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CM बनने के बाद मोहन यादव रात में उज्जैन में रुक पाएंगे?

मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव (MP new CM Mohan Yadav) उज्जैन के रहने वाले हैं और यहीं की एक सीट से विधायक भी हैं. लेकिन क्या अब वो अपने ही होमटाउन में रात नहीं बिता सकेंगे? क्योंकि महाकाल की नगरी में दूसरा कोई राजा रुकता नहीं.

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मोहन यादव उज्जैन के ही रहने वाले हैं. क्या अब वो अगले 5 साल अपने ही शहर में रुक नहीं सकेंगे?

उज्जैन को महाकाल की नगरी कहा जाता है. यहां एक मान्यता या परंपरा सदियों से चली आ रही है, कि उज्जैन में राजा एक ही होते हैं- ख़ुद महाकाल. इसी वजह से महाकाल की नगरी में कोई भी दूसरा राजा कभी रात नहीं रुकता. न पुराने जमाने के कोई राजा-महाराजा उज्जैन में रात रुकते थे, न ही आज के कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री वगैरह. लेकिन अब तो मध्यप्रदेश के जो मुख्यमंत्री बने हैं, वो तो रहने वाले ही उज्जैन के हैं. मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं, उज्जैन के ही रहने वाले हैं. अब दुविधा ये है कि क्या मुख्यमंत्री बनने के बाद वो अपने ही होम टाउन में रात नहीं गुजार सकेंगे.

रात में उज्जैन में नहीं रुकेंगे CM मोहन यादव?

सीधे शब्दों में मान्यता ये है कि कोई भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री उज्जैन में नहीं रुकते, क्योंकि राजा महाकाल की नगरी में किसी दूसरे राजा की कोई जगह नहीं. तो CM, PM लेवल के लोग यहां आते हैं, दर्शन करते हैं और रात होने से पहले उज्जैन की सीमा छोड़ देते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्टूबर 2022 में उज्जैन गए थे. महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन किया था, मंदिर में पूजा भी की थी, लेकिन रात होने से पहले उन्होंने उज्जैन की सीमा छोड़ दी थी. 

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो अक्सर उज्जैन जाते रहे हैं. इसी साल अक्टूबर में महाकाल कॉरिडोर फेज़-2 का लोकार्पण करने गए थे, नवंबर में भी महाकाल मंदिर में पूजा करने गए थे. लेकिन किसी भी मौके पर वो उज्जैन में रात में नहीं रुके.

इनके अलावा भी किसी अन्य राज्य के मुख्यमंत्री रहे हों या कोई और प्रधानमंत्री भी रहे हों, कोई उज्जैन में रात में नहीं रुकता. यहां तक कि सिंधिया राजपरिवार का कोई सदस्य भी उज्जैन में नहीं रुकता. उच्च पदों पर बैठे अधिकतर लोग यहां नहीं रुकते. 99 फीसदी लोग. 

लेकिन कुछ रुके भी हैं. 2021 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा उज्जैन आए थे और यहां रुके भी थे. परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि इसी के कुछ दिन बाद जुलाई में भाजपा ने उनसे इस्तीफ़ा लेकर बसवराज बोम्मई को CM बना दिया था. येदियुरप्पा सरकार पहले से भी भ्रष्टाचार के कई आरोपों में घिरी हुई थी. इसी तरह 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई उज्जैन गए थे और रुके भी थे. कहा जाता है कि इसी के कुछ दिन बाद उनकी सरकार की विदाई हो गई.

यहां साफ कर दें कि इस मान्यता पर विश्वास करने वाले लोग ये दावा करते हैं. ये उनका विश्वास है. लेकिन वैज्ञानिक सोच वालों के लिए इसका कोई तुक नहीं. उनके लिए रात में उज्जैन में रुकने के बाद किसी बड़ी राजनीतिक हस्ती का अपना पद खो देना मात्र एक संयोग है.

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