सुप्रीम कोर्ट ने नागालैंड सरकार की उस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें भारतीय सेना के उन 30 जवानों पर मुकदमा (Nagaland Army Personnel) चलाने की मंजूरी मांगी गई है जिनके ऊपर एक मिलिट्री ऑपरेशन के दौरान 13 नागरिकों की हत्या का आरोप है. ये मिलिट्री ऑपरेशन दिसंबर 2021 में नागालैंड के मोन जिले में हुआ था. इससे पहले, केंद्र सरकार ने AFSPA के तहत इन जवानों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.
30 जवानों पर 13 लोगों की हत्या का आरोप, सरकार ने मुकदमा चलाने से मना किया, मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया
भारतीय सेना के इन 30 जवानों पर एक मिलिट्री ऑपरेशन के दौरान 13 लोगों की हत्या का आरोप है. ये ऑपरेशन दिसंबर, 2021 में नागालैंड के मोन जिले में हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच कर रही है. इस बेंच ने रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी किया है और 6 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है.
इधर, राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि पुलिस के पास इन आरोपी जवानों के खिलाफ सबूत हैं. इससे पहले, जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इन जवानों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाए जाने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट की तरफ से कहा गया था कि मुकदमा चलाए जाने के लिए आर्म्ड फोर्स स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) के तहत मंजूरी नहीं ली गई है.
इससे पहले, 4 दिसंबर 2021 को इन आरोपी जवानों ने मोन जिले के ऊटिंग गांव में एक पिकअप ट्रक पर गोलीबारी की थी. इस ट्रक में एक खदान से काम करके लौट रहे लोग सवार थे. जवानों के खिलाफ IPC की धाराओं 302, 307, 326, 201, 34 और 120-B के तहत मामला दर्ज किया गया था.
ये भी पढ़ें- सेना ने माना, शोपियां एनकाउंटर में जवानों ने किया AFSPA का दुरुपयोग
इस पूरे घटनाक्रम के बाद नागालैंड विधानसभा ने अपने एक विशेष सत्र में यह प्रस्ताव पारित किया था कि भारत सरकार उत्तर पूर्व से और खासकर नागालैंड से AFSPA हटाए. इस प्रस्ताव के बाद AFSPA को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई. संघर्ष वाले क्षेत्रों में सैन्य अभियानों और राज्य की स्वायत्ता के बीच खिंची लकीर पर फिर से विचार करने की बातें होने लगीं.
वीडियो: 'बस ये जुमलेबाजी न हो...', अमित शाह के AFSPA को लेकर बयान पर क्या बोलीं महबूबा मुफ़्ती?