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'गब्बर समझ लो..' अपने बयान पर राजभर ने दी सफाई, 'पीला झंडा' पर पत्रकार को ही हड़का दिया

UP Government में मंत्री बनने के बाद Om Prakash Rajbhar ने खुद को 'गब्बर सिंह' बता दिया था. अब उनका कहना है कि उन्होंने खलनायक की भूमिका में नहीं बल्कि हीरो की भूमिका में ये बात कही थी.

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ओमप्रकाश राजभर ने अपने गब्बर वाले बयान पर सफाई दी है. (फोटो - आजतक)

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (OP Rajbhar) अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं. अपने बयानों को लेकर वो अक्सर चर्चा में बने रहते हैं. कभी यादव समाज पर विवादित टिप्पणी कर देते हैं तो कभी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पर ही हमलावर हो जाते हैं. उन्हीं राजभर का एक और बयान इन दिनों सुर्खियों में है. दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बनने के बाद राजभर ने ख़ुद को गब्बर सिंह बता दिया. उन्होंने कहा था,

"आप शोले फिल्म देखे हो. शोले में एक गब्बर सिंह था, तो मुझे भी गब्बर समझ लो."

हालांकि अब उन्होंने अपने बयान को लेकर सफाई दी है. अब उनका कहना है कि उन्होंने ये बात खलनायक नहीं, बल्कि हीरो की भूमिका में कहा था. जब उनसे एक पत्रकार ने पूछा कि गब्बर की भूमिका को लेकर आपका क्या कहना है, तो उन्होंने कहा,

"गरीबों की सेवा के लिए, उत्साह के लिए हमने ये कहा. समाजवादी पार्टी की सरकार ने गरीबों के मनोबल को दबाया था. उनका मनोबल बढ़ाने के लिए हम पूर्वांचल की भाषा में उनको बोलते हैं. आप उसको दूसरी भाषा में समझते हैं, जबकि हमारी दूसरी भाषा होती है. वो खलनायक की भूमिका में नहीं था, हीरो की भूमिका में था."

उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को पीला गमछा डालकर थाने जाने की सलाह भी दी थी. उनका कहना था कि पीला गमछा लेकर जाने से दरोगा भी उनसे सवाल नहीं पूछेगा. राजभर ने कहा था,

"मुख्यमंत्री जी के बाद किसी के पास ताक़त है, तो वो राजभर के पास है. इसीलिए आपसे कह रहा हूं. अगर आपको कोई समस्या हो, तो पीला गमछा लगाकर थाने जाओ. आपकी शक़्ल पर भी दरोगा को राजभर दिखेगा. दरोगा जी की पावर नहीं होगी कि वो मंत्री से पूछे कि आपने भेजा है या नहीं. आज के समय में SP, DM, और DG को भी पावर नहीं है कि वो हमसे पूछें कि आपने भेजा है कि नहीं."

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इस बयान को लेकर सवाल पूछने पर राजभर ने पत्रकार को ही हड़का दिया. उन्होंने पत्रकार को समाजवादी पार्टी का एजेंट बता दिया. जब एक पत्रकार ने उनसे सवाल पूछा कि आप पीला गमछा लेकर थाना जाने की बात कर रहे हैं, इससे लोगों की मनमानी नहीं बढ़ेगी. तो उन्होंने पत्रकार को डांट लगाते हुए कहा,

"सवाल करने से पहले सुना करो. बिना वजह अगर समाजवादी पार्टी का एजेंट बनकर आए हो, तो दिमाग़ से निकाल दो. कुर्ता-पजामा पहन लो. सुनो, बुनो तब धुनो. मैंने कहा कि आपकी पहचान पीले गमछे से है. आप कहीं भी जाओ, थाने पर भी जाओ. तो जब थानेदार भी पीला गमछा देखेंगे, उसको ओमप्रकाश राजभर नज़र आएगा. आप उसको झंडा बता रहे हो. हम तो पीला गमछा पहनकर चल रहे हैं, तो क्या मनमानी कर रहे हैं. लाखों लोगों को हमने समाज में जीने लायक़ बना दिए."

राजभर ने पत्रकार से कहा कि समाजवादी पार्टी से लिखकर आए हो कि यही पूछना है. साथ ही उन्होंने शिक्षा, बेरोजगारी और समाज में मौज़ूद असमानता पर सवाल पूछने की सलाह दे दी.

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