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यूनिवर्सिटी ने गलती की! छात्रों से कहा, '55 हजार दो तो मिलेगी मार्कशीट'

मुंबई यूनिवर्सिटी ने तीन हजार स्टूडेंट्स की मार्कशीट रोक दी

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मुंबई यूनिवर्सिटी और मार्कशीट की सांकेतिक तस्वीर (फोटो - आजतक/सोशल मीडिया)

मुंबई यूनिवर्सिटी में फ़ाइनल ईयर के छात्रों को अपनी डिग्री के लिए 55 हजार रुपये देने पड़ रहे हैं. यूनिवर्सिटी के कई कॉलेजों की ओर से जारी हुई मार्कशीट्स में ग़लतियां थीं. तो तीन हजार छात्रों की मार्कशीट पर रोक लगा दी गई थी. इसी मामले में 2018 में यूनिवर्सिटी ने एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें लिखा था कि जुर्माना कॉलेजों से लिया जाएगा, न कि छात्रों से.

यूनिवर्सिटी की ग़लती का ठीकरा छात्रों पर!

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, गणेश संकपाल नाम के एक छात्र को सेकंड ईयर में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. संकपाल 2007-08 में मुंबई विश्वविद्यालय के सिद्धार्थ कॉलेज से बीकॉम कर रहे थे. अपने पिता की बीमारी की वजह से उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और नौकरी करने लगे. दस साल बाद जब उनके प्रमोशन का समय आया, तो उनकी कंपनी ने उन्हें ग्रेजुएशन पूरा करने के लिए कहा. संकपाल ने 2019-20 में वापस सेकंड ईयर में दाख़िला लिया, जैसा कि नियम है. इसी साल मई में उन्होंने फ़ाइनल ईयर की परीक्षा पास की. लेकिन उनका रिज़ल्ट रिज़र्व रख लिया गया.

संकपाल ने इस बाबत जब कॉलेज से संपर्क किया, तो कॉलेज वालों ने यूनिवर्सिटी से बात करने के लिए कहा. फिर उन्होंने यूनिवर्सिटी में बात की. उनसे कहा गया कि वो परीक्षा विभाग में आवेदन करें; तब उन्हें मार्कशीट मिलेगी. लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन नंबर तो एक्सपायर हो चुका था, तो उसे वापस ठीक करवाने के लिए यूनिवर्सिटी ने उनसे जुर्माने के तौर पर 55 हजार रुपये मांगे. विश्वविद्यालय के पात्रता विभाग को 30 हजार रुपए और परीक्षा विभाग को 25 हजार रुपए देने के लिए कहा गया.

संकपाल ने मीडिया को बताया,

“जुर्माने की 55 हजार रुपए की रकम सुनकर मैं दंग रह गया. मैंने सबको पत्र लिखे. कुलपति से लेकर सभी पदाधिकारियों को. लेकिन कुछ नहीं हुआ. मैंने कई छात्रों को ऐसी ही स्थिति में देखा. उनमें से कइयों को मजबूरी में अपनी मार्कशीट लेने के लिए जुर्माना देना भी पड़ा. मेरे भी आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी, इसलिए मैं अंततः जुर्माना भरने के लिए मान गया था.”

संकपाल ने आगे कहा,

"फिर मुझे प्रदीप सावंत मिले, जो वरिष्ठ सीनेट सदस्य और यूथ सेना (यूबीटी) के सदस्य हैं. उन्होंने मुझे बताया कि कॉलेज ने 2018 में जुर्माना भर दिया है. और, मुझे जुर्माना भरने की कोई ज़रूरत नहीं है. उन्होंने मेरी मदद की और आख़िरकार, एक महीने के संघर्ष के बाद, मुझे अपनी मार्कशीट मिल गई. हालांकि, जब मैं जूझ रहा था, तो मुझे पता चला कि मेरे जैसे कम से कम 1,000 से ज़्यादा छात्र हैं."

1 नवंबर, 2022 को भी मुंबई यूनिवर्सिटी से इसी मामले में एक ख़बर आई थी. यूनिवर्सिटी में 2011 से पहले दाख़िला लेने वाले कई छात्रों की मार्कशीट में ग़लतियां थीं. ये ग़लती थी परमानेंट रजिस्ट्रेशन नंबर या स्थायी पंजीकरण संख्या में. बात खुली कैसे? जब छात्रों ने आगे की पढ़ाई के लिए अप्लाई करना शुरू किया, तो रजिस्ट्रेशन नंबर वेरिफ़ाई ही नहीं हुआ. इसके बाद छात्रों ने यूनिवर्सिटी से संपर्क किया. यूनिवर्सिटी ने 3,000 छात्रों की मार्कशीट वापस मंगवा ली. इसके बाद आया ये 55,000 के जुर्माने वाला मामला.

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