घर पहुंचने के बाद भी बॉस का फ़ोन आता है? शिफ़्ट के बाद भी काम करना पड़ता है? क्या इस वर्क-कल्चर से आपके ख़ून में नमक आ जाता है? ऑस्ट्रेलिया शिफ़्ट हो जाइए फिर. वहां कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए क़ानून आ गया है. इसके तहत अगर ड्यूटी ख़त्म हो गई, तो बॉस का फ़ोन उठाने की कोई ज़रूरत नहीं. ऑफ़िस के बाद ऑफ़िस का कोई काम नहीं कराया जा सकेगा. अगर ऐसा होता है, तो बॉस पर तगड़ा हर्ज़ाना लगेगा.
घर जाने के बाद भी बॉस का फ़ोन आता है? यहां चले जाइए, बॉस के इंतज़ाम के लिए क़ानून आ रहा है!
ख़ुद रोज़गार मंत्री कह रहे हैं कि बॉस का फ़ोन आए, तो इग्नोर कीजिए.
रॉयटर्स की ख़बर के मुताबिक़, ऑस्ट्रेलिया के सोशल एक्टिविस्ट और कर्मचारी संगठन लंबे समय से देश में वर्किंग कल्चर को सुधारने की मांग कर रहे थे. लगातार ये मांग भी उठ रही थी कि देश में 'बॉस कल्चर' को सुधारा जाए, वर्क-लाइफ़ बैलेंस की दिशा में बढ़ा जाए.
अब देश के रोज़गार मंत्री टोनी बर्की ने इससे संबंधित एक बिल ड्राफ़्ट किया और इसी हफ़्ते ये पार्लियामेंट में पेश कर दिया जाएगा.
- संघीय सरकार क़ानूनों में जो बदलाव प्रस्तावित कर रही है, उसमें 'राइट टू डिस्कनेक्ट' का प्रावधान है. माने कर्म ही पूजा के बाद, पूजा से छुट्टी. फ़ोन बंद कर लीजिए, जीवन जिएं.
- अब किसी भी कर्मचारी को उसका बॉस 'बिना किसी वाजिब वजह के' ड्यूटी के बाद फोन भी नहीं कर सकता. कोई डॉक फ़ाइल एडिट नहीं करनी होगी, न किसी ईमेल का जवाब देना होगा.
- बिल का मक़सद है कि वर्क और लाइफ में बैलेंस लाया जाए. कर्मचारी इस तरह के मामलों में शिकायत 'फेयर वर्क कमीशन' के पास कर सकेंगे.
- अगर ऐसा करने के लिए कहा जाता है, तो इम्पलॉई बॉस के ख़िलाफ़ शिकायत कर सकता है. जांच होगी और जांच के बाद बॉस पर कार्रवाई. हर्ज़ाना वसूल किया जाएगा. हालांकि, हर्जाने की रक़म पैनल को अभी तय करनी है.
देश के विपक्षी दलों ने इस बिल का समर्थन किया है. ये कहते हुए कि ये वक़्त की ज़रूरत है.
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ऑस्ट्रेलिया के रोज़गार मंत्री ने कहा कि ये बहुत खु़शी की बात है कि इस बिल का समर्थन सभी सांसद कर रहे हैं. सभी चाहते हैं कि वर्क-लाइफ बैलेंस के लिए सख्त क़ानून की ज़रूरत है. कहा,
"छुट्टी का मतलब सिर्फ़ छुट्टी. अगर घड़ी ने इशारा कर दिया है कि आपकी ड्यूटी पूरी, तो कोई आपको काम के लिए मजबूर नहीं कर सकेगा. वैसे भी ड्यूटी के बाद आपसे जो काम कराया जाता है, उसके लिए आपको कोई पेमेंट नहीं किया जाता. हम जानते ही हैं कि ड्यूटी के बाद काम करने से टेंशन पैदा होता है, हेल्थ ख़राब होती है और रिश्ते भी बिगड़ते हैं.
मैं कहता हूं कि आपका वक़्त सिर्फ़ आपका है, आपके बॉस का उस पर कोई हक़ नहीं.. कोई दबाव डाले, तो आप उसे आराम से इग्नोर कीजिए."
अपना फ़ोन-लैपटॉप बंद करने का अधिकार देने वाले ऐसे ही क़ानून फ्रांस, स्पेन और यूरोपीय संघ के अन्य देशों में पहले से ही मौजूद हैं. भारत में.. अमा छोड़िए! आयोडेक्स मलिए, काम पर चलिए.
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