बिहार (Bihar) के बाद अब ओडिशा सरकार जातिगत सर्वे (Caste Survey) की रिपोर्ट पेश कर सकती है. ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (OSCBC) ने हाल ही में 211 पिछड़े वर्गों के लोगों के सामाजिक और शैक्षिक हालातों पर एक सर्वे पूरा किया है. ये मई में शुरू किया गया था.
बिहार के बाद अब ओडिशा में भी जाति सर्वे, किसकी आबादी 46 परसेंट निकली?
बिहार के बाद अब ओडिशा से भी जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सामने आ सकती है. सर्वे करने वाले आयोग ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इसमें सामने आया है कि ओडिशा में OBCs की जनसंख्या 46% है.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गई है. इसमें सामने आया कि 2011 की जनगणना के हिसाब से राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के 46% लोग हैं. इस सर्वे को एक प्रश्नावली के आधार पर किया गया. इसमें कई तरह के सवाल थे, जैसे कि वे कैसे घरों में रहते हैं? कमाई के लिए क्या करते हैं? अस्पतालों, स्कूलों, बाजारों और कॉलेजों तक उनकी पहुंच है या नहीं?
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OSCBC की सदस्य मिताली चिनारा ने बताया कि आयोग ने जुलाई 2023 में डोर-टू-डोर सर्वे पूरा किया. इसमें सामने आया कि राज्य में 208 पिछड़े वर्गों के 1 करोड़ 95 लाख लोग हैं. ये ओडिशा की 46% जनसंख्या है. मिताली चिनारा ने बताया कि हमने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है. ये कब पब्लिश होगी, इसका फैसला राज्य सरकार करेगी.
बिहार का जाति सर्वेइससे पहले 2 अक्टूबर को बिहार सरकार ने भी जातिगत सर्वे की रिपोर्ट जारी की. उन्होंने ये सर्वे जनवरी में शुरू किया था. जिसकी रिपोर्ट अब जारी की गई है. इसमें सामने आया है कि बिहार में 36 फीसदी अति पिछड़ा वर्ग, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी से ज्यादा अनुसूचित जाति, 15.52 फीसदी सवर्ण (अनारक्षित वर्ग) और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है.
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बिहार सरकार की रिपोर्ट सामने आते ही जातिगत जनगणना पर एक बार फिर से बहस शुरू हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर विपक्ष पर आरोप लगाया है कि वो देश को जाति के नाम पर बांटने की कोशिश कर रहा है. प्रधानमंत्री ने बिना किसी पार्टी या सर्वे का नाम लिए कहा था कि विपक्ष पहले भी देश को जाति के नाम पर बांटने का काम करता था. वो आज भी यही कर रहे हैं.
वहीं विपक्षी गठबंधन INDIA ने इस रिपोर्ट का समर्थन किया है. कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने बिहार सरकार की रिपोर्ट पर 'जितनी आबादी, उतना हक' की बात भी कही है.
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