‘‘यदि टीके की आपूर्ति के मुकाबले उसकी मांग अधिक होगी तो इससे समस्या खड़ी होगी. इसलिये एक कंपनी के बजाय 10 और कंपनियों को टीके का उत्पादन करने में लगाया जाना चाहिये. इसके लिये वैक्सीन का पेंटेंट रखने वाली कंपनी को दूसरी कंपनियों द्वारा रॉयल्टी का भुगतान किया जाना चाहिये. वैक्सीन वाली कंपनी एक के बजाए 10 लोगों को लाइसेंस दे.''
नितिन गडकरी ने ये भी कहा था कि हर राज्य में ऐसी लैब मौजूद हैं, जिनके पास क्षमता है. अगर उनसे वैक्सीन का फॉर्मूला शेयर किया जाए तो वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ सकता है. अगर ऐसा होता है तो 15 दिनों में ही इसका असर भी दिखाई देने लगेगा. देश में सप्लाई पूरी करने के बाद वैक्सीन बचें तो एक्सपोर्ट भी की जा सकती है.
विवाद बढ़ा तो क्या सफाई दी
नितिन गडकरी का ये बयान वायरल हो गया. लोगों ने गडकरी को सुझाव देना शुरू कर दिया कि वो ये बात केंद्र में अपनी सरकार को क्यों नहीं बताते. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा कि क्या उनके बॉस ये सुन रहे हैं? इशारा पीएम मोदी की तरफ था. रमेश का कहना था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 8 अप्रैल को भी ऐसा ही सुझाव दिया था. विवाद बढ़ा तो 19 मई की दोपहर नितिन गडकरी के एक के बाद एक तीन ट्वीट आए. इसमें उन्होंने लिखा,
स्वदेशी जागरण मंच की ओर से आयोजित कॉन्फ्रेंस में मैंने कोविड वैक्सीन के लिए सजेशन दिया था. मुझे नहीं पता था कि रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने सरकार को पहले ही वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सजेशन दे रखा है. इस कॉन्फ्रेंस के बाद उन्होंने मुझे फोन करके ये भी बताया कि भारत सरकार कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए 12 अलग-अलग कंपनियों और प्लांट्स के साथ संपर्क में है. मुझे नहीं पता था कि मंत्रालय मेरे सजेशन से पहले ही इस पर काम कर रहा है. मैं बहुत खुश हूं और टीम को बधाई देना चाहता हूं कि वो सही दिशा में हैं.
नितिन गडकरी का ट्वीट.
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ऐसा सुझाव कुछ समय पहले दे चुके हैं. उन्होंने केन्द्र से कहा था कि देश में अगर दूसरी कंपनियों को वैक्सीन बनाने का फॉर्मूला दिया जाए तो प्रोडक्शन बढ़ाया जा सकता है. इस तरह देश में कम समय में बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन किया जा सकेगा.
हाल में सरकार ने पोलियो वैक्सीन बनाने वाली हैदराबाद की कंपनी बिबकोल को बुलंदशहर प्लांट में कोवैक्सीन के उत्पादन की मंजूरी दी है. ये हर महीने 2 करोड़ कोवैक्सीन बनाएगी. अभी तक देश में कोरोना की तीन वैक्सीन को ही मंजूरी मिली है. कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक-वी. कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने विकसित किया है. कोविशील्ड का उत्पादन पुणे का सीरम इंस्टिट्यूट कर रहा है. स्पूतनिक-वी को रूस से मंगवाया जा रहा है.