मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) के जिस स्कूल में मुस्लिम छात्र की क्लास के बच्चों से पिटाई कराई गई, उसे बंद कर दिया गया है. स्कूल का नाम नेहा पब्लिक स्कूल है. ये खुब्बापुर का इकलौता प्राइवेट स्कूल है. 27 अगस्त को अधिकारियों ने स्कूल को सील कर दिया. आरोपी टीचर तृप्ता त्यागी (Tripta Tyagi) के पास ही स्कूल का मालिकाना हक है.
मुजफ्फरनगर: मुस्लिम बच्चे की पिटाई वाला स्कूल सील, अब ये बड़ा एक्शन होने वाला है
इस स्कूल की टीचर तृप्ता त्यागी पर आरोप है कि उन्होंने एक मुस्लिम बच्चे को क्लास के बाकी बच्चों से पिटवाया. तृप्ता त्यागी का कहना है कि वीडियो काट-छांटकर अपलोड किया गया है.
जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि स्कूल विभाग के मानदंडों को पूरा नहीं करता है इसलिए उसे सील करने के लिए नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि बच्चे की पिटाई को लेकर टीचर को नोटिस भी दिया गया है. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि स्कूल में कंस्ट्रक्शन का काम चला रहा था और टीचर अपने घर पर बच्चों को पढ़ा रही थीं. वायरल वीडियो भी वहीं का है. वहां बच्चों के लिए लाइट-पंखे की कोई सुविधा नहीं है. 1 से 5वीं क्लास तक के लिए कोई सेक्शन नहीं था इसलिए अभी के लिए स्कूल सील कर दिया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूल की यूपी शिक्षा बोर्ड से मान्यता रद्द करने के लिए भी नोटिस भेजा गया है. सभी 50 छात्रों को एक हफ्ते के अंदर गांव के किसी सरकारी स्कूल या जिले के अन्य स्कूलों में शिफ्ट किए जाने की बात भी सामने आई है. पीड़ित लड़के के परिवार ने पहले ही उसे स्कूल से निकाल लिया था.
आरोपी टीचर तृप्ता पर धर्म के आधार पर भेदभाव करने और बच्चों से एक मुस्लिम बच्चे को थप्पड़ मरवाने का आरोप है. घटना 24 अगस्त की है. 60 साल की तृप्ता त्यागी ने कथित तौर पर मुस्लिम बच्चों के बारे में अपमानजनक बातें कहीं और बाकी छात्रों से एक मुस्लिम छात्र को पिटवाया. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. मामले पर तृप्ता ने सफाई में कहा कि वो विकलांग हैं इसलिए बच्चों से पिटाई करने को कहा. उन्होंने यह भी कहा कि वीडियो को काट-छांटकर अपलोड किया गया है.
अब तक क्या कार्रवाई हुई?टीचर के खिलाफ IPC की धारा 323 (चोट पहुंचाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोपी ने बताया कि धाराएं जमानती हैं. इस वजह से उन्हें अरेस्ट नहीं किया गया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने RTE एक्ट, 2009 की धारा-17 (बच्चे को शारीरिक दंड/मानसिक उत्पीड़न) के तहत मामले में कार्रवाई शुरू करने का भी निर्देश दिया है.
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