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मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में निधन

कई दिनों से मेदांता अस्पताल में भर्ती थे.

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नहीं रहे मुलायम सिंह यादव. (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) नहीं रहे. सोमवार, 10 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका निधन हो गया. लंबे समय से बीमार चल रहे मुलायम सिंह पिछले एक हफ्ते से इसी अस्पताल में भर्ती थे. बीती 2 अक्टूबर को उन्हें ICU में शिफ्ट किया गया था. अस्पताल ने 9 अक्टूबर को हेल्थ बुलेटिन जारी कर बताया था कि मुलायम सिंह यादव की हालत काफी नाजुक है और वे जीवन रक्षक दवाओं पर हैं. आज खबर आई कि उनका निधन हो गया है.

समाजवादी पार्टी ने बताया है कि मुलायम सिंह के पार्थिव शरीर को यूपी के करहल कट से सैफई ले जाया जाएगा. मंगलवार को सैफई में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

मुलायम सिंह का राजनीतिक सफर

82 साल के मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें 'नेताजी' कहकर बुलाते हैं. मुलायम सिंह का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा में हुआ था. वो राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे. 1967 में पहली बार लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (SSP) से विधायक बने थे. लोहिया की मौत के बाद मुलायम ने चरण सिंह की भारतीय कृषक दल (BKD) जॉइन कर ली थी.

1974 में बीकेडी के टिकट से ही मुलायम दोबारा विधायक बने थे. इसी साल सोशलिस्ट पार्टी और कृषक दल का विलय हो गया और नई पार्टी का नाम रखा गया- भारतीय लोक दल (BLD). 1977 में BLD भी जनता पार्टी के साथ मिल गई. उसी साल मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की राज्य कैबिनेट में मंत्री बने. 1979 में चरण सिंह ने जनता पार्टी से नाता तोड़ लिया और लोक दल के नाम से नई पार्टी बना ली. मुलायम उनके साथ ही रहे.

1989 में पहली बार सीएम बने

मुलायम सिंह यादव, चरण सिंह के सबसे भरोसेमंद लोगों में थे. 1980 में मुलायम सिंह विधानसभा चुनाव हार गए तो चरण सिंह ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनवाया और यूपी में लोकदल का प्रदेश अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिया. 1987 में चरण सिंह की मौत हो गई. लोक दल दो ग्रुपों में टूट गया. एक फैक्शन चरण सिंह के बेटे अजित सिंह के साथ चला गया. दूसरा मुलायम सिंह यादव के साथ. 

1988 में जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन यानी 11 अक्टूबर के दिन जनता दल का गठन हुआ था. इसके कुछ ही महीने बाद 1989 में यूपी में विधानसभा चुनाव हुए. चुनाव के बाद जनता दल की तरफ से मुलायम सिंह यादव पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने. जनता दल को बीजेपी बाहर से समर्थन दे रही थी. लेकिन 1990 में जनता दल टूटा और मुलायम सिंह, चंद्रशेखर (पूर्व पीएम) के साथ चले गए. इस नए दल को समाजवादी जनता पार्टी (SJP) कहा गया. सितंबर 1992 में मुलायम ने इस पार्टी को भी छोड़ दिया और अगले ही महीने एक नई पार्टी बना ली. नाम था- समाजवादी पार्टी. इसके बाद लंबे समय तक मुलायम सिंह यादव यूपी की राजनीति का एक प्रमुख चेहरा रहे.

1993 में सपा के 'नेताजी' दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. इस बार कांशीराम की बहुजन समाज पार्टी (BSP) उनका समर्थन कर रही थी. लेकिन दो साल बाद 1995 में कांग्रेस और बीएसपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा ने मुलायम सरकार को बर्खास्त कर दिया. 1996 में मुलायम पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे. तब एचडी देवगौड़ा की सरकार में वे रक्षा मंत्री भी बनाए गए थे.

साल 2003 में मायावती के इस्तीफे के बाद मुलायम सिंह यादव तीसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने थे. सीएम बनने के बाद उन्होंने गुन्नौर सीट से उपचुनाव लड़ा और जीत गए. अपने पूरे राजनीतिक करियर में वे कुल 10 बार विधायक और 7 बार लोकसभा सांसद चुने गए. साल 2019 में वे मैनपुरी सीट से लोकसभा में चुनकर आए थे.

हालांकि इस वक्त तक मुलायम सिंह राजनीतिक रूप से ताकतवर नहीं रह गए थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने जिस तरह यूपी के दोनों बड़े क्षेत्रीय दलों (सपा-बसपा) का सूपड़ा साफ किया, उससे ये साफ संकेत गया था कि अब यूपी की राजनीति में मुलायम सिंह की भूमिका और कद कम हो जाएंगे. ऐसा हुआ भी. 2017 का विधानसभा चुनाव आते-आते सपा की कमान बेटे अखिलेश यादव के हाथ में चली गई. उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद मुलायम सिंह का सार्वजनिक जीवन में दिखना कम होता चला गया.