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MQ-9B Predator ड्रोन भारत आने वाला है, अमेरिकी कांग्रेस से भी मिली मंजूरी

अमेरिका इस संबंध में जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर सकता है. 31 MQ-9B ड्रोन में से 15 भारतीय नौसेना को दिए जाएंगे. वहीं भारतीय सेना और वायुसेना को 8-8 ड्रोन मिलेंगे.

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अमेरिका इस ड्रोन को ‘हंटर-किलर UAV’ भी कहता है. इसे ऑपरेट करने के लिए किसी भी पायलट की जरूरत नहीं होती. (फोटो- ट्विटर)

भारत और अमेरिका के बीच प्रेडेटर ड्रोन डील को फाइनल मंजूरी दे दी गई है (US approves Predator drone deal). अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने प्रेडेटर ड्रोन बनाने वाली कंपनी जनरल एटॉमिक्स को इस बात की सूचना दी. डिपार्टमेंट ने कंपनी को बताया कि अमेरिकी कांग्रेस ने भारत को 31 MQ-9B ड्रोन की बिक्री को समीक्षा के बाद मंजूरी दे दी है. इससे जुड़ा आधिकारिक नोटिफिकेशन अगले 24 घंटे के भीतर जारी कर दिया जाएगा.

हिंदुस्तान टाइम्स में छपी शिशिर गुप्ता की रिपोर्ट में लिखा है कि जनरल एटॉमिक्स ने इस जानकारी को मोदी सरकार से भी साझा किया है. हालांकि, भारत सरकार की तरफ से इस संबंध में अभी कोई भी प्रतिक्रिया साझा नहीं की गई है. लेकिन रिपोर्ट के अनुसार वाशिंगटन इस संबंध में जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर सकता है.

31 MQ-9B ड्रोन में से 15 भारतीय नौसेना को दिए जाएंगे. वहीं भारतीय सेना और वायुसेना को 8-8 ड्रोन मिलेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बताया,

“भारत और अमेरिका की डिफेंस पार्टनरशिप में पिछले दशक में वृद्धि देखी गई है. ड्रोन डील की घोषणा पीएम मोदी की पिछले साल यात्रा के दौरान की गई थी. हमारा मानना है कि ये डील भारत के साथ रणनीतिक प्रौद्योगिकी सहयोग और सैन्य सहयोग को आगे बढ़ाने की महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान करती है. अमेरिकी हथियारों के ट्रांसफर में कांग्रेस अहम किरदार निभाती है. हम अपनी औपचारिक अधिसूचना से पहले विदेशी मामलों की समिति पर कांग्रेस के सदस्यों से नियमित रूप से परामर्श करते हैं, ताकि हम उनके सवालों का समाधान कर सकें.”

प्रेडेटर ड्रोन क्या बला है?

प्रेडेटर ड्रोन को MQ-9B SeaGuardian ड्रोन नाम से जाना जाता है. ये सिर्फ इकलौता नहीं है. इसका एक और वेरिएंट है. जैसे गाड़ियों के होते हैं. ड्रोन के दूसरे वेरिएंट का नाम MQ-9B SkyGuardian है. अब दोनों के नाम अलग क्यों हैं? क्योंकि काम एक जैसे नहीं हैं. सीगार्डियन समुद्र के ऊपर उड़ाया जाता है. वहीं स्काईगार्डियन का इस्तेमाल जमीनी इलाकों की हवाई निगरानी और सुरक्षा के लिए किया जाता है.

प्रेडेटर ड्रोन का विंगस्पैन 20 मीटर का है और ये 11 मीटर लंबा है.

अब इतना नाम है, फेमस है, तो कोई तो बात होगी. अमेरिका इस ड्रोन को ‘हंटर-किलर UAV’ भी कहता है. ड्रोन है तो जाहिर है इसे ऑपरेट करने के लिए किसी भी पायलट की जरूरत नहीं होती. दूर बैठकर ही इसे रिमोट से हवा में 'तैराया' जाता है. 30 घंटे से भी ज्यादा ये हवा में उड़ सकता है. आंधी, तूफान, बारिश, भीषण गर्मी-सर्दी, चाहे जैसा भी मौसम हो, ये मशीन काम करती है. ड्रोन को मुख्य रूप से समुद्री इलाकों की निगरानी के लिए डिज़ाइन किया गया है. हालांकि इसे सिविल एयरस्पेस में भी आसानी से काम में लाया जा सकता है.

MQ-9B SeaGuardian प्रेडेटर ड्रोन का विंगस्पैन 20 मीटर का है और ये 11 मीटर लंबा है. इस ड्रोन का इस्तेमाल कई तरह के काम में हो सकता है, जैसे:

- निगरानी (जासूसी भी की जा सकती है.)
- सैन्य कार्रवाई
- एंटी सर्फेस वॉरफेयर (नौसेना इससे जमीन पर रखे हथियारों को नष्ट करती है.)
- एंटी सबमरीन वॉरफेयर (नौसेना इससे दुश्मनों की पनडुब्बियों को नष्ट करती है.)
- लॉन्ग रेंज इंटेलिजेंस गैदरिंग, सर्विलांस और परीक्षण 
- हवाई हमलों को रोकना
- मानवीय मदद/आपदा राहत कार्य

MQ-9B ड्रोन हवा से जमीन पर मार करने वाली और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल्स और बॉम्ब लेकर उड़ सकता है. ये 1700 किलो से ज्यादा वज़नी हथियार लेकर उड़ सकता है. ड्रोन 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. साथ ही इसकी मदद से वो इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम भी चलाया जा सकता है, जिससे दुश्मन का एंटी-एयर सिस्टम फेल हो जाए.

ड्रोन 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है.

चलते-चलते डील के खर्च के बारे में जान लीजिए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये समझौता करीब 3 अरब डॉलर का है. यानी भारत को इस डील के लिए लगभग 24 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे.

वीडियो: मास्टरक्लास: MQ-9B प्रिडेटर ड्रोन क्यों चीन-पाकिस्तान के लिए है बड़ी टेंशन?