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म्यांमार में भूकंप से अब तक 1000 लोगों की मौत, एजेंसी का दावा- दस हजार लाशें मिल सकती हैं

Myanmar सालों से गृहयुद्ध से ग्रसित रहा है. इसके कारण देश की स्थिति ठीक नहीं है. भूकंप के बाद उन्हें बिजली और पानी के गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. वहां की सैन्य सरकार ने अन्य देशों से मदद की अपील की है. भारत ने उसे बड़ी मदद भेज भी दी है.

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म्यांमार में भूकंप के बाद की स्थिति. (तस्वीर: AP)

म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप (Earthquake in Myanmar) के बाद, मलबे को हटाने का प्रयास जारी है. देश के एक सैन्य अधिकारी ने बताया है कि इस हादसे में कम से कम 1000 लोगों की मौत हुई है और 1,670 लोग घायल हुए हैं. हालांकि, अमेरिका की जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) एजेंसी का कहना है कि मरने वालों की संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है. मलबे के नीचे दबी लाशों और जीवित बचे लोगों की तलाश अब भी जारी है.

शुक्रवार, 28 मार्च को आया ये भूकंप इतना शक्तिशाली था कि 900 किलोमीटर दूर स्थित थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी इसका प्रभाव महसूस किया गया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, वहां भी कई ऐतिहासिक इमारतें और पुल ढह गए. भारत में मेघालय और मणिपुर के कुछ हिस्सों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसके अलावा, बांग्लादेश के ढाका और चटगांव के साथ-साथ चीन के कुछ हिस्सों में भी इसका असर दिखा.

भागने का मौका ही नहीं मिला

म्यांमार में इस हादसे से जीवित बचे एक व्यक्ति ने बताया कि जब भूंकप आया, तब वो बाथरूम थे. वो और उनके साथ कुछ और लोगों ने भी बाहर निकलने की कोशिश की. लेकिन तभी भूकंप का एक और झटका आया और बिल्डिंग ढह गई. उन्होंने बताया कि उनकी दादी, चाची और चाचा अब भी लापता हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार की सहायता करने की घोषणा की है. भारत ने 'ऑपरेशन ब्रह्मा' के तहत IAF C 130 J विमान से म्यांमार को सोलर लैंप, खाने के पैकेट्स और रसोई के अन्य सामानों सहित 15 टन राहत सामग्री भेजी है. 

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म्यांमार सरकार ने मांगी मदद

म्यांमार सालों से गृहयुद्ध से ग्रसित रहा है. इसके कारण देश की स्थिति ठीक नहीं है. भूकंप के बाद उन्हें बिजली और पानी के गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. वहां की सैन्य सरकार (जुंटा) के प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग ने अन्य देशों से मदद की अपील की है.

उधर, भूकंप के बाद थाईलैंड सरकार ने बैंकॉक में आपातकाल की घोषणा कर दी है. 28 मार्च को एक इमारत के गिरने से वहां कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई. 100 मजदूर अब भी लापता हैं.

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