नेपाल में हुई हिंसा (Nepal Violence) को लेकर सरकार ने कार्रवाई की है. सरकार ने एलान किया है कि इस हिंसा में हुए नुक़सान की वसूली पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह (Nepal's ex-king Gyanendra Shah) से की जाएगी. इसके अलावा, ज्ञानेंद्र शाह की सिक्योरिटी भी घटा दी गई है.
नेपाल सरकार की हिंसा पर कार्रवाई, पूर्व राजा को थमाया नुकसान का बिल, सिक्योरिटी भी घटा दी
Nepal Violence: अब तक 130 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. इसके अलावा, जितने भी सुरक्षाकर्मी पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा की ड्यूटी में लगे थे, उन सबको बदल दिया गया है. सुरक्षा घटा भी दी गई है, पूर्व राजा की हिंसा में क्या भूमिका पता लगी?

ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में लगे 25 सुरक्षा कर्मियों को कम करके अब 16 कर दिया गया है. इसके अलावा, जितने भी सुरक्षाकर्मी उनकी सुरक्षा की ड्यूटी में लगे थे, उन सबको बदल दिया गया है. वहीं, काठमांडू नगर निगम ने राजा ज्ञानेंद्र शाह को नुकसान की भरपाई का नोटिस दिया है. इस नोटिस के मुताबिक़ उन्हें ज़ुर्माने के रूप में 7.93 लाख नेपाली रुपए (लगभग 5 लाख भारतीय रुपये) देने होंगे.
हुआ क्या था?रपटें बताती हैं कि 28 मार्च की सुबह क़रीब 11:30 बजे काठमांडू के तिनकुने इलाक़े में राजशाही समर्थक रैली शुरू हुई. ये रैली संसद भवन की तरफ बढ़ने की कोशिश कर रही थी, जहां निषेधाज्ञा लागू थी.
यहां पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थक, 2008 में समाप्त किए गए राजतंत्र की बहाली की मांग कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने कई घरों, इमारतों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया. इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें, आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां चलाईं.
इस दौरान दो लोगों की मौत हो गई. जबकि 15 से ज़्यादा लोग घायल हो गए. इसके बाद से सरकार और पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. काठमांडू पोस्ट की ख़बर के मुताबिक़, अब तक 130 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
ग्राउंड पर क्या दिखा?तिनकुने इलाक़े में राजशाही समर्थक रैली जब उग्र हुई, तो एक बिल्डिंग को सबसे पहले निशाना बनाया गया. आजतक की ख़बर के मुताबिक़, इस बिल्डिंग को अभी तक दोबारा शुरू नहीं किया जा सका है.

वहीं, एकीकृत समाजवादी पार्टी के दफ़्तर में भी आग लगा दी गई थी. ये दफ़्तर पूरी तरीके से जलकर खाक हो गया है. बता दें, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल भी इसी एकीकृत समाजवादी पार्टी से आते हैं.
हिंसा के लिए किसे जिम्मेदार बताया गया?नेपाल के गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर इस पूरी घटना के लिए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह और उनकी तरफ़ से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे दुर्गा प्रसाई को ज़िम्मेदार ठहराया है. बताया गया कि काठमांडू में राजतंत्र समर्थक आंदोलन सीधे-सीधे पूर्व राजा के निर्देशन पर हो रहा है. ज्ञानेंद्र शाह ने इसके लिए ‘राजतंत्र पुनर्स्थापना आंदोलन समिति’ का गठन किया है. इसका नेतृत्व दुर्गा प्रसाई कर रहे हैं. दुर्गा प्रसाई के खिलाफ FIR भी दर्ज हुई है.
हालांकि, राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने विरोध प्रदर्शन के बाद गिरफ़्तार किए गए अपने दो नेताओं -धवल शमशेर राणा और रवींद्र मिश्रा- की रिहाई की मांग की है. पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर 24 घंटे के भीतर दोनों को रिहा नहीं किया गया, तो वे सड़कों पर उतरेंगे. पार्टी ने काठमांडू में अपने प्रदर्शन के दौरान जो कुछ हुआ, उसके लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया.
वीडियो: नेपाल में राजशाही समर्थकों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प, प्रदर्शन के बाद बिगड़े हालात