ओडिशा में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एक बड़ी घोषणा की है. यहां अंगदान वाले मृतक व्यक्ति का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. CM पटनायक ने कहा कि राज्य सरकार की इस पहल का मकसद लोगों की जान बचाने के लिए अंगदाताओं और उनके परिवार के साहस और बलिदान का सम्मान करना है. पिछले साल, तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने भी घोषणा की थी कि उनकी सरकार राज्य के अंगदाताओं के अंतिम संस्कार को पूर्ण राजकीय सम्मान देगी.
इस राज्य में अंगदान करने वालों को मरने के बाद मिलेगा राजकीय सम्मान
भारत में अंगदान के आंकड़े निराशाजनक हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2014 में देश में अंगदाताओं की संख्या 6,916 थी, जो साल 2022 में बढ़कर लगभग 16,041 हो गई. हालांकि, ये बेहद मामूली वृद्धि है.
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक CM नवीन पटनायक ने अंगदान को एक नेक काम बताया. उन्होंने कहा कि ब्रेन-डेड लोगों के रिश्तेदार जो अपनों के अंगदान करने का साहसी निर्णय लेते हैं, वे कई मानव जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं.
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अंगदान वाले मृतकों के अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान दिए जाने की पहल पर CM नवीन पटनायक ने कहा,
"ये समाज में अंगदान के महत्व के बारे में जागरूकता लाएगा और अधिक से अधिक लोगों को इस संबंध में आगे आने के लिए प्रेरित करेगा."
अंगदान की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए, ओडिशा सरकार ने 2019 में स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यूज ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (SOTTO) की स्थापना की थी. इसके अलावा साल 2020 में अंगदाताओं के लिए सूरज पुरस्कार शुरू किया था. ये पुरस्कार गंजम जिले के सूरज के नाम पर शुरू किया गया था, जिनके अंगदान से छह लोगों को जीवन मिला.
सूरज एक सड़क हादसे में घायल हो गए थे. इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. इसके बाद सूरज के रिश्तेदारों ने उनका अंगदान करने का फैसला किया. बता दें कि ओडिशा सरकार अंगदाताओं के परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से 5 लाख रुपये भी देती है.
भारत में अंगदान की स्थितिअंगदान के जरिए एक व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद 8 लोगों को नया जीवन दे सकता है. किडनी, लिवर, फेफड़े, दिल, पैनक्रियाज़ और आंतों का दान किसी की जान बचा सकता है. वहीं कॉर्निया, स्किन, हड्डी और हार्ट वॉल्व का दान जरूरतमंद लोगों के जीवन में सुधार ला सकता है.
भारत में अंगदान के आंकड़े निराशाजनक हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2014 में देश में अंगदाताओं की संख्या 6,916 थी, जो साल 2022 में बढ़कर लगभग 16,041 हो गई. हालांकि, ये बेहद मामूली वृद्धि है. भारत में जितने अंगदान होते हैं, उनमें से 85 प्रतिशत अंगदान जीवित डोनर से होता है. मरने के बाद अंगदान की संख्या काफी कम है. इसकी दर एक दशक से लगातार प्रति दस लाख जनसंख्या पर एक डोनर से नीचे है. ये एक गंभीर स्थिति है, जब हजारों मरीज ट्रांसप्लांट के इंतजार में हैं और बड़ी संख्या में लोग ट्रांसप्लांट न होने के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं.
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