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Mood of The Nation: क्या देश भी जातिगत जनगणना चाहता है? सच सबको हैरान कर देगा

इंडिया टुडे के मूड ऑफ द नेशन सर्वे में समान नागरिक संहिता, जातिगत जनगणना और एक देश, एक चुनाव पर 55 फीसदी से ज्यादा लोगों ने सहमति जताई.

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सी वोटर के साथ इंडिया टुडे का 'मूड ऑफ द नेशन' सर्वे कराया गया. (सांकेतिक तस्वीर: आजतक)

लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया टुडे ग्रुप ने सी वोटर के साथ मिलकर 'देश का मूड' जाना. 'मूड ऑफ द नेशन (MOTN)' सर्वे में देश के कई बड़े मुद्दों को शामिल किया गया. इसमें समान नागरिक संहिता, जातिगत जनगणना और ‘एक देश, एक चुनाव’ पर भी जनता की राय जानने की कोशिश की गई. ये वे मुद्दे हैं, जिन पर जमकर राजनीति की जाती है, लेकिन जरूरी ये जानना है कि लोग क्या चाहते हैं.

MOTN सर्वे में हिस्सा लेने वालों में से 55 फीसदी से ज्यादा लोगों ने तीनों ही मुद्दों पर हामी भरी है. मतलब इस सर्वे के आधार पर ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि ज्यादातर लोग समान नागरिक संहिता, एक देश एक चुनाव के साथ जातिगत जनगणना के भी पक्ष में है.

क्या देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू होना चाहिए? इस सवाल पर 62.8 फीसदी लोगों ने सहमति जताई है. बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा में 7 फरवरी को समान नागरिक संहिता विधेयक पास कर दिया गया. उत्तराखंड ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है. 

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वन नेशन, वन इलेक्शन यानी ‘एक देश, एक चुनाव’ पर लोगों की राय पूछी गई, तो 65.9 फीसदी लोग इसके पक्ष में रहे. 21.3 फीसदी लोगों ने कहा कि वो ऐसा नहीं चाहते हैं. 'एक देश, एक चुनाव' यानी लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने के मसले पर लंबे समय से बहस चल रही है. इसके समर्थन और विरोध में तमाम तर्क दिए जाते हैं. 

क्या देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए? इस पर सर्वे में शामिल 59.2 फीसदी लोगों ने हामी भरी. 27.8 फीसदी लोगों ने कहा कि वो जातिगत जनगणना नहीं चाहते हैं, वहीं 13 फीसदी लोगों ने 'पता नहीं' जवाब दिया. पिछले साल बिहार में हुए जातिगत सर्वे के बाद से जातिगत जनगणना कराए जाने के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया था. 

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