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उत्तराखंड के ओम पर्वत से ग़ायब हो गया 'ॐ', तस्वीर डराने वाली, लेकिन क्या हम डरेंगे?

गांव वाले बता रहे है कि उनकी स्मृति में ऐसा कभी नहीं हुआ. 2016 में बारिश कम हुई थी. बारिश कम होती है, तो बर्फ़ भी नहीं टिकती. मगर बावजूद कम बारिश और बर्फ़बारी के, ओम पर्वत से बर्फ़ नहीं गायब हुई थी.

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चीन सीमा के पास एक जगह है, नाभीढांग. यहीं से ओम पर्वत दिखता है.

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में एक पहाड़ है, ओम पर्वत. 5,900 मीटर यानी 19,356 फीट ऊंचा. दूर से देखने पर बर्फ़ और मिट्टी ‘ॐ’ का चिह्न बनाती दिखती हैं. मगर अब पर्वत से बर्फ़ पिघल गई है, और ‘ॐ’ चला गया है. अब यहां पर सिर्फ़ काला-सूखा पहाड़ दिख रहा है. स्थानीय लोग इस घटना से चिंतित हैं और वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान का संकेत बता रहे हैं.

धारचूला से कैलाश मानसरोवर की तरफ़ बढ़ने हुए चीन सीमा से क़रीब 15 किलोमीटर पहले ॐ पर्वत की झलक दिखती है. स्थानीय समुदाय पहाड़ को पूजते भी हैं.

ऐसा क्यों हो रहा है?

आजतक के साथ जुड़े राकेश पंत की रिपोर्ट के मुताबिक़, धरती के तापमान बढ़ने के चलते इस हिमालयी क्षेत्र से बर्फ़ तेजी से पिघल रही है. इसके अलावा हिमालय में लगातार हो रहे कंस्ट्रक्शन और मानवीय हस्तक्षेप की वजह से भी क्षेत्र का भारी नुक़सान हो रहा है. ओम पर्वत के साथ भी यही हुआ जिससे स्थानीय लोग सकते में हैं. पर्यावरणविद भगवान सिंह रावत का कहना है कि ओम पर्वत से बर्फ़ पिघल जाना गंभीर घटना है.

ये भविष्य के लिए चेतावनी है. वैज्ञानिकों को इस पर डिटेल में स्टडी करनी चाहिए, ताकि समय पर हिमालय की बर्फ़ को बचाया जा सके. पिथौरागढ़ में लंबे समय से निर्माण कार्य हो रहा है. पर्यटन की वजह से भीड़ भी बढ़ी है. इससे जलवायु बदल रहा है.

गांव वाले बता रहे हैं कि उनकी स्मृति में ऐसा कभी नहीं हुआ. 2016 में बारिश कम हुई थी. बारिश कम होती है, तो बर्फ़ भी नहीं टिकती. मगर बावजूद कम बारिश और बर्फ़बारी के, ओम पर्वत से बर्फ़ नहीं गायब हुई थी.

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एक नई रिसर्च से पता चला है कि अगर देश का तापमान तीन डिग्री सेल्सियस भी बढ़ा, तो 90 फ़ीसदी हिमालय साल भर से ज़्यादा सूखा रहेगा. इसी साल की जनवरी में मौसम वैज्ञानिकों की चिंता का सबब बना था, कश्मीर. वहां भी बर्फ़ ग़ायब हो गई थी. वो भी तब, जब उत्तर भारत शीतलहर की चपेट में था. ठंड रोज़ नए रिकॉर्ड्स जमा रही थी. तब बर्फ़ नदारद होने की वजह बताई गई थी, एल नीन्यो.

मॉनसून देर या जल्दी आ जाए, तो इस फ़ेनोमेना की बात आती है. कुछ लोग इंद्र देव को भी श्रेय देते हैं, मगर वो मान्यता है. साइंस है, एल नीन्यो (El Niño). ये मेक्सिको या कोलंबिया में गुंडई करने वाले किसी ड्रग-लॉर्ड का नाम नहीं है; मौसम के एक प्रोसेस का नाम है. और, इसका जितना रिश्ता बरसात से है, उससे थोड़ा कम बर्फ़बारी से भी है.

इसके अलावा पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) को भी एक बड़ी वजह बताया गया है.

मगर ओम पर्वत से बर्फ़ जाने का कारण यही है या कुछ और, इस बारे में भी वैज्ञानिक ही बताएंगे. विस्तृत अध्ययन के बाद. 

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