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ऑक्सफ़ोर्ड वाले तमिलनाडु के मंदिर से चुराई हुई मूर्ति लौटाने वाले हैं

ये मूर्ति संत तिरुमंगई अलवर की है. दक्षिण भारत के 12 अलवर संतों में से अंतिम संत, जो हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा से जुड़े हुए थे. थिरुमंगई अलवर को सभी अलवरों में से सबसे विद्वान माना जाता है और कुछ ख़ास संदर्भों में सबसे श्रेष्ठ भी.

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मिस्र की ममियों से लेकर मॉडर्न आर्ट तक, इस म्यूज़ियम में सब मिलता है. (फ़ोटो - ashmolean.org)

ब्रिटेन की प्रतिष्ठित ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने एलान किया है कि वो भारत को 500 साल पुरानी एक कांस्य मूर्ति 'लौटाने' वाले हैं, जो उन्होंने तमिलनाडु के एक मंदिर से लूटी थी.

ये मूर्ति संत तिरुमंगई अलवर की है. दक्षिण भारत के 12 अलवर संतों में से अंतिम संत, जो हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा से जुड़े हुए थे. थिरुमंगई अलवर को सभी अलवरों में से सबसे विद्वान माना जाता है और कुछ ख़ास संदर्भों में सबसे श्रेष्ठ भी.

तमिलनाडु से ऑक्सफ़ोर्ड कैसे पहुंची 16वीं सदी की ये मूर्ति? विश्वविद्यालय में एक एशमोलियन संग्रहालय है. यहां दुनिया की कुछ सबसे प्रसिद्ध कलाकृतियां हैं. वहीं ये मूर्ति भी रखी हुई थी. मीडिया रपटों के मुताबिक़, साल 1967 में डॉ. जेआर बेलमॉन्ट नाम के एक संग्रहकर्ता (कलेक्टर) के संग्रह की नीलामी हुई थी. संग्रहालय ने वहीं से ये मूर्ति ख़रीदी थी.

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पिछले साल नवंबर में एक स्वतंत्र रिसर्चर ने उन्हें इस प्राचीन मूर्ति की पूरी कहानी बताई, कि ये कहां से आई है. इसके बाद उन्होंने भारतीय उच्चायोग को सूचित किया. भारत सरकार ने तमिलनाडु के एक मंदिर से चुराई गई कांस्य मूर्ति के लिए औपचारिक अनुरोध किया हुआ था.

जवाब में एशमोलियन संग्राहालय ने कहा कि उन्होंने 'सद्भावना' के साथ ये मूर्ति ख़रीदी थी. अब संग्रहालय की ओर से एक बयान में कहा गया है,

11 मार्च, 2024 को ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय परिषद ने एशमोलियन संग्रहालय से संत तिरुमंगई अलवर की कांस्य मूर्ति की वापसी के लिए भारतीय उच्चायोग के दावे का समर्थन किया. ये निर्णय अब चैरिटी आयोग के सामने पेश किया जाएगा.

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तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशी थरूर ने ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन में जो स्पीच दी थी, वो बहुत चर्चित हुई थी. अंग्रेज़ी राज के बारे में थरूर अक्सर ही तंज़ करते हैं. उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन में जो म्यूज़ियम हैं, वो असल में उनकी कॉलोनीज़ से लूटी गई चीज़ों से बने 'चोर बाज़ार' हैं.

चुराया हुआ समान वापस करने की ये रवायत पुरानी है. कई उदाहरण हैं, जब यूनाइटेड किंगडम ने भारत से चुराई गई कलाकृतियों वापस की हैं. पिछले साल अगस्त में ही ब्रिटेन ने आंध्र प्रदेश से निकली चूना पत्थर की एक नक्काशीदार मूर्ति और तमिलनाडु की 'नवनीता कृष्ण' की कांस्य मूर्ति भारतीय उच्चायुक्त को सौंपी थी.

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