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उदयपुर मर्डर केस में सामने आया पाक संगठन दावत-ए-इस्लामी कर रहा है भारतीय मुस्लिमों का ब्रेनवॉश!

दावत-ए-इस्लामी भारत में चला रहे कोर्स में 'काफिरों' से मुकाबला करने को कहता है.

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दावत-ए-इस्लामी और उदयपुर हत्याकांड के दोनों आरोपी (फाइल फोटो)

राजस्थान के उदयपुर में जून महीने में टेलर कन्हैयालाल की हत्या हुई थी. हत्या के मुख्य आरोपियों ने 'सिर तन से जुदा' वाला नारा लगाकर वीडियो भी बनाया था. मामले की जांच में हत्यारों के लिंक कराची स्थित इस्लामिक संगठन दावत-ए-इस्लामी से सामने आए थे. 28 जून को गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज ने गला रेतकर कन्हैयालाल की हत्या कर दी थी. राजस्थान के डीजीपी एमएल लाठर ने मीडिया से कहा था कि आरोपी गौस मोहम्मद के लिंक दावत-ए-इस्लामी से पाए गए हैं. वह 2014 में कराची गया था.

दावत-ए-इस्लामी पर आरोपों को खारिज करते हुए पाकिस्तान ने तुरंत एक बयान जारी किया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने 29 जून को लिखा,

"हमने उदयपुर मर्डर केस की जांच से जुड़ी कई रिपोर्ट्स भारतीय मीडिया में देखी हैं, जिसमें शरारती तरीके से आरोपियों का लिंक पाकिस्तान के एक संगठन से बताया जा रहा है. हम ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं. बीजेपी-आरएसएस की 'हिंदुत्व' से चल रही भारत सरकार अक्सर इस तरह अपने आतंरिक मसलों को बाहरी बनाकर पाकिस्तान की छवि खराब करने का प्रयास करती है."

दावत-ए-इस्लामी का सच!

पाकिस्तान ने कहा था कि भारत में या दुनिया में लोगों को इस तरह से गुमराह करने की कोशिश सफल नहीं होगी. हालांकि अब इंडिया टुडे से जुड़े मोहम्मद हिजबुल्लाह ने दावत-ए-इस्लामी को लेकर खोजी रिपोर्ट की है. इसमें सामने आया है कि संगठन की पहुंच सिर्फ 'कट्टर विचार वाले' कन्हैयालाल के हत्यारों तक ही नहीं है. बल्कि संगठन डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल भारतीय मुस्लिमों के बीच अपने रैडिकल एजेंडों को फैलाने में कर रहा है.

दावत-ए-इस्लामी अपनी वेबसाइट (www.dawateislami.net) पर बताता है कि वह कई ऑनलाइन धार्मिक प्रोग्राम उपलब्ध कराता है. वेबसाइट पर ऑपरेशनल देशों में पाकिस्तान के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कनाडा, हांगकांग, कोरिया, यूके और अमेरिका के नाम हैं. लेकिन भारत का नाम नहीं है.

हालांकि इंडिया टुडे के खोजी रिपोर्टर ने 22 जुलाई को भारतीय नागरिक के रूप में एक झूठे नाम राशिद अहमद से दावत-ए-इस्लामी के कोर्स के लिए अप्लाई किया. कुछ ही घंटों में ईमेल पर संगठन का जवाब आ गया है. जवाब में एक भारतीय वॉट्सऐप नंबर +91-9137589497 पर बातचीत करने की सलाह दी गई. उसी रात, एक व्यक्ति ने इसी नंबर से इंडिया टुडे के रिपोर्टर को कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को दावत-ए-इस्लामी मध्य प्रदेश ब्रांच से हसीन अहमद बताया.

भारत में ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध

उसने रिपोर्टर से पूछा, 

"क्या आपने एप्लीकेशन फॉर्म भर दिया?"

रिपोर्टर के हां बोलने पर उसने जवाब दिया, 

"माशाल्लाह, हमे आपका एप्लीकेशन मिल गया. भाईजान, हम मदनी कायदा और नाजरा कोर्स ऑफर करते हैं. क्या आपने मदनी कायदा पहले पढ़ा है? हम स्काइप पर रोजाना आधे घंटे की क्लास लेते हैं. महीने की फीस 1200 रुपये हैं."

