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भारतीय न्याय संहिता के तहत पहली FIR दिल्ली में एक रेहड़ी-पटरी वाले पर दर्ज की गई

First FIR registered in Delhi: 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून (New Criminal Law) देश में लागू हो गए हैं. जिसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम शामिल हैं.

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शख्स फुटओवर ब्रिज के नीचे अपनी दुकान लगाता था (Image credit: PTI)

1 जुलाई, 2024 से भारतीय न्याय संहिता, 2023 लागू हो गई है (First FIR under Bharatiya Nyaya Sanhita). इसके तहत देश की पहली FIR भी दर्ज कर ली गई है. यह FIR दिल्ली के कमला मार्केट (Kamla Market, Delhi) पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है. 

न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, यह FIR नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के एक रेहड़ी-पटरी वाले पर की गई है. जो फुटओवर ब्रिज के नीचे अपनी दुकान लगाता था. भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 285 के तहत यह मामला दर्ज किया गया है. शख्स पर फुटओवर ब्रिज के नीचे अवरोध पैदा करने के आरोप लगाए गए हैं.

फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, शख्स की पहचान बिहार से ताल्लुक रखने वाले पंकज कुमार के तौर पर की गई है. साथ ही FIR में दर्ज किया गया है कि शख्स ठेले में तम्बाकू और पानी की बिक्री कर रहा था. जिसकी वजह से आने-जाने वाले लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही थी. FPJ की रिपोर्ट के मुताबिक, ये आरोप भी लगाए गए हैं कि जब गश्त लगा रही पुलिस ने दुकानदार से ठेला हटाने के लिए कहा, तो उसने उनकी बात नहीं मानी. 

तीन पुराने कानूनों की जगह ली

बता दें 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून देश में लागू हो गए हैं. जिसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम शामिल हैं. जो क्रमश: ब्रिटिश समय के इंडियन पीनल कोड (IPC),  कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे. 

FPJ की रिपोर्ट के मुताबिक, नए कानून लागू होने के बाद न्यायाधीश को ट्रायल खत्म होने के 45 दिन बाद फैसला देना होगा. साथ ही पहली सुनवाई के 60 दिन बाद चार्ज फ्रेम करने होंगे. 

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बयान भी इस पर आया है. उन्होंने कहा है कि यह बदलाव सभी के लिए न्याय प्रक्रिया में तेजी लाएंगे. उन्होंने ने इस बात पर भी जोर दिया की इन बदलावों को ठीक से लागू करने के लिए, ट्रेनिंग और फॉरेंसिक टीम की भी जरूरत पड़ेगी. 

मामले में विपक्ष और कांग्रेस पार्टी का मत है कि यह कानून जल्दबाजी में लागू किए गए हैं. उनका कहना है कि इसमें और सुझावों की जरूरत थी.

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