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इसमें इक खरगोश का दिल धड़कता है : 'उड़ता पंजाब' का नया गाना

'उड़ता पंजाब' में आलिया भट्ट बनीं हॉकी प्लेयर, अमित त्रिवेदी ने रचा शिव कुमार बटालवी की कविता को गीत में

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'इक्क कुड़ी, जिन्दा नाम मुहब्बत' शिव कुमार बटालवी की यह कविता आधुनिक पंजाबी की शायद सबसे प्यारी कविताओं में से एक है. बटालवी ने इसे लिखते हुए अपना तरुणाई भरा धड़कता दिल मिलाया था शायद. कोरा, नर्म, उजला, सुर्ख. दिप-दिप करता सच्चा दिल. अभिषेक चौबे की आनेवाली फिल्म 'उड़ता पंजाब' के नए गाने में इसी कविता को अमित त्रिवेदी ने अपनी सुकूनभरी धुन में पिरोया है. गर फिल्म का पहला गाना 'चिट्टा वे' त्रिवेदी के देव डी वाले 'इमोशनल अत्याचार' की याद दिलाता था, तो 'इक्क कुड़ी' आयशा वाली 'शाम' है. मधुर, मिश्री सा मीठा. गाने को गाया है पंजाबी संगीत और फिल्मों की सबसे चमकीली पहचान बनकर उभरे दिलजीत दोसांझ ने. लेकिन वीडियो में उनके साथ एक कहानी भी है. वीडियो में उनके साथ हैं आलिया भट्ट. लेकिन वो वाली आलिया नहीं, जिसे आपने 'स्टूडेंट ऑफ़ दि इयर' से लेकर 'कपूर एंड संस' तक देखा है. तीन मिनट के गाने में एक लड़की के सपनों की पूरी कहानी पिरो दी गई है. एक सूखी नदी वाले, रूखे प्रदेश की लड़की भाग आई है. पीठ पर बस्ता है, बस्ते में से झांकती हॉकी. पहुँच जाती है खेल के मैदान में. कोच सर इशारा कर बुलाते हैं तो किसी अनगढ़ हीरे सी खिल जाती है. हाथ से हॉकी छीन गेंदें उठाने का काम पकड़ा दें तो मैदान के बीच में अड़ जाती है. भोली भी है, अक्खड़ भी है. हाथ में हॉकी पकड़ा दो तो हिरनी सी चपल खिलाड़ियों के बीच से गेंद निकाल ले जाती है. जीत जाती है तो लगता है कि इस लड़की ने बस अभी-अभी दुनिया जीती है. जब टीम का ब्लेज़र पहन शीशे में खुद का अक्स निहारती है, 'भाग मिल्खा भाग' वाले जवान मिल्खा की छवि अचानक याद आती है. ये गाना दोस्त है, रात की अकेली महफ़िलों में साथी बनेगा. सुनें, सराहें. https://www.youtube.com/watch?v=ZbX_nlzv7uU