरे ट्वीट में नताशा ने कहा कि तारिक फतेह हमेशा हिम्मत के साथ मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ते थे.

तारिक फतेह एक लेखक होने के साथ पत्रकार भी रहे. उन्होंने हमेशा मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने का दावा किया. मुस्लिम महिलाओं की स्थिति को लेकर उनके विचार हमेशा चर्चा में रहे. वहीं मुस्लिम पुरुष, शरीअत और अन्य मुस्लिम नियम-कानून उनके निशाने पर रहे. हाल के सालों में उन्होंने भारतीय न्यूज चैनलों पर बीजेपी के नेतृत्व वाली भारत सरकार की खूब तरफदारी की थी.

“पाकिस्तान में पैदा हुआ भारतीय हूं” 

तारिक फतेह कनाडाई नागरिक थे. लेकिन वो अपना परिचय कुछ इस तरह देते थे, 

“मैं एक भारतीय हूं जो पाकिस्तान में पैदा हुआ. इस्लाम में पैदा हुआ एक पंजाबी. मुस्लिम चेतना के साथ कनाडा में रहने वाला एक शरणार्थी. मैं सलमान रुश्दी के बहुत सारे 'मिडनाइट चिल्ड्रेन' में से एक हूं, जिसे एक महान सभ्यता की गोद से उठा कर स्थायी शरणार्थी बना दिया गया.”

फतेह का जन्म 20 नवंबर 1949 को पाकिस्तान के कराची में हुआ था. विभाजन के दौरान उनका परिवार बॉम्बे से कराची शिफ्ट हुआ था. उन्होंने कराची यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया. लेकिन बाद में पत्रकार बन गए. 1970 में 'कराची सन' में बतौर रिपोर्टर पहली नौकरी लगी थी. पाकिस्तान में सैन्य शासन के दौरान तारिक दो बार जेल भी गए थे. 1977 में जनरल जिया-उल हक के शासनकाल में उनके खिलाफ देशद्रोह का भी मुकदमा दर्ज हुआ. और उन्हें पत्रकारिता करने से रोका गया.

साल 1978 में तारिक फतेह ने पाकिस्तान छोड़ दिया और सऊदी अरब चले गए. फिर 1987 में कनाडा शिफ्ट हो गए. वहां भी लंबे समय तक पत्रकारिता में सक्रिय रहे. 1996 से 2006 तक उन्होंने कनाडा में टीवी चैनल पर एक साप्ताहिक शो "मुस्लिम क्रॉनिकल" होस्ट किया था. इसके बाद वो राजनीति में भी आए.

इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ अपने विचारों के कारण फतेह को मुस्लिम संगठनों से कई बार धमकी भी मिली. साल 2017 में बरेली के एक मुस्लिम संगठन ऑल इंडिया फैसान-ए-मदीना काउंसिल ने उन सिर पर 10 लाख रुपये का इनाम रखा था. साथ ही उनके शो 'फतेह का फतवा' पर बैन लगाने की मांग की थी.

हाल के सालों में उन्होंने भारतीय मुस्लिम समुदाय पर भी खूब टिप्पणी की थी. सोशल मीडिया पर कई बार फर्जी जानकारी और फर्जी फोटो शेयर करते देखे गए.

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