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मोरक्को के भूकंप में 2000 से अधिक लोगों की मौत, अभी हालात क्या हैं, भारत ने क्या कहा?

मोरक्को से विचलित करने वाले फोटो वीडियो सामने आ रहे हैं

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मोरक्को में आए भूकंप के बाद बच्चे को गोद में लेकर जाता एक शख़्स. (फ़ोटो: AFP)

मोरक्को के भूकंप (Morocco Earthquake) में मरनेवालों की संख्या 02 हज़ार के पार पहुंच गई है. मोरक्को के गृह मंत्रालय ने दावा किया है कि लगभग डेढ़ हज़ार लोग घायल भी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भूकंप का केंद्र मराकेश शहर से 70 किलोमीटर की दूरी पर था. यहां काफ़ी तबाही हुई है. मराकेश एटलस की पहाड़ियों की गोद में बसा है. ऐतिहासिक शहर है. हर साल 20 लाख से अधिक पर्यटक आते हैं. फिलहाल, मराकेश में मलबा और लाचारी पसरी है. लोग घरों से बाहर रात बिताने को मजबूर हैं.

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भूकंप का केंद्र मराकेश के पास है. (फ़ोटो: AFP)

सबसे ज़्यादा मौत अल हाउज़ प्रांत में हुई है. कच्चे मकानों वाले पहाड़ी इलाकों में रेस्क्यू टीम को पहुंचने में टाइम लग रहा है. इसलिए, असली नुकसान का पता चलने में वक़्त लग सकता है. मोरक्को में पिछला सबसे ख़तरनाक भूकंप 1960 में आया था. उसमें लगभग 12 हज़ार लोग मारे गए थे.

ताज़ा अपडेट्स क्या हैं?

- भूकंप के झटके राजधानी रबात, कैसाब्लांका समेत कई बड़े शहरों में महसूस किए गए.
- ऑफ़्टरशॉक्स बार-बार आ रहे हैं. इसके चलते लोगों में दहशत बनी हुई है.
- मोरक्को के किंग मोहम्मद षष्ठ ने तीन दिनों के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है.
- अल्जीरिया और मोरक्को के संबंधों में तनाव रहा है. मगर उसने मानवीय मदद लेकर मोरक्को आने वाले प्लेन्स के लिए अपनी हवाई-सीमा खोल दी है. अमेरिका, इज़रायल, फ़्रांस, स्पेन, इटली ने मदद की पहल की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोरक्को के साथ खड़े रहने का वादा किया है.

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अब मोरक्को की कहानी भी बता देते हैं.

अफ़्रीका महाद्वीप में उत्तर की तरफ़ बढ़ने पर अंतिम कोने पर जो ज़मीन दिखती है, वही मोरक्को है. एकदम स्पेन को छूता हुआ. अगर बीच में समंदर ना होता तो शायद उसको यूरोप का हिस्सा मान लिया गया होता. मोरक्को पश्चिम और उत्तर में दो समंदरों से घिरा है. अटलांटिक सागर और भूमध्यसागर. पूरब की तरफ़ अल्जीरिया है. उसके साथ दुश्मनी का लंबा इतिहास है.
फिर दक्षिण में पड़ता है, वेस्टर्न सहारा. 1975 से पहले तक ये स्पेन की कॉलोनी थी. फिर मोरक्को ने इस पर क़ब्ज़ा कर लिया. वेस्टर्न सहारा का 80 प्रतिशत हिस्सा मोरक्को के पास है. अमेरिका ने इस क़ब्ज़े को मान्यता दे रखी है. बाकी हिस्से में सहरावी लोग रहते हैं. सहरावी कबीले सदियों से उत्तरी सहारा में रहते आए हैं. वे वेस्टर्न सहारा को अपने पुरखों की ज़मीन मानते हैं. उन्होंने मोरक्को के साथ सशस्त्र संघर्ष भी किया. लेकिन वे जीत नहीं पाए. फिर अल्जीरिया की मदद से सहरावी अरब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (SADR) की स्थापना की. SADR को लगभग 45 देशों की मान्यता मिली हुई है. इसको लेकर भी मोरक्को और अल्जीरिया आपस में झगड़ते रहते हैं. अफ़्रीका महाद्वीप में होने के बावजूद मोरक्को अपने पड़ोसियों से थोड़ा अलग है. इतिहास में इस हिस्से पर अलग-अलग संस्कृतियों का दखल रहा. इसका असर आज भी दिखता है.

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मराकेश में भूकंप से हुए नुकसान का शोक मनाती महिला. (फ़ोटो: AFP)
कुछ और फ़ैक्ट्स जान लीजिए.

आधिकारिक नाम - किंगडम ऑफ़ मोरक्को.
आबादी - लगभग 03 करोड़ 80 लाख.
धर्म - 99 प्रतिशत आबादी इस्लाम की सुन्नी धारा का पालन करती है. दशमलव एक प्रतिशत से भी कम शिया हैं. बाकी में ईसाई, यहूदी और बाकी धर्मों के लोग हैं.
मोरक्को का राजकीय धर्म इस्लाम है.
मुख्य भाषाएं - अरबी, फ़्रेंच और बेबर कबीले की उपबोलियां.
एरिया - लगभग साढ़े 04 लाख वर्ग किलोमीटर.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल के बराबर होगा.
करेंसी - मोरक्को दिरहम. अभी मोरक्को के एक दिरहम की कीमत भारत में 8 रुपये से थोड़ी अधिक है.
राजधानी - रबात. इसका शाब्दिक अर्थ होता है, सुरक्षित किला.

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मोहम्मद षष्ठ 1999 से मोरक्को के राजा हैं.

मोरक्को में संवैधानिक राजशाही वाली व्यवस्था है. यहां संसद भी है और राजा भी. सरकार की ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री के पास है. जबकि राष्ट्र का मुखिया राजा होता है. ये सिस्टम काफ़ी हद तक ब्रिटेन से मिलता-जुलता है. लेकिन मोरक्को में सभी अहम मुद्दों पर अंतिम फ़ैसला राजा का होता है. जबकि ब्रिटेन में राजशाही के पास कोई असली शक्ति नहीं है. मोहम्मद षष्ठ मौजूदा राजा हैं. उनके पिता हसन द्वितीय भी राजा थे.

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