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ऑस्ट्रेलियाई संसद पहुंचे किंग चार्ल्स पर सांसद ऐसा चिल्लाई, अगली बार जाने से पहले सोचेंगे

किंग चार्ल्स का विरोध करने वाली सांसद का नाम लिडिया थोर्प हैं. वो ऑस्ट्रेलिया के मूल समुदाय से आती हैं. लिडिया थोर्प राजशाही का घोर विरोध करने के लिए जानी जाती हैं. वो स्वदेशी अधिकारों की मुखर वकालत करती हैं.

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ऑस्ट्रेलिया की संसद में किंग चार्ल्स का विरोध (photo:reuters)

ब्रिटेन के किंग चार्ल्स क्वीन कैमिला के साथ ऑस्ट्रेलिया के पांच दिवसीय दौरे पर हैं. 21 अक्टूबर को वो ऑस्ट्रेलिया की संसद को संबोधित करने पहुंचे. तभी ऑस्ट्रेलिया की मूल समुदाय की एक सीनेटर ने किंग चार्ल्स के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. स्वतंत्र ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर लिडिया थोर्प ने किंग चार्ल्स का विरोध करते हुए कहा, "आप मेरे राजा नहीं हैं.” लिडिया ने उपनिवेशवाद विरोधी नारे भी लगाए. इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें संसद से बाहर निकाल दिया. लिडिया के विरोध प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.

द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, यह किंग चार्ल्स की एक ‘मोनार्क’ (राजा) के रूप में ऑस्ट्रेलिया की पहली यात्रा है. सोमवार को कैनबरा स्थित संसद भवन के ग्रेट हॉल में किंग चार्ल्स ने जैसे ही अपना भाषण समाप्त किया, विक्टोरिया की मूल समुदाय से आने वाली सीनेटर लिडिया थोर्प उठ कर किंग चार्ल्स की ओर चिल्लाईं और कहा, 

“यह आपकी जमीन नहीं है. आप मेरे राजा नहीं हैं.”

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, लिडिया थोर्प राजशाही का घोर विरोध करने के लिए जानी जाती हैं. वो स्वदेशी अधिकारों की मुखर वकालत करती हैं. वो लंबे समय से ऑस्ट्रेलिया की सरकार और उसके मूलनिवासियों के बीच एक संधि की बात कर रही हैं. लिडिया ने किंग चार्ल्स का विरोध करते हुए कहा, 

 "आप मेरे राजा नहीं हैं. आपने हमारे लोगों के खिलाफ नरसंहार किया है. हमें हमारी जमीन वापस दे दीजिए. हमें वह सब दे दीजिए जो आपने हमसे चुराया है - हमारे बच्चे, हमारे लोग."

लिडिया करीब एक मिनट तक नारेबाजी करती रहीं. चिल्लाते हुए वो आगे कहती हैं, 

“आपने हमारी जमीन को बर्बाद कर दिया. हम इस देश में एक संधि चाहते हैं. आप एक नरसंहारवादी हैं.”

इसके बाद सुरक्षाकर्मी उन्हें बाहर की तरफ ले जाते हैं.

ऑस्ट्रेलिया 100 से अधिक वर्षों तक एक ब्रिटिश उपनिवेश था. 1901 में उसे स्वतंत्रता मिली. लेकिन यह अभी भी एक पूर्ण गणराज्य नहीं है. और एक संवैधानिक राजतंत्र बना हुआ है. किंग चार्ल्स राज्य के वर्तमान प्रमुख हैं.

औपनिवेशिक काल के दौरान ऑस्ट्रेलिया के मूल समुदाय के लोगों पर किए गए अत्याचारों का लंबा इतिहास रहा है. ब्रिटिश राज में हजारों मूल समुदाय के लोगों को मार दिया गया या विस्थापित किया गया. उनको गुलाम बनाकर रखना, नस्लवादी भेदभाव और उनके बच्चों तक को उनसे छीन लेना उन पर किए गए अत्याचारों में शामिल हैं. इसका मुख्य कारण रहा ब्रिटिश क्राउन की उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद की नीति.

हालांकि, लिडिया थोर्प के विरोध प्रदर्शन की कई ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने निंदा भी की है. कार्यक्रम में मौजूद  देश के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण राजनीतिक प्रदर्शनवाद' कहा. संसद में मौजूद एक ऑस्ट्रेलियाई व्यEवसायी डिक स्मिथ ने कहा, 

"मुझे लगता है कि यह हमारे लोकतंत्र का अद्भुत हिस्सा है कि उन्हें (लिडिया) जेल में नहीं डाला जाएगा.”

यह पहला वाकया नहीं है जब लिडिया थोर्पे ने राजशाही के खिलाफ विरोध किया है. 2022 में उन्होंने अपने शपथग्रहण के बाद क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय का विरोध किया था. लिडिया ने क्वीन के नाम से शपथ लेने से इनकार कर दिया था. उस वक्त क्वीन ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्र प्रमुख थीं.

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