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अजित के बेटे पार्थ से शरद पवार की विरासत को कितना बचा पाएंगे पोते रोहित पवार?

ये लड़ाई सिर्फ सुप्रिया और अजित के बीच की नहीं है, उससे अगली पीढ़ी की भी है.

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पोते पार्थ ने भी कई मौकों पर शरद पवार के खिलाफ स्टैंड लिया है. (फाइल फोटो- ट्विटर)

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में बगावत के बीच शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार दोनों पार्टी पर दावे कर रहे हैं. दोनों धड़े पार्टी को लेकर फैसले ले रहे हैं. पहले अजित ने चाचा शरद पवार को रिटायर होने की सलाह दे डाली. एक दिन बाद शरद पवार ने अजित को पार्टी से निकालने का आदेश जारी किया. 83 साल के शरद पवार ने कहा कि उम्र चाहे 82 हो या 92, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. इस बगावत में सिर्फ पार्टी नहीं, बल्कि 'पवार परिवार' भी बंटा हुआ है. एक तरफ शरद पवार, उनकी बेटी सुप्रिया सुले और पोते रोहित पवार हैं, तो दूसरी ओर अजित पवार और उनके बेटे पार्थ पवार हैं. इसकी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि परिवार में ही अगली पीढ़ी के नेता शरद पवार को रिटायर होने को कह रहे हैं.

शरद पवार अपने 11 भाई-बहनों में आठवें नंबर पर हैं. कुल 7 भाई और चार बहन. शरद पवार के अलावा और कोई राजनीति में नहीं आया. शरद पवार की एकमात्र बेटी सुप्रिया सुले हैं, जिन्हें पवार ने हाल ही में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था. सुले बारामती से लोकसभा सांसद भी हैं. अजित पवार, शरद पवार के भाई अनंत राव पवार के बेटे हैं. अजित के दो बेटे हैं- पार्थ, जो राजनीति में हैं और जय उद्योगपति हैं. वहीं, रोहित पवार, शरद पवार के बड़े भाई अप्पासाहेब पवार के पोते हैं. इन सबके अलावा कोई और सक्रिय राजनीति में नहीं हैं. रोहित के पिता राजेंद्र पवार कृषि व्यापार से जुड़े हैं. परिवार के बाकी सदस्य अलग-अलग व्यवसायों में हैं.

शरद पवार का परिवार (ग्राफिक्स- इंडिया टुडे)
रोहित पवार क्या कर रहे हैं?

रोहित 38 साल के हैं. शरद पवार के खासे करीब हैं. मुंबई यूनिवर्सिटी से 2007 में पढ़ाई पूरी करने के बाद पिता के बिजनेस से जुड़े. बाद में राजनीति में भी जाने की इच्छा जताई. इच्छा पूरी भी हो गई. साल 2017 में पुणे जिला परिषद का चुनाव लड़ने का मौका मिला. रिकॉर्ड वोटों से जीत गए. दो साल बाद ही विधानसभा भी पहुंच गए. रोहित फिलहाल अहमदनगर की कर्जत जामखेड सीट से विधायक हैं. इस सीट पर लंबे समय तक बीजेपी का कब्जा था.

रोहित का पवार परिवार के गढ़ बारामती से दूर कर्जत जामखेड़ आकर अपना पहला चुनाव लड़ना बड़ा दांव था. रोहित विधानसभा चुनाव होने के 6 महीने पहले से ही इलाके में घूम रहे थे. BJP ने इस चुनाव में रोहित के 'बाहरी' होने को मुद्दा बनाया. मुकाबला तगड़ा था. यही देखते हुए देवेंद्र फडणवीस ने यहां दो रैलियां की थीं. फडणवीस ने अपनी एक रैली में रोहित को 'बारामती का पार्सल' बताया था. अमित शाह भी यहां रैली करने आए थे.

'बाहरी' होने के बचाव में रोहित तर्क देते थे कि वो लोगों के लिए काम करना चाहते हैं. यही सोचकर उन्होंने आसान मुकाबला नहीं चुना. घेरे जाने के जवाब में रोहित उल्टा BJP की तरफ उंगली तान देते थे. नाम लेते थे BJP के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का, जो खुद कोल्हापुर से होने के बावजूद पुणे के कोथरुड सीट से चुनाव लड़ रहे थे.

अजित पवार की बगावत के बाद रोहित हर जगह शरद पवार के साथ नजर आए हैं. अजित पवार और उनके समर्थकों के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं. 4 जुलाई को रोहित ने ट्विटर पर शरद पवार को ‘जननायक’ बताते हुए उनकी एक प्रोफाइल पोस्ट की. इसमें शरद पवार के अब तक के राजनीतिक करियर को बताया गया था. लिखा था कि उन्होंने 60 साल जनसेवा की है. अपने दम पर महाराष्ट्र को संभाला और देश की रक्षा की. संकट में भी बिना डगमगाए लड़ते रहे, सभी जाति-धर्म को साथ लेकर चले हैं.

इसी साल रोहित पवार महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) के अध्यक्ष बनाए गए थे. शरद पवार खुद BCCI और ICC के अध्यक्ष रह चुके हैं. जानकारों की मानें तो रोहित पवार को आगे किया जाना भी अजित पवार को असहज कर रहा था.

