प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार 15 सितंबर को कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में टेलीकॉम सेक्टर से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. ऐसा माना जा रहा है कि इन फैसलों से इस सेक्टर के साथ-साथ आम आदमी को भी बड़ी राहतें मिलने जा रही हैं. खास बात ये कि इस बैठक में KYC से जुड़े दो ऐसे फैसले लिए गए हैं जो सीधे तौर पर आपसे जुड़े हैं.
KYC नियमों में सरकार ने किया बड़ा बदलाव, अब आपको होगा ये फायदा
जानिए और क्या फैसले लिए गए कैबिनेट बैठक में.
पहला बड़ा फैसला- अब अगर आप कोई नया सिम कार्ड, या फिर नया कनेक्शन (बेसिक लैंडलाइन) लेना चाहते हैं तो आपका KYC पूरी तरह डिजिटल होगा. यानी अब आपको किसी तरह का कोई कागज जमा नहीं करना होगा. PIB की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ये E-KYC ऐप आधारित होगी. यानी सेवा देने वाली कंपनी के ऐप पर आपको अपने कागज अपलोड कर देने होंगे, जिनके आधार पर आपकी KYC हो जाएगी. इसके लिए E-KYC की दर को संशोधित कर 1 रुपया कर दिया गया है.
दूसरा बड़ा फैसला- अभी के नियमों के मुताबिक, अगर कोई शख्स अपने नंबर को प्रीपेड से पोस्टपेड या फिर पोस्टपेड से प्रीपेड में कन्वर्ट कराता है तो उसे KYC भी करानी होती है. लेकिन अब सरकार ने फैसला किया है कि ग्राहक को इस कन्वर्जन के दौरान नई KYC नहीं करानी होगी. यानी अगर आपने एक बार KYC कराई है तो वही KYC प्रीपेड से पोस्टपेड या फिर पोस्टपेड से प्रीपेड में जाने के लिए काफी होगी.
अगर हम अन्य बड़े फैसलों की बात करें तो सरकार ने तीन तरह के सुधार किए हैं-
1. संरचनात्मक सुधार 2. प्रक्रियात्मक सुधार 3. दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को राहत
आजतक संवाददाता पॉलोमी साहा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दे दी है. ये एफडीआई ऑटोमेटिक रूट से आएगी और सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाएगा. कहा गाय है कि इस रूट के जरिये एफडीआई से सेक्टर में निवेश बढ़ेगा, जिससे कंपनियां नई टेक्नोलॉजी विशेषकर 5जी पर निवेश कर पाएंगी. इससे ग्राहकों को नई और आधुनिक सुविधाएं मिलने की उम्मीद है.
रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीकॉम सेक्टर के लिए Adjusted Gross Revenue यानी AGR का मुद्दा लंबे समय से परेशानी खड़ा करने वाला रहा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियां AGR बकाये के बोझ तले दब गई थीं. लेकिन अब सरकार ने इसकी परिभाषा को बदलने का फैसला किया है. संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि AGR की परिभाषा में से गैर-टेलीकॉम सेवाओं से कंपनियों को होने वाली आय को अलग किया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि AGR के फैसले से चलते होने वाली देय राशि के वार्षिक भुगतान में चार साल तक की मोहलत दी जाएगी. हालांकि विलंबित देय राशियों (Deferred dues) को उनके शुद्ध वर्तमान मूल्य यानी Net Present Value की रक्षा करके संरक्षित किया जा रहा है. सरकार का मानना है कि इन सुधारों से विभिन्न बैंकों को दूरसंचार क्षेत्र में पर्याप्त निवेश करने में भी मदद मिलेगी.
PIB के मुताबिक, अब स्पेक्ट्रम नीलामी प्रत्येक वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में आयोजित की जाएगी. इसके अलावा वायरलेस उपकरणों के आयात यानी इम्पोर्ट के लिए 1953 की सीमा शुल्क अधिसूचना के तहत आयात लाइसेंस की जरूरत को खत्म कर दिया गया है. साथ ही CAF यानी कस्टमर एग्रीमेंट फॉर्म के डेटा को डिजिटल किया जाएगा.
बैठक में दूरसंचार टावरों के लिए साक्फा (यानी Standing Advisory Committee on Radio Frequency Allocation) की मंजूरी में ढील दी गई है. दूरसंचार विभाग अब पोर्टल पर सेल्फ डिक्लेयरेशन के आधार पर डेटा स्वीकार करेगा. अन्य एजेंसियों के पोर्टल (जैसे नागरिक उड्डयन) को दूरसंचार विभाग के पोर्टल से भी जोड़ा जाएगा.