रिपोर्टर ने जब पूछा कि क्या आप दिल्ली में रहते हैं तो उसने बताया, 

"हमारी शाखा मध्य प्रदेश में है. हमारी क्लास रोज सुबह 8 बजे शुरू होती है और आधी रात तक चलती है. हम देखते हैं आपकी पसंद के हिसाब से आपको कौन सी टाइमिंग दी जा सकती है."

स्काइप पर इंडिया टुडे रिपोर्टर को भेजे गए कॉन्टेंट (फोटो- इंडिया टुडे)

इसके बाद एक-एक कर दावत-ए-इस्लामी का भारत को लेकर प्रोपेगैंडा सामने आया. वे स्काइप के जरिये क्लास लेते हैं. हालांकि वे सिर्फ ऑडियो क्लासेस तक ही सीमित थे. वीडियो की अनुमति नहीं थी. इन कोर्स के टीचर्स महाराष्ट्र के बार्शी और दहानु के थे. शनिवार को छोड़कर वे रोज आंधे घंटे की क्लास लेते हैं. जिनके स्काइप आईडी कुछ इस तरह के थे- "टीचर MTM 522 फैजान ऑनलाइन एकेडमी", "टीचर MTM 544 फैजान ऑनलाइन एकेडमी" "शिफ्ट इंचार्ज बार्शी टाउन" और "शिफ्ट इंचार्ज FOA दहानु मुंबई."

कॉन्टेंट में धार्मिक रैडिकल बातें 

शुरुआत में स्काइप पर दिए जा रहे कॉन्टेंट पूरी तरह धार्मिक थे. लेकिन जल्द ही "टीचर MTM 522 फैजान ऑनलाइन एकेडमी" की आईडी से पाकिस्तान में बनाए गए ऑडियो और वीडियो भेजे जाने लगे. इनमें पाकिस्तान का गुणगान होता. साथ ही पाकिस्तान को 'इस्लाम का गढ़' बनाने के लिए योगदान देने की अपील की जाती है. दावत-ए-इस्लामी के पहले से रिकॉर्डेड कई सारे ऑडियो मैसेज में 'काफिरों' से मुकाबला करने को कहा जाता है, भले ही इसके लिए हिंसा का सहारा क्यों ना लेना पड़े.

इसी तरह के एक ऑडियो में स्पीकर कहता है, 

"हमारा प्यारा मुल्क पाकिस्तान हमारे लिए अल्लाह की बड़ी देन है. इसके निर्माण में हम सबको हिस्सा लेना चाहिए. हम दुआ करते हैं कि हमारा मुल्क असल में इस्लाम का दुर्ग बन जाए. जो खुदा की राह में मारे जाएं, उन्हें मुर्दा ना कहो बल्कि वो जिंदा हैं. इसलिए जो खुदा के रास्ते में कत्ल कर दिए जाते हैं वो मुर्दा कहना तो दूर, मुर्दा समझना भी नहीं है. क्योंकि वो जिंदा होते हैं लेकिन लोगों को इसकी समझ नहीं आती."

पाकिस्तान से दावत-ए-इस्लामी के हैंडल से जो ऑडियो फाइल भेजे गए उनमें धर्म के नाम पर कुर्बानी की प्रशंसा की गई है. एक और ऑडियो मैसेज में स्पीकर कहता है, 

"कुर्बानियों के जरिये और दीन की खातिर मर मिटने के जरिये इस्लाम जिंदा होता है. जब मुसलमान और उसका ईमान जिंदा होता है तो इस्लाम मजबूत होता है. इस्लाम की भलाई इसी में है कि मुसलमान किसी भी परिस्थिति में कुर्बानी देने को तैयार रहें. आज मुसलमान बेपरवाह पड़े हुए हैं. हर तरफ गुनाहों का दौर चल रहा है. और गैर-मुस्लिम हम पर हावी हो चुके हैं. कोई कुर्बानी देता भी है तो दुनिया के लिए देता है."

दावत-ए-इस्लामी एक सुन्नी इस्लामिक संगठन है. इसकी स्थापना 1981 में कराची में हुई थी. मौलाना अबू बिलाल मोहम्मद इलियास ने इस संगठन की शुरुआत की थी. संगठन खुद को गैर राजनीतिक इस्लामी संगठन बताता है. उदयपुर मर्डर केस में पुलिस ने बताया था कि आरोपी इसी संस्था के ऑनलाइन कोर्स से जुड़े थे.

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