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शार्क की सवारी करता दिखा ऑक्टोपस, वैज्ञानिक समाज में डर का माहौल!

Octopus rides shark video: ऑकलैंड यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम समुद्र में थी और 'वर्कअप' की तलाश में थी. तभी उन्होंने ये दृश्य देखा. पहले तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि वो क्या देख रहे हैं. उन्हें लगा कि शार्क के सिर पर नारंगी रंग का धब्बा शायद चोट के कारण पड़ा है.

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ऑक्टोपस, शार्क पर सवार होकर सैर करता दिखा. (फ़ोटो - University of Auckland)

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें एक ऑक्टोपस, शार्क मछली पर सवार (Octopus Shark Video) है. वीडियो में शार्क, ऑक्टोपस को अपनी पीठ पर बिठाए है और ऑक्टोपस समुद्र की सैर कर रहा है. इस वीडियो ने वैज्ञानिकों को अचंभित कर दिया है. वहीं, समुद्री जीवों के प्रेमियों को ख़ुश.

रिसर्चर्स ने दिसंबर, 2023 में न्यूजीलैंड के कावाऊ द्वीप के पास हौराकी खाड़ी में इसका वीडियो रिकॉर्ड किया था. जो बीते हफ़्ते ‘यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑकलेंड’ के यू-ट्यूब चैनल पर पोस्ट किया गया. इसमें एक बड़ी ‘शॉर्टफिन माको शार्क’ की पीठ पर नारंगी ‘माओरी ऑक्टोपस’ को चिपके हुए देखा जा सकता है.

ऑकलैंड यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम समुद्र में थी और 'वर्कअप' की तलाश में थी. तभी उन्होंने ये दृश्य देखा. पहले तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि वो क्या देख रहे हैं. उन्हें लगा कि शार्क के सिर पर नारंगी रंग का धब्बा शायद चोट के कारण पड़ा है.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑकलैंड में बायोलॉजिकल साइंस की प्रोफ़ेसर रोशेल कॉन्स्टेंटाइन ने इसे लेकर ओसियोग्राफ़ी से बात की. इस घटना को याद करते हुए वो बताती हैं,

पहले तो मैं सोच रही थी कि क्या ये कोई बोया (सांप की ख़तरनाक प्रजाति) है? फिर हमने सोचा कि क्या शार्क मछली पकड़ने के जाल में उलझी हुई है. फिर एक टेकनीशियन ने नज़दीक से देखने के लिए ड्रोन सेट किया. जैसे ही दोनों (ऑक्टोपस और शार्क) नज़दीक पहुंचे, तो हमें दुनिया का पहला ‘शार्कटोपस’ दिखा.

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बताया जाता है कि माओरी ऑक्टोपस दक्षिणी गोलार्ध का सबसे बड़ा ऑक्टोपस है. ऑक्टोपस आमतौर पर समुद्र तल पर पाए जाते हैं. जहां शॉर्टफिन माको शार्क कभी-कभार ही जाती हैं. बल्कि वो समुद्र के उथले क्षेत्रों को पसंद करती हैं. इससे वैज्ञानिकों को ये घटना और भी अजीब लगी. कॉन्स्टेंटाइन ने आगे बताया,

हम 10 मिनट बाद आगे बढ़ गए. इसलिए मैं ये नहीं बता सकती कि उसके बाद क्या हुआ. हालांकि, ऑक्टोपस के लिए ये अनुभव काफ़ी अच्छा रहा होगा. क्योंकि दुनिया की सबसे तेज़ शार्क प्रजाति 50 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार तक तैर सकती है.

कॉन्स्टेंटाइन ने एक और बात की तरफ़ ध्यान दिलाया था. उनका कहना था कि ये चीज़ इस बात का एक और उदाहरण है कि महासागर और समुद्री जीवन का कितना हिस्सा अभी भी हम एक्सप्लोर नहीं कर पाए हैं. क्योंकि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में और भी बहुत कुछ घट रहा है.

कॉन्स्टेंटाइन ने कहा कि समुद्री वैज्ञानिक होना इसलिए भी अच्छी चीज़ है कि आप कभी नहीं जानते कि आप समुद्र में आगे क्या देख सकते हैं.

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