
ओवैसी ने कहा है कि नकवी जी हज सब्सिडी के नाम पर जाने वाला 690 करोड़ रुपया लड़कियों की पढ़ाई में खर्च करिए.
हुआ ये है कि सऊदी अरब ने भारत का एनुअल हज कोटा 1 लाख 36 हजार से बढ़ाकर 1 लाख 70 हजार कर दिया है. 1988 के बाद पहली बार इतना ज्यादा कोटा बढ़ाया गया है. कोटा मतलब इतने लोग इंडिया से हज करने जा सकते हैं. कोटा तय इसलिए किया जाता है कि इंतजाम करना मुश्किल होता है. पिछले बीस सालों में दो बार बदइंतजामी के चलते वहां भयानक घटनाएं हो चुकी हैं. इंडिया के भी बहुत लोग मरे थे इन घटनाओं में. कोटा बढ़ाने की जानकारी माइनॉरिटी अफेयर्स मिनिस्टर मुख्तार अब्बास नकवी ने दी थी. 5 साल पहले 2012 में सऊदी अरब ने हर देश का 20 परसेंट कोटा काट दिया था. क्योंकि मस्जिद का एक्सपैंशन हो रहा था. नकवी इस बात पर बहुत बोल गये. कहा कि इंडिया और सऊदी अरब विश्व शांति, प्रोग्रेस के बारे में सोचते हैं. दोनों देश बहुत ही मजबूत संस्कारों, आर्थिक और राजनीतिक बंधनों से जुड़े हैं. हालांकि ये बोलने वाली ही बात होगी. क्योंकि अगर वाकई में दोनों देशों के संस्कार मिलते-जुलते हैं, तो जनता को चिंता होनी चाहिए. 2 जनवरी से सरकार ने हज एप्लिकेशन इश्यू करना शुरू किया है. 24 जनवरी तक चलेगा ये. 2 जनवरी को ही नकवी ने हज कमिटी ऑफ इंडिया नाम से मोबाइल एप्लिकेशन भी लॉन्च किया था. 2016 अप्रैल में नरेंद्र मोदी सऊदी अरब गये भी थे. https://youtu.be/vPAANXU5tVM उत्तर प्रदेश की सपा सरकार और मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने तो इसी तर्ज पर तीर्थयात्राओं के लिए छूट देना शुरू कर दिया है. कैलाश मानसरोवर यात्रा से लौटे यूपी डोमिसाइल के यात्रियों को यूपी सरकार 50 हजार रुपये देगी. मध्य प्रदेश सरकार अपने राज्य के वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त में तीर्थयात्रा कराएगी. ये पैसा तो पढ़ाई-लिखाई में ही खर्च होना चाहिए. गरीब आदमी के लिए कहां जहाज में जाना-घूमना सपरेगा. वो तो अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के बारे में ही सोचेगा. जो अफोर्ड कर सकता है वही तो जाता है. अगर हज सब्सिडी की बात करें तोदुनिया के किसी भी और देश में हज सब्सिडी नहीं दी जाती है.
क्या है ये हज सब्सिडी? प्लेन के टिकट में छूट. हज सब्सिडी सरकार हज यात्रियों को देती है. ब्रिटिश टाइम से चला आ रहा है ये. 1932 में ब्रिटिशों ने ही हज कमिटी एक्ट बनाया था. पार्टीशन से पहले मुसलमानों को साधने की ये कोशिश थी उनकी. भारत सरकार ने अपने होते 1954 में मुंबई और जेद्दा के बीच यात्रा में सब्सिडी देकर शुरूआत की थी. 1973 में भारत सरकार ने एक नियम बनाया. पहले समुद्र के माध्यम से यात्रा होती थी. पर तेल की कीमतों के चलते सऊदी अरब का समुद्र-रास्ता खत्म किया गया. कहा गया कि सबको प्लेन से ही जाना होगा. अगर यात्री सऊदी अरब, इराक, ईरान और जॉर्डन एयर इंडिया से जाते हैं तो उनको टिकट में रियायत दी जाएगी. एयर इंडिया और सऊदी अरब की नेशनल एयरलाइन दोनों ही इस चीज को मैनेज करती हैं. इंडिया की मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन हज कमिटी के माध्यम से घर से निकलकर हज पॉइंट तक पहुंचने तक में सब्सिडी देती है. खाने-पीने और रहने में भी मदद की जाती है. हवाई जहाज के किराये में लगभग 75 हजार रुपये और बाकी किराये में लगभग 3 हजार रुपये प्रति व्यक्ति सब्सिडी मिलती है. https://youtu.be/OoxB4-bFO5gओवैसी पहले मुस्लिम नेता नहीं हैं जो इस सब्सिडी का विरोध करते हैं. 2006 में जमीयत उलेमा ए हिंद के नेता मौलाना महमूद मदनी ने कहा था कि हज जाते समय किसी तरह की ऐसी सहायता लेना शरियत के खिलाफ है. कुरान के मुताबिक जो जा सकते हैं, उन्हीं को जाना चाहिए. सब पर जाने की जबर्दस्ती नहीं है. 2012 में ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बोला था कि आने वाले 10 सालों में हज सब्सिडी खत्म करिए. ये पैसा पढ़ाई-लिखाई पर खर्च करिए. जस्टिस आफताब आलम और रंजना देसाई ने कहा था कि मुस्लिम समाज भी इस चीज को सपोर्ट करेगा. 2012 में केंद्र सरकार ने सब्सिडी को वन्स इन लाइफटाइम अपॉर्च्युनिटी बना दिया. इससे पहले हर पांच साल में सब्सिडी लेने की सुविधा थी.अगस्त 2010 में माइनॉरिटी अफेयर्स मिनिस्ट्री ने सब्सिडी का विरोध किया था. उस वक्त की सरकार ने कहा था कि हर साल सब्सिडी को कम किया जाएगा. 2017 तक इसे खत्म कर दिया जाएगा. 2017 तो आ गया गुरू. हज सब्सिडी पर सबसे ज्यादा आरोप इस बात का लगता है कि सब्सिडी के बाद भी एयर इंडिया का किराया प्राइवेट एयरलाइंस से ज्यादा है. तो ये एयर इंडिया को जिंदा रखने के लिए है ना कि हज के लिए. पर सब्सिडी की बीमारी सबको घेर रही है. तीर्थयात्रा पर जाने के लिए क्या ही सब्सिडी चाहिए. लोग अपने टैक्स के पैसे को दूसरों के घूमने में क्यों लगाएं. ये पैसा क्यों नहीं एजुकेशन में खर्च हो रहा है. ऐसा ना हो कि धीरे-धीरे हर धार्मिक स्थल पर जाने के लिए सरकार सब्सिडी देने लगे. और लोग दिन भर बस घूमने के प्लान बनाएं. चुनाव में नेता सिर्फ सब्सिडी की ही बात करें.
ये भी पढ़िए-