बिहार में फिर नीतीशे कुमार (Nitish Kumar). वो भी पहली-दूसरी नहीं, नौंवी बार. कभी NDA के साथ गठबंधन में रहकर CM, कभी UPA के साथ, कभी नए-नए बने INDI गठबंधन के साथ. लेकिन 28 जनवरी को नीतीश कुमार ने RJD का साथ छोड़ते हुए एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है और INDI गठबंधन का साथ छोड़ NDA से दोस्ती कर ली है. जानते हैं कि पिछले 10-15 साल में नीतीश ने कब-कब किसका साथ पकड़ा और छोड़ा.
नीतीश कुमार पहले कब-कब बदल चुके हैं पाला? कभी अंतरात्मा जागी, कभी वैचारिक मतभेद बताए
Nitish Kumar ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. और इसके साथ ही उन्होंने INDI गठबंधन का साथ छोड़ NDA से एक बार फिर से दोस्ती कर ली.
शुरुआत होती है साल 2013 से. जब भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी को उम्मीदवार घोषित किया गया. ये फैसला नीतीश कुमार को रास नहीं आया और उनकी अगुवाई वाली पार्टी JDU ने साल 1996 से चला आ रहा गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया. नीतीश ने जब ये कदम उठाया, उस समय JDU बिहार की सबसे बड़ी पार्टी थी. 117 विधायकों के साथ. बहुमत से महज 5 कम. यहां नीतीश को साथ मिला कांग्रेस और CPI के अलावा निर्दलीय विधायकों का. कांग्रेस के चार, चार निर्दलीय और एक CPI विधायक के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने नई सरकार बनाई और चलाई.
फिर हुआ साल 2014 का लोकसभा चुनाव. जिसमें JDU केवल दो सीटें ही जीत पाईं. और नैतिकता का हवाला देते हुए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने सरकार की कमान जीतन राम मांझी को देकर सबको चौंका दिया. लेकिन नीतीश कुमार का मन कुछ महीनों में ही बदल गया और फिर से खुद ही मुख्यमंत्री पद पर कायम हो गए.
लालू यादव और उनकी पार्टी का लगातार विरोध करते रहे नीतीश कुमार ने साल 2014 में उनकी पार्टी से गठबंधन कर सबको हैरान कर दिया. 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें इसका फायदा भी मिला और जेडीयू-आरजेडी के गठबंधन ने मिलकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. राजद और JDU ने इस दौरान 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था. जबकि कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव में दावेदारी पेश की. चुनाव में राजद 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. जबकि जदयू को 71 सीटें मिलीं. वहीं कांग्रेस भी 27 सीटें हासिल करने में सफल रही.
2017 में NDA में वापस लौटेहालांकि नीतीश कुमार इस गठबंधन के साथ लंबी पारी नहीं खेल पाए. 2017 में उनका मोहभंग हो गया. इस दौरान तत्कालीन डिप्टी सीएम तेजस्वी का नाम भ्रष्टाचार के एक मामले में आया और नीतीश कुमार ने अपने 'सुशासन बाबू' वाली छवि का हवाला देते हुए RJD से किनारा कर फिर से NDA में शामिल हो गए.
JDU ने 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा. लोकसभा चुनाव में JDU ने अच्छा प्रदर्शन किया और 16 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही. लेकिन साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में JDU महज 43 सीटों पर सिमट गई. जबकि बीजेपी को 74 सीटें मिलीं. हालांकि कुछ जोड़-तोड़ के बाद NDA की सरकार बनी और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री चुने गए.
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2022 में फिर बदला पालालेकिन साल 2022 में नीतीश कुमार का फिर से बीजेपी से भी मोहभंग हो गया और नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ हाथ मिला लिया. RJD के 75 विधायकों को अपने साथ मिलाकर नीतीश कुमार ने अपनी सत्ता बचा ली. इतना ही नहीं, नीतीश इस बार बीजेपी पर काफी हमलावर भी दिखाई दिए. भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए नीतीश ने देशभर की विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की मुहिम छेड़ी और INDI गठबंधन के गठन में अहम रोल अदा किया. लेकिन ये साथ भी ज्यादा नहीं चल पाया और 28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार का मन फिर से बदल गया.
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