पार्थ पवार क्या कर रहे?

पार्थ अजित पवार के बड़े बेटे हैं. 33 साल के पार्थ एचआर कॉलेज मुंबई से ग्रैजुएट हैं. उनकी राजनीति में एंट्री पिछले लोकसभा चुनाव में हुई थी. उससे पहले अपने पिता अजित पवार के सोशल मीडिया से जुड़े कामों को देखते थे. 2019 में शरद पवार के विरोध के बावजूद पुणे की मावल सीट से पार्थ चुनाव में उतरे, लेकिन हार गए. दरअसल, शरद पवार ने परिवार से सिर्फ दो लोगों के चुनाव लड़ने का नियम बनाया था. पहले ये तय था कि शरद पवार और उनकी बेटी चुनाव लड़ेंगी. लेकिन फिर अजित पवार ने पार्थ को चुनाव लड़ाने का दबाव बनाया. शरद पवार ने तब कहा था कि एक साथ 'कई पवार' चुनाव नहीं लड़ सकते. लेकिन वे अजित और उनके परिवार को मना नहीं पाए. खुद पीछे हट गए क्योंकि पार्टी में टूट होने का डर था.

जिद के बाद चुनाव लड़ने वाले पार्थ, पवार परिवार के पहले ऐसे सदस्य थे जिन्हें किसी चुनाव में हार मिली. लेकिन पार्थ इसके बाद भी नहीं रुके. जब 2019 विधानसभा चुनाव के बाद अजित पवार ने बीजेपी के साथ मिलकर डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी, तब भी पार्थ उनके साथ ही खड़े थे. हालांकि तब पार्थ को भी नहीं पता था कि अजित पवार तीन दिन में सरेंडर कर देंगे.

पार्थ अपने पिता अजित पवार की तरह ही पार्टी के भीतर अलग लाइन लेने के लिए जाने जाते हैं. कई मौकों पर साफ-साफ दिखा है. साल 2020 में महाराष्ट्र सरकार ने सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच CBI से कराए जाने का उन्होंने विरोध किया था. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने CBI को जांच सौंपने की अनुमति दी तो पार्थ पवार ने एक ट्वीट कर लिखा, "सत्यमेव जयते!"

तब महाराष्ट्र में गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी एनसीपी के पास थी. खुद शरद पवार भी CBI जांच की मांग का विरोध कर रहे थे. उन्होंने पार्थ की सीबीआई जांच की मांग को 'बचकाना' बताया था.

यह पहली बार नहीं था. इससे पहले कोविड महामारी के दौरान जब राम मंदिर का शिलान्यास हो रहा था, तो शरद पवार ने विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि इससे देश में महामारी की समस्या का समाधान नहीं होगा. पार्थ एक बार फिर आगे आए और राम मंदिर निर्माण कार्य की तारीफ की थी.

इस साल जनवरी में पार्थ ने शिंदे कैबिनेट के मंत्री शंभूराज देसाई से मुलाकात की थी. तब भी राजनीतिक बदलाव को लेकर कुछ अटकलें लगाई गई थीं. लेकिन अजित पवार ने मीडिया से कहा था कि इस मीटिंग का राजनीतिक अर्थ ना निकाला जाए.

पार्थ के बयान और अजित पवार के तेवर से कई बार साफ हुआ कि पवार परिवार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. पिछले महीने NCP में हुए संगठनात्मक बदलावों में अजित पवार को कोई नई जिम्मेदारी नहीं मिली थी. शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को NCP का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था. इससे यह साफ हुआ था कि पार्टी नई लीडरशिप की तरफ बढ़ रही है. इससे पहले पवार ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था लेकिन पार्टी ने अस्वीकार कर दिया था.

महाराष्ट्र की राजनीति के जानकार बताते हैं कि पवार ने साफ बता दिया था कि उनके बाद पार्टी की कमान उनकी बेटी के हाथ में होगी. इससे पहले सुप्रिया और अजित, दोनों ने सीधे-सीधे एक-दूसरे के लिए कुछ नहीं कहा था. बगावत पर सुले ने ये तक कहा था कि जो हो रहा है, दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन उनका रिश्ता वैसा ही रहेगा क्योंकि वो (अजित) बड़े भाई हैं. अजीत ने भी अभी तक सुप्रिया सुले पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी करने से परहेज़ किया है. लेकिन 5 जुलाई को सुप्रिया सुले ने अजित को निशाने पर लिया. कहा कि अजित पवार ने कहा था, 

"न खाता हूं.. न खाने दूंगा. लेकिन समय आया तो वो पूरी पार्टी ही खा गए."

जानकारों की मानें तो ये लड़ाई सिर्फ सुप्रिया और अजित के बीच की नहीं है, आगे की भी है. इसलिए अगली पीढ़ी में राजनीतिक भविष्य को लेकर खींचतान कुछ के लिए चौंकाने वाला है, कुछ के लिए इतिहास को पलटने जैसा है.

वीडियो: अजित पवार ने चाचा शरद पवार की उम्र पर सवाल उठाया तो ये जवाब मिला