ढाई साल के निर्माण कार्य और तमाम विवादों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन कर दिया. विपक्षी पार्टियों के नेता इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग की थी. बहरहाल, देश को नया संसद मिल गया है. सवाल ये है कि 1200 करोड़ रुपये खर्च करके बनाए गए नए संसद भवन में क्या खास है? और सवाल ये भी कि पुरानी संसद का क्या होगा?
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1200 करोड़ रुपये खर्च करके बनाए गए नए संसद भवन में क्या खास है?
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सरकार के मुताबिक संसद के बढ़ते काम के कारण एक नई इमारत की जरूरत महसूस की गई. अभी का संसद भवन ब्रिटिश दौर में बना था, जो करीब 100 साल पुराना है. इसका निर्माण 1921 में शुरू हुआ था और 1927 में पूरा हुआ. सरकार का कहना है कि पुरानी बिल्डिंग में जगह की कमी है और आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था नहीं है. इसके अलावा मौजूदा संसद भवन को लेकर कई तरह की सुरक्षा चिंताएं भी जताई गई हैं. जैसे, फायर सेफ्टी, क्योंकि इस इमारत का डिजाइन मॉडर्न फायर नॉर्म के हिसाब से नहीं है.
नई संसद की खासियत- दोनों सदनों की क्षमता बढ़ाई गई है. लोकसभा में 888 सांसद बैठ पाएंगे और राज्यसभा में 300. दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के दौरान लोकसभा में 1272 सांसद बैठ सकेंगे.
- पुराने वाले की तरह नई बिल्डिंग सेंट्रल हॉल नहीं है. इसके बजाय संयुक्त सत्र के लिए लोकसभा कक्ष का ही इस्तेमाल किया जाएगा.
- लोकसभा हॉल को भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर डिजाइन किया गया है.
- वहीं राज्यसभा हॉल को भारत के राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर बनाया गया है.
- नया संसद भवन लगभग 64,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. पुराना वाला 24,281 वर्ग मीटर का था.

- आग के संकट से निपटने का इंतज़ाम हो गया है. आग के ख़तरे को देखते हुए कई नए बिजली के केबल जोड़े गए हैं.
- इसके अलावा पानी की सप्लाई लाइनों, सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग और सीसीटीवी की वजह से बिल्डिंग की एस्थेटिक्स खराब हो गया था. तो इस बार एस्थेटिक्स का खास खयाल रखा गया है.
- नए भवन में अत्याधुनिक तकनीके हैं. वोटिंग में आसानी के लिए बायोमेट्रिक्स है. डिजिटल भाषा व्याख्या या अनुवाद प्रणाली है.
- हॉल के अंदरूनी हिस्सों में virtual sound simulations फिट किया है. ताकि साउंड का सही लेवल तय हो और आवाज गूंजे ना.
- नई बिल्डिंग विकलांग लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. विकलांग व्यक्ति आसानी से किसी भी हिस्से में आसानी से आ-जा सकते हैं.

- संसद भवन को बदलने के लिए सरकार ने जो कारण बताए हैं, हम उसे ही बता रहे हैं. पहला यही कि सेंट्रल हॉल में अधिकतम 436 लोगों और लोकसभा में अधिकतम 552 व्यक्ति बैठ सकते हैं. संयुक्त सत्र के दौरान कम से कम 200 अस्थायी सीटें गलियारों में जोड़नी पड़ती हैं. जो असुरक्षित है.
- सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की वेबसाइट के मुताबिक, मंत्रियों के लिए जो कार्यालय और बैठक कक्ष, प्रेस कक्ष, भोजन सुविधा आदि मौजूद हैं, वो काफ़ी नहीं है. मेक-शिफ़्ट के आधार पर काम चलता है.
- पिछले कुछ सालों में तक़नीकी प्रगति के साथ बने रहने के लिए पुराने भवन में कई बदलाव किए गए थे. इसकी वजह से भवन की संरचना पर असर पड़ा है. मसलन, 1956 में इमारत के बाहरी हिस्से में दो नई मंजिलें जोड़ी गईं. इससे सेंट्रल हॉल का गुंबद ही छिप गया. फिर एक बार खिड़कियों को ढकने के लिए जाली लगाई, तो दोनों सदनों के हॉल में रोशनी ही कम हो गई.
- पुरानी बिल्डिंग में अलग-अलग तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर चाहे वो बिजली हो या एसी और सुरक्षा से जुड़े फीचर्स, सरकार के मुताबिक वे पुराने हो चुके हैं.

- पुरानी इमारत भूकंप से सुरक्षित नहीं है. इसके सर्टिफ़िकेशन के लिए सदन की संरचनात्मक ताकत को टेस्ट करना पड़ेगा और ऐसे टेस्ट से संसद के कामकाज बाधित करेंगे. ये इसलिए भी बड़ी चिंता है क्योंकि नई बिल्डिंग के बनने के दौरान दिल्ली-NCR में भूकंप का जोख़िम बढ़ गया है. NCR को सेस्मिक ज़ोन-2 की कैटगरी से निकालकर सेस्मिक ज़ोन-4 में डाल दिया गया है.
- भूकंप के साथ, आग का भी जोखिम है. पुराना सदन, आग से निपटने के मॉर्डर्न तरीकों से लैस नहीं है.
पुराने संसद भवन का अब क्या होगा?जब नया संसद भवन बन गया है तो अब पुरानी संसद का क्या होगा? अभी सरकार ने इसके बारे में कुछ साफ नहीं किया है. हालांकि केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मार्च 2021 में राज्यसभा को बताया था कि एक बार नया संसद भवन तैयार हो जाने के बाद, मौजूदा भवन की मरम्मत करानी होगी. उन्होंने इसके वैकल्पिक इस्तेमाल की बात कही थी. हालांकि ये भी जोड़ा था कि इस पर कोई व्यापक विचार नहीं किया गया है कि उसे किस इस्तेमाल में लाना चाहिए.
वहीं इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट की मानें तो पुराने संसद भवन को गिराया नहीं जाएगा. उसे संरक्षित किया जाएगा क्योंकि यह देश की एक पुरातात्विक संपत्ति है. इमारत को इस तरह से व्यवस्थित किया जाएगा कि संसदीय आयोजनों के लिए इसे नए भवन के साथ इस्तेमाल किया जा सके.
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